Friday, December 24, 2010

मागोइ का उपहार

एक डॉलर और सत्तासी सेंट. बस इतने ही पैसे थे. और इस में से साठ पेनी सिक्के थे. ये पेनी एक-एक दो-दो करके उसने पंसारी और सब्जीवालों के साथ इतनी कड़ी सौदेबाजी करके जमा किये थे कि अपनी कंजूसी पर लज्जा के मारे उसके गाल लाल हो जाया करते थे. डेला ने सिक्कों को तीन बार गिना. एक डॉलर सत्तासी सेंट. बस. और अगले दिन क्रिसमस है.

करने को कुछ नहीं था सिवाय छोटे जर्जर सोफे पर धड़ाम से गिर कर आह भरी जाए. डेला ने ऐसा ही किया. ऐसे करने से यह ही विचार मन में आती है कि मनुष्य का जीवन सिसकने, आंख-नाक से पानि बहाने और मुसकुराने से मिल कर बना है. जिस में आंख-नाक से पानि बहाना मुख्य हैं.

जब तक घर की मालकिन धीरे-धीरे पहले दशा से दूसरी पर आ रही है तो उसके घर की दशा जरा देखें. एक फर्निचर-युक्त फ्लैट, 8 डॉलर साप्ताहिक किराया पर. यह किसी भिखारी का वर्णन नहीं है, लेकिन ठीक ठीक भिक्षा मांगनेवालों की तरह ही है.

नीचे हाल में एक लेटर बॉक्स है जिस में पत्र डालने वाला कोई नहीं है. उस के पास एक बिजली बटन है जिस से कोई प्राणी की उंगली घंटी नहीं बजा सकती. इनके पास एक नेमकार्ड लगा था, जिस पर लिखा है, "मिस्टर जेम्स डिलिंघम यंग."

“डिलिंघम” नाम तब मौज-मस्ती से पुराने खुशहाल समय में लिखा गया था, जब इस नाम का हकदार $30 प्रति सप्ताह का वेतन पाता था. अब जब आमदनी $30 से सिकुड़ कर $20 हो गयी है तो उन्होंने गंभीरता से सोचा कि “डिलिंघम” को सिकोड़ कर एक विनम्र विनीत “डी” करना उचित है.

लेकिन जब भी मिस्टर जेम्स डिलिंघम यंग घर आते और ऊपर अपने फ्लैट में प्रवेश करते तो उसकी पत्नी, मिसेज जेम्स डिलिंघम यंग, जिस का डेला नाम से पहले परिचय कराया गया, उसे "जिम" कहकर जोर से गले लगाया करती थी. जो सब बहुत अच्छा लगता है.

डेला ने अपना रोना समाप्त किया और कपड़े से गाल पर पाउडर लगाया. वह खिड़की के पास खड़ी हो गई और धुंधली नजर से घर के धूसर पिछवाड़े आंगण में धूसर चारदिवारी पर घुम रही धूसर बिल्ली को देखते लगी. कल बड़ा दिन और उसके पास मात्र एक डॉलर और सत्तासी सेंट थे, जिन से जिम के लिये एक उपहार खरीदना पड़ेगा. इतने महीनों से एक-एक पाई बचाने के बाद भी यह हालत है. बीस डॉलर प्रति सप्ताह ज्यादा दिन नहीं चलते हैं. खर्चे उसके अनुमान से ज्यादा हैं. जैसा कि हमेशा होता है. केवल एक डॉलर और सत्तासी सेंट जिम का उपहार खरीदने के लिए. उसका अपना प्रिय जिम.

कितने घंटों से खुश हो कर उसने जिम के लिये कुछ अच्छा खरीदनेकी योजना बनायी थी. कोई अच्छी चीज, कोई दुर्लभ और उत्कृष्ट वस्तु, ऐसा कुछ जिस से वह अपने आप पर जिम की पत्नी होने का गर्व करें.

कमरे में खिड़कियों के बीच एक तंग कांच लगा था. $8 किराये के फ्लैट में आप ने शायद ऐसा कांच देखा होगा. शायद एक पतला और चुस्त व्यक्ति इस कांच के सामने तीव्र गति से गजरते हुए अपनी आकृति की एक-एक लंबा हिस्से का टुकड़ा एक साथ जोड़ कर अपने पूरे रूप का सटीक अनुमान लगा सकता है. डेला पतली होने के कारण इस कला में माहिर थी.

अचानक वह खिड़की से घुमकर शीशे के सामने खड़ी हो गयी है. उसकी आँखें चमक रही थीं, पर बीस सेकंड के अंदर उसके चेहरे का रंग उतर गया. तेजी से उसने अपने बाल खोलकर नीचे लहरा दिये.

