Tuesday, May 25, 2010

2010-05-26 ब्रज का समाचार

भगवान नृसिंह का आज मनाएंगे प्राकट्योत्सव


प्राचीन मंदिरों में मस्तकाभिषेक की तैयारी
परंपरा : द्वारिकाधीश में आज होगी लीला, गली-मोहल्लों में पूर्वाभ्यास तेज


मथुरा (AU, May 26, 2010)। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान नृसिंह का प्राकट्योत्सव बुधवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इसके साथ ही गली-मोहल्लों में नृसिंह लीला का दौर शुरू हो जाएगा। अद्भुत संगीत और विलक्षण नृत्य के लिए मशहूर इस महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से पूर्ण कर ली गई हैं।

नृसिंह जयंती का त्यौहार ब्रज में धूमधाम से मनाया जाता है। गली-मोहल्लों में भगवान नृसिंह, वाराह, हिरण्यकशिप, काली और ब्रह्मा के स्वरूप पूर्वाभ्यास में जुट गए हैं। इन स्वरूपों के मुखौटों को आकर्षक ढंग से सजाया गया है। बुधवार को प्रातः जहां मंदिरों में भगवान नृसिंह के जन्मोत्सव की धूम रहेगी, वहीं जगह-जगह मुखौटों का पूजन किया जाएगा।

असकुंडा स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर पर मध्याह्न १२ बजे श्री विग्रह के महामस्तक का पंचामृत अभिषेक होगा। सायं नृसिंह भगवान के फूल बंगला सजेगा। ज्योतिषाचार्य पं. मनोज मिश्र ने बताया कि तत्पश्चात असकुंडा घाट पर यमुना महारानी का दीपदान किया जाएगा। नव युवक भ्रात मंडल के तत्वावधान में नृसिंह जयंती समारोह बुधवार को एक बजे गताश्रम टीले पर होगा।

इसी तरह सतगघड़ा स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर पर प्रातः भगवान नृसिंह का पंचामृत अभिषेक करने के साथ-साथ प्रसाद वितरण होगा। यहां नृसिंह लीला की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। मंदिर महंत चिम्मनलाल शर्मा के अनुसार गुरुवार को नृसिंह लीला का आयोजन किया जाएगा। इससे पूर्व भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में बुधवार को पांच बजे से नृसिंह लीला का आयोजन होगा। मंदिर प्रवक्ता राकेश तिवारी ने बताया कि नृसिंह लीला की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं।



एसजीएसवाई: ब्रज रज, गोबर व गोमूत्र की त्रिवेणी


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। भारत सरकार की रोजगार परक स्वर्ण जयंती ग्राम स्व-रोजगार योजना अंतर्गत गठित स्वयं सहायता समूहों को कृष्ण लीलाओं की ऐसी मूर्तियां बनाने को प्रेरित किया जा रहा है जिनमें ब्रज रज के साथ ही गोबर और गोमूत्र का ही प्रयोग किया जाए। मिट्टी की इन मूर्तियों को प्राकृतिक रूप से पकाकर पैकिंग में बिक्री से अच्छी आमदनी तो होगी ही, मथुरा की प्राचीन मूर्तिकला का भी प्रचार-प्रसार होगा।

विकास भवन के केन्द्रीय सभागार में मंगलवार को स्वर्ण जयंती ग्राम स्व-रोजगार योजना के स्वयं सहायता समूहों को सम्बोधित करते हुए सीडीओ अजय शंकर पाण्डेय ने उन्हें भैंस पालन जैसे परंपरागत काम-धंधों से हटकर नये व्यवसाय चुनने की सलाह दी। इसी परिप्रेक्ष्य में उनसे कंठी माला, वस्त्र छपाई, चरखा एवं पीतल के साथ सेलम की मूर्तियां बनाने के लिए कहा गया।

सीडीओ ने खासतौर पर कुम्हारी कला से जुड़े स्वयं सहायता समूहों को लक्षित करते हुए उनसे कृष्ण लीलाओं पर आधारित मिट्टी, गोबर एवं गोमूत्र से मूर्तियां बनाने का आह्वान किया। अत्यंत कम लागत से शुरू किया जा सकने वाला व्यवसाय उन्हें बहुत कम समय में अच्छा मुनाफा दिला सकता है। सीडीओ ने बैठक में मौजूद जिला प्रशिक्षण अधिकारी जेके त्रिवेदी को इस काम के इच्छुक स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित करने के साथ ही रोजगार में स्थापित कराने के निर्देश भी दिये।

