Monday, May 24, 2010

वृन्दावन की परिस्थिति और शोचनीय बनती है

वृंदावन प्रोजेक्ट: परियोजनाएं हो पाएंगी समय से पूरी

मथुरा (DJ, May 24, 2010) । वृंदावन प्रोजेक्ट की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने बेशक अफसरों को परियोजनाओं को समय से पूरा करने के निर्देश दिये हैं, लेकिन पहले से ही लेट-लतीफी की शिकार परियोजनाएं नई तय समय सीमा में भी शायद ही पूरी हो पाएं। तमाम परियोजनाओं के लिये लखनऊ अब धन का पिटारा खोलने में विलंब कर रहा है तो कुछ विकास कार्यो के पूरा होने में निर्माण एजेंसियों के आपसी तालमेल की कमी आड़े आ रही है।

प्रोजेक्ट के साथ किये जा रहे मजाक की एक बानगी देखिये-वृंदावन नगर की सीवरेज परियोजना अंतर्गत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना का कार्य पूर्ण करने के लिये जल निगम ने इस साल दिसंबर माह तक का समय तय किया है। एसटीपी स्थापना के लिये राजपुर खादर में भूमि को चिन्हित करने का दावा किया जा रहा था, लेकिन जिला प्रशासन के अफसरों ने जब इस बारे में पूछताछ की तो जल निगम ने भूमि उपलब्धता से ही इंकार कर दिया। सीवर लाइन डालने का कार्य धीमी गति से कराये जाने का असर वृंदावन परिक्रमा मार्ग के निर्माण पर भी पड़ रह है।

दस किमी लंबाई में वृंदावन परिक्रमा मार्ग का निर्माण पहले बीती 31 मार्च तक पूरा कराये जाने की तिथि निर्धारित कर दी गई थी, बाद में यह जून तक बढ़ा दी गई। इस समयावधि में भी सीवरेज लाइन बिछ जाये तो बड़ी बात होगी। लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया है कि सीवर लाइन डालने का कार्य चलने तक मार्ग का निर्माण संभव नहीं है। परिक्रमा मार्ग पर दस किमी लंबाई में सीवर लाइन पड़नी है, दो साल पहले इस परियोजना का शिलान्यास हुआ था और पिछले दिसंबर माह में ही सीवरेज लाइन पड़ जानी चाहिये थी, जबकि अभी केवल पांच किमी लंबी लाइन ही पड़ सकी है। सीवरेज लाइन का कार्य चलने की वजह से इस समय करीब पूरे वृंदावन नगर की सड़कें खुदी पड़ी हैं। वाहन चालकों के साथ ही पैदल यात्रियों को भी यहां से आवाजाही में दिक्कत आ रही है।

लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने साफ कर दिया है कि यदि सीवर का कार्य जून तक पूर्ण करा दिया जाये तो वे परिक्रमा मार्ग का निर्माण अक्टूबर तक पूरा कर देंगे। जिलाधिकारी डीसी शुक्ल ने लोक निर्माण विभाग के अफसरों को सीवर लाइन डलने के बाद सड़क का निर्माण भी साथ ही साथ शुरू कराकर जून तक ही पूरा करने के लिये कहा है। परियोजनाओं के पूरा होने में धन की कमी भी आड़े आ रही है। परिक्रमा मार्ग पर जरूरी सुविधाओं समेत पांच पड़ाव स्थलों के निर्माण का मामला हो या अन्य परियोजना का, तमाम लिखा-पढ़ी के बाद भी लखनऊ से धन नहीं मिल पा रहा है। पड़ाव स्थलों के निर्माण के लिये 187.41 लाख का प्रारंभिक आंगणनकाफी पहले शासन को भेजा जा चुका है लेकिन इसे स्वीकृति नहीं मिल रही। इसी तरह वृंदावन-छटीकरा मार्ग निर्माण, वृंदावन परिक्रमा मार्ग के सौंदर्यीकरण, केशी घाट पर सेतु निर्माण, मथुरा-वृंदावन की छोटी लाइन पर सौ फुटा मार्ग पर आरओबी के लिये समेत तमाम परियोजनाओं के लिये भी शासन से धन मिलने की दरकार है।


विशाखा दासी ने अपने फेसबुक पेज पर वर्तमान वृन्दावन में सड़्क चौड़ीकरण के विभिन्न दृश्य देखाये ।

यह शोचनीय अवस्था दुर्वर्णनीय है । सिर्फ रमणरेती में यह अभियान नही चलता रहता है, लेकिन परिक्रमा मार्ग पर भी । मतलब यही है कि हमारी काकुती और मिनतियों का कोई असर नही हुआ । प्राचीन पेड़ों को कटवाया जाएगा । तत्त्वावधायकों का प्लान तब तक चलेगा ही, जब तक वृन्दावन का सर्वनाश न हो ।

हाय हाय ! जिन गाड़ियों में रोज रोज सैकड़ों की मौत हो रही हैं, जिन गाड़ियों में बैठ करके निरीहा मानुष भी, तिलक-माला धारी साधु भी, राक्षस बन के चलाते हुए ऐसे भांपू भजाते हैं कि पैदल चलने वाला यात्री और नागरिक हमेशा परेशान होते हैं, जिन गाड़ियों से रोज रोज वायु प्रदूषण बढ़ता रहता है, उन गाड़ियों के लिये हम वृन्दावन का आध्यात्मिक धरोहर और पर्यावरण को जलाञ्जलि कर देते हैं ।


द्रष्टव्य -- जिला प्रशासन ने हटवाए अतिक्रमण

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