अभी श्रोताओंको एक बात बताना जरूरी है कि जेम्स डिलिंघम यंग नामक दम्पति की केवल दो संपत्तियां थीं जिन पर उन दोनों को अत्यन्त गर्व था. एक जिम की सोने की घड़ी, जो उसकी पिता-दादा की जायदाद थी. और दूसरी—डेला के केश. अगर शबा की महारानी स्वयं उनकी सामनेवाली फ्लैट में रहती तो डेला कभी अपने बाल खोलकर खिड़की से बाहर लहराकर उसके गहनों की शोभा कम कर देती. और अगर खुद सम्राट सुलैमान इस फ्लैट के तहखाने में ढेर लगे खजाने का मालिक बन जाता, तो जिम उसके पास से गुजरने पर हर बार अपनी घड़ी बाहर निकालता, कि देखें कैसे सुलैमान ईर्ष्या से अपनी दाढ़ी खींचता है.

अब डेला के बाल उसके चारों तरफ बिखर कर भूरे पानी के झरने की तरह लहरा रहे थे. बालों ने घुटनों के नीचे तक पहुंच कर उसे कपड़े की तरह ढक लिया था. डेला ने घबराकर जल्दी से बालों को ऊपर उठाया एक क्षण के लिये लड़खड़ा कर फिर सीधी खड़ी हो गयी, जबकि एक-दो आंसू उसकी आंखों से निकल कर लाल कालीन पर छिटक गये.

उसने अपना पुराना भूरे रंग का जैकेट पहना, और भूरे रंग का पुराना हैट. और फिर तेजी से आँखों में शानदार चमक लिये. अपनी स्कर्ट को लहराती हुए दरवाजे से बाहर निकली और सीढ़ियों से उतर कर नीचे सड़क पर चलने लगी.

जहां वह जाकर रुकी वहां एक दुकान के बोर्ड पर लिखा था: " मैडम जाफरानी. यहां केश की सभी सामग्री के लिये सम्पर्क करें". डेला तुरंत दौड़ कर सीढ़ियों से ऊपर गयी, और अपने आपको संभाल कर हांफते हुए अंदर गयी. मैडम बड़ी थी, उसके त्वचा और बाल बहुत ज्यादा सफेद थे, और वह रुखी स्वभावा थी. संक्षेपतः, वह बिलकुल जाफरान जैसी नहीं लगती थी.

डेला ने पूछा,"क्या आप मेरे बाल खरीदेंगी ?"

"हां बिल्कुल, मैं बाल खरीदती हूं," मैडम ने कहा. "अपनी टोपी उतार, तेरा क्या है जरा देखें."

बाल भूरे पानी के झरने की तरह लहराने लगे.

मैडम ने अपने अनुभवी हाथों से बाल पकड़ कर कहा, "बीस डॉलर."

डेला ने कहा, “ठीक है, मुझे तुरंत पैसे दे दो.”

आहा! अगले दो घंटे कैसे गुलाबी पंखों पर उड़ गये! ना, ना, यह अनुपयुक्त रूपक भूल जाओ. जिम के उपहार के लिये वह उत्तेजित होकर उन्मादिता-सी दुकानों को उलट-पालट कर रही थी.

आखिर में उसे मिल ही गया, जो निश्चित रूप से जिम के लिए ही बना था, अन्य किसी के लिये नहीं. किसी दुकान में इस जैसा कुछ और नहीं था, क्योंकि उसने सब दुकानों को उलट-पालट करके देखा था. यह एक प्लैटिनम की चेन थी, यह एक प्लैटिनम की साधारण और पवित्र डिजाइन वाली चेन थी, जिसकी कीमत उसकी चमक-दमक और नक्काशी से नहीं, बल्कि धातु के स्वाभाविक गुण से ही पता चल जाती है. जैसा सब अच्छी चीजों के लिये लागू होना चाहिये. और यह चेन जिम की घड़ी के लायक भी थी. यह जिम की तरह शालीन और मूल्यवान थी.

उस ने चेन का मूल्य इक्कीस डॉलर चुकाया और बाकी सत्तासी सेंट लेकर शीघ्र घर वापस आयी. उसने सोचा कि आज से जिम अपनी घड़ी में चेन लगाकर कभी भी कहीं भी लोगों के बीच अपनी घड़ी में समय देख सकेगा. इतनी शानदार घड़ी होने के बावजूद उसे देखने में जिम को शरम आती, क्योंकि इस में चेन की बजाय चमड़े का एक पुराना पट्टा था.

जब डेला घर पहुंची तो उसका नशा दूर हुआ और थोड़ा होश आया. उसने कर्लिंग आइरन निकाल कर गैस जलायी और प्यार की उदारता से जो नुकसान हुआ, उसे सुधारने के लिये बाकी बचे बालों को घूंघराला बनाने लगी. हे प्रिय मित्रो ! ऐसा नुकसान भरपायी करना कभी आसान नहीं है.