सीडीओ की इस बैठक में मौजूद 32 स्वयं सहायता समूहों के 80 स्व-रोजगारी मौजूद थे, जिनमें 45 महिलाएं बताई गई।



फिर खुशबू बिखरेंगे मंदिर में मुरझाए फूल


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। वन विभाग ने योजना बनाई है कि मंदिरों में ठाकुरजी के विग्रहों पर चढ़ने वाले फूल अब कूड़ा न बनने पायें। वृंदावन के मंदिरों से मुरझाए फूलों को एकत्र कराकर धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाई जाएगी। वन विभाग ने प्लांट का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।

वृंदावन के प्रसिद्ध मंदिर बांके बिहारी, राधा-बल्लभ, इस्कॉन, राधा-दामोदर, राधा-रमण, शाहजी, गोविंद देव, कात्यायनी एवं राधा-श्याम सुंदर समेत अन्य दर्जनों मंदिरों में हजारों क्विंटाल फूल चढ़ाए जाते हैं। विशेष अवसरों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बड़ी मात्रा में फूलों का प्रयोग किया जाता है। मई-जून में ठाकुर जी को ठंडक पहुंचाने के लिए फूल बंगला सजाए जाते हैं। मंदिरों में चढ़ने वाले फूल फिर किसी काम नही आते।

इन फूलों को या तो कूड़े के ढेरों पर डाला जा रहा है या फिर यमुना में प्रवाहित कर दिया जाता है। यमुना में फूलों को प्रवाहित किए जाने से प्रदूषण बढ़ रहा है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने मंदिरों में चढ़ाए जा रहे फूलों का पुन: इस्तेमाल किए जाने की योजना तैयार की है।

वन संरक्षक आगरा वृत्त विभात्स रंजन ने बताया कि मंदिरों को साफ सुथरा रखने और यमुना में प्रवाहित किए जाने वाले फूलों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए विभाग ने योजना तैयार कर प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। उन्होंने बताया कि मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों का पुन: इस्तेमाल किए जाने को पहले वृंदावन में प्लांट की स्थापना कराई जाएगी। इसमें धूप बत्ती एवं अगरबत्ती बनाई जाएंगी। वर्मी कम्पोस्ट बनाए जाने की योजना भी इसमें शामिल की गई है।

इस काम में पहले से गठित वन विकास अभिकरण के अंतर्गत संयुक्त समितियों को लगाया जाएगा। समितियों को विभागीय स्तर पर पूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि पहले मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों की मात्रा का सर्वे कराया जा रहा है। इसकी जानकारी जुटाने के बाद ही प्लांट की प्लानिंग की जाएगी।

इसमें स्थानीय संतों का भी सहयोग लिया जाएगा। उनकी राय जानने के बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा। डीएफओ डॉ. केएल मीणा ने बताया कि जल्द ही मंदिरों में चढ़ने वाले फूलों का सर्वे कराया जाएगा। सर्वे में यह देखा जाएगा कि खास तिथियों में कितने फूल चढ़ते हैं और सामान्य दिनों में कितने। चढ़ने वाले फूलों की औसत मात्रा निकलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।



छाता व गोवर्धन में भी बनेंगे शहरी गरीब आवास


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना में अब गरीबों के मकान छाता व गोवर्धन में भी बनाये जाएंगे। गोवर्धन में आवास बनाने के लिये अभी जमीन की तलाश पूरी नहीं हो पायी है, जबकि छाता, वृंदावन और कोसी में स्थल का चयन हो चुका है और एसडीएम से नक्शा मांगा जा रहा है।

इस योजना में पिछले दिनों तक केवल वृंदावन और कोसीकलां में ही शहरी गरीबों के लिये क्रमश: 725 और 300 मकान बनाये जाने की बात कही जा रही थी। लेकिन अब इस फेहरिस्त में गोवर्धन और छाता क्षेत्र के नाम भी शामिल हो गये हैं। गोवर्धन में दो सौ और छाता क्षेत्र के शहरी गरीबों के लिये 275 मकान बनाये जाएंगे। ये मकान वित्तीय वर्ष 2009-10 में ही बनाये जाने थे, धनराशि भी उपलब्ध थी, लेकिन निर्माण इकाई मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण को जिला प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं करा पा रहा था। अब जमीन उपलब्ध हो गई है। मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के सचिव मानवेंद्र सिंह के अनुसार, वृंदावन में मकानों को बनाने के लिये मांट पार्किंग स्थल के पास आठ एकड़ भूमि, कोसी में जिला पंचायत स्कूल के नाम पर उपलब्ध भूमि तथा छाता में तीन एकड़ भूमि का चयन कर लिया गया है। कोसी में जिला पंचायत स्कूल के नाम उपलब्ध भूमि के पुन: अधिग्रहण कार्यवाही के लिये जिला प्रशासन द्वारा कमिश्नर को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।

गोवर्धन में दो सौ मकान बनाने के लिये अभी स्थल चयन को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है, लेकिन गोवर्धन बस अड्डा से करीब दो किलोमीटर दूरी पर स्थित भूमि जिला प्रशासन और विप्रा अफसरों को भा गई है। एसडीएम छाता व एसडीएम सदर से संबंधित स्थलों का नक्शा बनाकर उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं।



रिकार्ड तोड़ गर्मी से जनजीवन बेहाल


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। रिकार्ड तोड़ गर्मी से बेहाल जनजीवन बस यही पुकार कर रहा है कि 'हे, सूर्य देव अब तो रहम करो'। आसमान से बरस रही आग तापमापी पर पारे को बढ़ाए हुए है। मंगलवार को जिले का औसत तापमान 46.2 डिग्री सेल्सियस पर जाकर रुका। घरों में पारा 47 डिग्री सेल्सियस पार कर गया।

गर्मी ने अपने पिछले रिकार्ड को ध्वस्त कर दिया है। सूर्य ने एक बार फिर अपनी प्रचंडता दिखाई। आसमान से फिर आग बरसी। आसीटी/सीपीटी के ब्लॉक स्तर पर लगे थर्मामीटरों में पारा उछाल भर गया। सदर में पिछले एक सप्ताह से पारा 46 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है। मंगलवार को तापमापी पर 46.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जबकि घरों में पारा 47 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच गया। बीती रात गोवर्धन में हुई छिटपुट बूंदाबांदी के बाद भी पारे में खास गिरावट नहीं आई। 46.6 डिग्री तक पहुंचा तापमान मामूली गिरावट के साथ 46.3 डिग्री सेल्सियस पर आकर रुक गया। फरह में दूसरे दिन भी तापमान 45 डिग्री सेल्सियस ही बना रहा। चौमुहां में पारा 45.7 से बढ़कर 46.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। नंदगांव में भी पारे की यही स्थिति बनी रही। छाता में .8 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ तापमान 45.8 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड कियागया। नौहझील में पारा 46 डिग्री सेल्सियस से बढ़कर 46.5 डिग्री सेल्सियस पर जाकर रुक गया। मांट में पारे ने एक डिग्री सेल्सियस से अधिक की बढ़ोत्तरी दर्ज कराई। यहां पारा 45.3 डिग्री सेल्सियस रहा। राया में पारा 44.6 डिग्री सेल्सियस पहुंचा, लेकिन बलदेव में दो डिग्री सेल्सियस की उड़ान भर कर पारा 44.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया। औसत आ‌र्द्रता में भी दो फीसदी की कमी आ गई। वायुमंडल में नमी 17 फीसदी से घटकर 15 प्रतिशत रिकार्ड की गई। मौसम के जानकारों को कहना है कि फिलहाल भीषण गर्मी से निजात मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। हालांकि बीती रात गोवर्धन क्षेत्र में छिटपुट बूंदाबांदी के साथ मौसम ने बदलाव के संकेत दिए हैं।