चालीस मिनट के अंदर उसका सिर छोटे छोटे घूँघराले बालों से ढक गया. अभी वह अजीब ढंग से इस्कूल से भागे हुए एक बच्चे की तरह लग रही थी. उसने आईने में अपने-आपको देर तक बड़ी गौर से देखने के बाद सोचा, “अगर जिम मुझे जान से मार न डालें तो मुझे दुबारा देखने के पहले ही कहेगा कि मैं कोनी आइलैंड की नर्तकी की तरह लगती हूं. हाय ! लेकिन मैं एक डॉलर और सत्तासी सेंट से क्या कर पाती ?"

सात बजते ही कॉफी बन चुकी थी और स्टोव के पीछे फ्राइंग पैन खाना बनाने के लिए तैयार रखा था.

जिम कभी देर से नहीं आता. डेला ने चेन को अपने हाथ में रखा और दरवाजे के पास मेज के कोने पर बैठ गयी. फिर उसने नीचे सीढ़ियों पर जिमके कदमों की आहट सुनी तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया. वह हमेशा मामुली मामलों के लिये भी मौन प्रार्थना किया करती थी, आज भी वह फुसफुसायी, "हे भगवान ! कि मैं आज भी उसे पहले जितनी सुंदर लगूं."

दरवाजा खुला और जिम ने अंदर आ कर इसे बंद कर दिया. देखने में वह पतला और गंभीर था. बेचारा, सिर्फ बाईस साल का था और इसी उम्र में भी एक परिवार का बोझ उसके कांधों पर था. उसे एक नये ओवरकोट की जरूरत थी और हाथों पर दस्ताने भी थे नहीं.

दरवाजे के सामने जिम रुक कर ऐसे निश्चल खड़ा हो गया जैसे बटेर की गंध पाके शिकारी कुत्ता. उसकी दृष्टि डेला पर टिकी थी और उसकी आंखों में जो भाव आया था, जिसे डेला समझ नहीं पायी. वह भयभीत हो गयी. जिम को न गुस्सा था, न आश्चर्य, न ही अस्वीकृति, न सदमा. ऐसा कोई भाव नहीं था जिस के लिये वह तैयार थी. बस वह उसी भाव से टकटकी लगा कर उसे घूर रहा था.

डेला टेबिल के पीछे से खिसक कर जिम के पास पहुंची.

"प्रिय जिम!" डेला चिल्लायी, "मुझे एसे मत घूरो. मैंने अपने बाल कटवा कर इस लिये बेच दिये कि मैं तुम्हे एक अच्छा-सा उपहार दिये विना नहीं रह सकती. मेरे बाल फिर बड़े हो जाएंगे. मेरे बाल तेजी से बढ़ते हैं. आप बुरा मत मानो. मुझे बस यह सब करना पड़ा. चलो, अब खुश होकर एक बार 'मेरी क्रिसमस!' कहो. तुम्हें पता नहीं है मैं तुम्हारे लिए कितना सुंदर उपहार लायी हूं!"

जिम ने हिचकिचाते हुए पूछा, "क्या तुम ने बाल कटवा दिये?” जैसे कि कठिन मानसिक उलझन के कारण अभी भी मुद्दा समझ नहीं पाया.

डेला ने जवाब दिया, "हां, जिम, कटवा कर बेच भी दिये. क्या मैं तुम्हें ऐसे अच्छी नहीं लगती हूं ? मैं बालों के विना भी वही डेला हूं, न?"

जिम अचरजता से कमरे की चारों तरफ निहारता था. बेवकूफ का सा फिर सवाल पुछा, "तुम कहती हो कि तुम्हारे बाल चले गये ?"

"ऐसे ढूंढ़ने का कोई लाभ नहीं,” डेला ने कहा, “बताया हूं, बेच दिये. बिक चुके हैं. बस खतम. आज क्रिसमस की शाम है, जिम. दया करो, मेरे साथ अच्छी बातें करो, क्योंकि ये बाल मैं ने तुम्हारे लिए कटवाये हैं. शायद मेरे सिर के बाल गिने जा सकते हैं..." गभीर होकर मधुरता से कहने लगी. "लेकिन मेरे प्यार की गिनती कोई नहीं कर सकेगा... क्या अभी खाना चढ़ा दूँ, जिम ?"

जिम जैसे बेहोशी से एक दम जागा हो. उस ने उठ कर डेला को अपने बांहों में भर लिया. दस सेकंड के लिए हम किसी दूसरी तरफ ध्यान दें और कुछ अलग तरह से विचार करें. देखिये, हफ्ते में आठ डलार या वर्ष मैं एक करोड़, इस से क्या फ़र्क पड़ता है ? कोई गणितज्ञ या वाक्पटु व्यक्ति गलत की जवाब देगा.