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सारणी बनाकर लगाएं
कृषि संभागीय परीक्षण एवं प्रदर्शन केंद्र राया पर रिकार्ड पिछले बारह साल का मई में अधिकतम तापमान
वर्ष ------ तापमान
1999-------43
2000-------44
2001-------44
2002-------45
2003-------45
2004-------45
2005-------43
2006-------44
2007-------43
2008-------44
2009-------45
2010---मंगलवार को 45
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फोटो परिचय-
एमटीएच 2-यमुना में सुबह ठंडक लेने का प्रयास करते पक्षी।
एमटीएच 4- मंडी चौराहे के पास पूर्वाह्न ग्यारह बजे सुनसान सड़क।
एमटीएच 5-स्टेट बैंक चौराहे पर सुबह साढ़े आठ बजे का नजारा।



पशुओं में फैला रोग


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। जनपद के बलदेव ब्लॉक के गांव बंदी में पशुओं में खुरपका-मुंहपका जैसी जानलेवा बीमारी फैल गई है। बीमारी की चपेट में आकर दो भैंस काल का शिकार बन गई। सैकड़ों पशु बीमारी से ग्रसित है। पशु चिकित्सकों की टीम न पहुंचने से पशुपालकों के होश उड़े हुए हैं।

पशुओं में फैलने वाली खुरपका-मुंहपका जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए पशु पालन विभाग द्वारा टीकाकरण कराया जा रहा है। हर साल होने वाले टीकाकरण के बाद भी पशुओं में खुरपका-मुंहपका का प्रकोप फैल रहा है। वैक्सीनेशन के बाद भी रोग फैलने से वैक्सीन को लेकर सवाल उठने लगे हैं। माना यह जा रहा है कि या तो वैक्सीन की मात्रा पशुओं को कम दी जा रही या फिर टीकाकरण सही तरीके से नहीं हो रहा है।

अब जनपद के ब्लॉक बलदेव के गांव बंदी में सैकड़ों पशु खुरपका-मुंहपका बीमारी की चपेट में आ गए हैं। पशुपालक शिवराज, निहाल सिंह, रीतराम, विकास आदि ने बताया कि बीमारी की चपेट में आकर सतीश और कैलाश की एक-एक भैंस काल का शिकार बन गई। पशुपालकों ने बताया कि पशुओं में फैली बीमारी की सूचना पशु चिकित्सकों को दी गई, लेकिन अभी तक डॉक्टरों की टीम गांव में उपचार के लिए नहीं पहुंची है।



आवंटन से कम मिल रहा सिंचाई को पानी


मथुरा (DJ, May 26, 2010)। गंगा-यमुना में पानी की कमी से जिले के किसानों की मुसीबतें बढ़ी हुई हैं। आगरा और मांट कैनाल को आवंटन से कम पानी मिल रहा है। इस स्थिति में रजवाह रोस्टर के हिसाब से नहीं चल पा रहे हैं। हालात यह हैं कि कई रजवाहों के कुलावों में पानी नहीं निकल पा रहा है।

भीषण गर्मी में पेयजल के लिए ही नहीं सिंचाई के लिए भी पानी की कमी पड़ रही है। गंगा-यमुना जैसी प्रमुख नदियों में भी पानी का स्तर कम हो गया है। गंगा से आगरा कैनाल और मांट ब्रांच को मिलने वाला पूरा पानी नहीं मिल पा रहा है। मांट ब्रांच के हैड देहरा पर 1900 क्यूसेक पानी आवंटन किया गया था, लेकिन मंगलवार को हैड पर 900 क्यूसेक पानी ही उपलब्ध हो पाया। बताया गया है कि इस पानी में 200 क्यूसेक पानी हरनौल स्केप के माध्यम से आगरा-मथुरा की पेयजल सप्लाई के लिए दिया जा रहा है। जबकि 250 क्यूसेक पानी हाथरस में पड़ने वाली नहरों के संचालन को दिया जा रहा है। मांट ब्रांच में 200 क्यूसेक से अधिक की जल हानि हो रही है। शेष पानी को बाजना और सादाबाद रजवाह में चलाया जा रहा है। इन रजवाहों के कुलावों से बाहर पानी नहीं निकल रहा है। तली में पानी चलने से किसान खेतों की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं। अपर खंड आगरा कैनाल को पानी नहीं मिल पा रहा है, जबकि लोअर खंड आगरा कैनाल को पानी दिया जा रहा है। बताया गया है कि लोअर खंड आगरा कैनाल को 1300 क्यूसेक पानी मिलना चाहिए था, लेकिन फिलहाल 1000 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है।



पहले दिन यमुना से पांच ट्राली सिल्ट निकाली गई


योजना : कालिंदी की सिल्ट निकालने का अभियान शुरू
बंगाली घाट और विश्राम घाट पर की गई सफाई


मथुरा (AU, May 26, 2010)। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पहल पर यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के लिए लगातार एक माह तक सिल्ट निकालने की वृहद योजना पर मंगलवार से कार्य प्रारंभ हो गया। बोर्ड के योजना में प्रमुख सहयोगी नगर पालिका को बनाया गया है, जिसके कर्मिकों ने तत्परता से सिल्ट निकालने का कार्य किया। इस अवसर पर जागरूक, धर्मसेवी व स्वयंसेवी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। सफाई अभियान का स्थानीय लोगों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा २५ मई से २१ जून तक रोजाना यमुना में जमा सिल्ट (कीचड़) निकलवाने का कार्य किया जाएगा। नगरपालिका के कर्मिक व स्वयंसेवी इस काम में बोर्ड का पूर्ण सहयोग करेंगे। योजना पर लाखों रुपये खर्च होने हैं, जिसकी व्यवस्था पॉल्यूशन बोर्ड व इंड्रस्ट्रियल उद्योगपति मिलकर करेंगे। इस संबंध में बोर्ड अधिकारियों व उद्योगपतियों की बैठक सोमवार को हुई। इसमें व्यय व्यवस्था के प्रति उद्योगपतियों की सहमति भी प्राप्त हो गई।

इसी क्रम में मंगलवार को सुबह तीन घंटे सिल्ट हटाओ अभियान चलाया गया। सुबह छह से नौ बजे तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी आरके सिंह, सहायक वैज्ञानिक अधिकारी अरविंद कुमार, एके तिवारी, सत्य विजय सिंह, नागेश्वर शुक्ला यमुना घाटों पर जमे रहे। इस दौरान पहले दिन बंगाली घाट व विश्राम घाट से पांच ट्राली सिल्ट हटवाई गई। इससे

स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली।



परिक्रमार्थियों से भरी बस पलटी, तीन गंभीर


दो दर्जन से अधिक लोग हुए चुटैल :
दर्दनाक, गोवर्धन-सौंख रोड पर नगला अक्खा के समीप हादसा


सौंख (AU, May 26, 2010)। गोवर्धन परिक्रमा के लिए जाते राजस्थान के श्रद्धालुओं से भरी बस मंगलवार सायं गोवर्धन-सौंख रोड स्थित नगला अक्खा के समीप पलट गई। एक महिला सहित तीन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दो दर्जन सवारियां चुटैल हो गइर्ं। सभी घायलों को भरतपुर के अस्पताल ले जाया गया है।

जाजमपट्टी रेलवे स्टेशन पर बड़ी संख्या में राजस्थान से श्रद्धालु गोवर्धन की परिक्रमा करने के लिए आते हैं। जाजमपट्टी से चलने वाली प्राइवेट बस इन श्रद्धालुओं को सीधे गोवर्धन के लिए ले जाती हैं। मंगलवार सायंकाल करीब साढ़े छह बजे बस यूपी-८६ बी ९११० राजस्थान के यात्रियों को गोवर्धन के लिए ले जा रही थी। रास्ते में नगला अक्खा के समीप ओवरटेक करने के प्रयास में बस स्पीड ब्रेकर के निकट पलट गई।

बस के पलटते ही सवारियां चीख-पुकार करने लगीं। देखते ही देखते काफी लोग बस में फंसे श्रद्धालुओं को निकालने में जुट गए। बाबा कढ़ेरा सिंह विद्यालय के प्रबंधकों को भी दुर्घटना का पता लगा तो उन्होंने अपनी एंबुलेंस घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए लगा दी। दुर्घटना में हिंडोन निवासी हरीचरन पुत्र शिवचरन, रुपवास निवासी भगवानदेई पत्नी रामसरन एवं हिंडोन निवासी संजू पुत्र मोहन गंभीर रूप से घायल हो गए। तीनों घायलों को भरतपुर भेज दिया गया। इसके साथ ही दो दर्जन चुटैल विभिन्न अस्पतालों में उपचार कराने के बाद अपने घरों को लौट गए।

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