जो मागोइ जेसू के पास आये थे, वे मूल्यवान उपहार लाये थे, पर उनके उपहारों में ये सब नहीं था. इस गंभीर रहस्य पर हम बाद में रोशनी डालेंगे.

जिम ने अपने ओवरकोट की जेब से एक पैकेट निकाला और मेज पर फेंक दिया.

"मुझे गलत मत समझो, डेल," उसने कहा, "तुम्हारे बाल कटवाने, गंजी हो जाने या शैम्पू करने से मेरा तुम्हारे प्रति प्रेम कम नहीं होता. लेकिन अगर तुम यह पैकेट खोलोगी, शायद तुम समझ जाओगी मैं क्यों घबराया."

सफेद फुर्तीली उंगलियों के द्वारा डेला स्ट्रिंग और कागज फाड़ने लगी. फाड़ते ही खुशी की लहर दौड़ गयी और फिर हाय! क्षण भर बाद औरतों की तरह आँसू और रोना-धोना शूरु हो गया. जिस के कारण उनकी सान्त्वना देने के लिये गृह स्वामी को अपनी सारी शक्तियों का प्रयोग करना पड़ा.

क्योंकि, पैकट में उन कंघियों का सेट था, जिन्हें डेला काफी समय से ब्रॉडवे की एक दुकान की खिड़की में देख कर पाने की कामना करती थी. उसके सुंदर बालों में दायें-बायें और पीछे लगाने वाली कंघियां, असली कछुए के खोल से बनी और रत्नों से सुसज्जित थीं. बस उतनी सुंदर जितने उसके गायब हुए बाल. वे कंघियां महंगी थीं, डेला जानती थी. इन कंघियों के पाने की लेश मात्र उम्मीद नहीं होने के बाद भी, उसका दिल उनके लिये कितना तरसता और लालायित रहता था. और अब, वे उसकी थीं, लेकिन इनसे सजाने संवारने वाले बाल जा चुके थे.

डेला ने इन कंघियों को छाती से लगा लिया और भरी हुई आँखों से ऊपर देख कर मुस्काते हुए बोली: "जिम, मेरे बाल बहुत तेजी से बढ़ते हैं !"

अचानक डेला छोटी बिल्ली की तरह उछल कर चिल्लायी, "ओह, ओह !" जिम ने अभी तक उसका सुंदर उपहार नहीं देखा है. डेला ने उत्सुकता से उसे अपनी हथेली पर रखा था. यह कीमती धुंधली धातु डेला के जोश और उत्साह की तरह चमक रही थी.

"वाकई यह अति सुंदर है न, जिम ? इसके लिये मैंने पुरा शहर छान मारा. अब आप दिन में सौ बार घड़ी में समय देख सकते हो. घड़ी दो मुझे. मैं देखना चाहती हूं कि यह चेन उस पर कैसी लगती है."

उसकी बात मानने के बजाय जिम ने सोफे पर गिर कर अपने हाथों को सिरे के पीछे रख लिया और मुस्कुराने लगा.

"डेल," उसने कहा, "चलो, कुछ देर के लिये अपने क्रिसमस के उपहार एक तरफ रख दें. ये बेश कीमती चीजें हैं जो अभी इस्तेमाल नहीं कर सकते. मैं ने तुम्हारी कंघी खरीदने के लिए अपनी घड़ी बेच दी. अब तुम शायद खाना बना सकती हो."

मागोइ दूरदर्शी लोग थे, जैसे आप सब जानते होंगे, कितने दूरदर्शी थे वे. वे चरनी के शिशु के लिए तोहफे लाये थे. इस तरह उन्होंने क्रिसमस के समय तोहफे देने की प्रथा को जन्म दिया. दूरदर्शी होने के नाते, उनके उपहार निःसंदेह उपयुक्त थे, संभवतः किसी उपहार के दो बार मिलने पर अदला-बदली करने का अधिकार भी मिल जाता था. और यहाँ मैं ने आप के लिए असंतोषजनक ढंग से एक फ्लैट में रहनेवाले दो मूर्ख बच्चों की कथा सुनायी, जिन्होंने बड़े भोलेपन से एक दूसरे के लिये अपने घर की सब से बड़ी सम्पत्तियां न्यौछावर कर दी.

लेकिन समझदार और दूरदर्शी लोगों के लिए एक अंतिम वाक्य कहा जाए, कि दुनिया के समस्त उपहार देनेवालों में से यह जोड़ी समझदार और दूरदर्शी है. हे साधु जन! मेरी सुनिये ! सर्वत्र सर्वदा ऐसे लोग सब से समझदार और दूरदर्शी उपहार देने वाले हैं. मागोइ वे ही हैं.


The Gift of the Magi by O. Henry. Translated by Jagat and Vivek Arya.