बृज-वृन्दावन धरोहर गठबंधन
Braja Vrindavana Heritage Alliance
श्री वृन्दावन धाम पर आक्रमण रोकने के लिए एकजुट होने का आग्रह और उसके कारण
श्री वृन्दावन धाम और बृज-मण्डल निवासी !
श्री वृन्दावन धाम में पधारने वाले यात्री !
श्री वृन्दावन धाम के विशेष मन्दिरों के गोस्वामी !
सरकारी कार्यकर्ता !
ब्राह्मण एवम् तीर्थ-गुरु !
श्री वृन्दावन धाम के व्यापारी वर्ग !
हिन्दु सभाओं के पार्षद् !
सनातन-धर्म में विश्वास रखने वाले सभी मित्र !
प्रिय बन्धु,
श्री वृन्दावन धाम पर आक्रमण हो रहा है। इसका प्रमाण नगर के हर क्षेत्र में दिखाई दे रहा है| गन्दगी और सीवेज को संभालने की व्यवस्था असमर्थ है, यातायात अस्त-व्यस्त है, स्वच्छ पीने के पानी का अभाव है, यमुना जी के घाट टूट रहे है और कूड़े-कर्कट में दब रहे हैं। ये सब कुछ मात्र ही उदाहरण हैं जो श्री वृन्दावन धाम के निवासियों, यात्रियों, पेड़-पौधों, जानवरों और धाम की महिमा पर खत्तरे के कारण बने हुए हैं।
इस पत्र में हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह समझा पायेंगे कि इस खत्तरे के होने का कारण यह है कि श्री वृन्दावन धाम के जो मौजूदा प्लान हैं, वो पर्याप्त नहीं हैं, और उनमें और अधिक शोध और कार्यकुशलता की आवश्यकता है। इस आक्रमण संबंधी ३ झूठों के विरुद्ध भी हम अपनी आवाज़ उठायेंगे जिनकी वजह से अब तक श्री वृन्दावन धाम उस सेवा से वंचित रहा है जिसका वह अधिकारी है।
झूठ नंबर १ : वातावरण और ऐतिहासिक इमारतों का विनाश वृन्दावन की उन्नति के लिए ज़रूरी है यदि हम आधुनिक सहूलियतों के साथ आर्थिक विकास चाहते हैं। हमें या तो विनाशकारी उन्नति एवं आर्थिक विकास चुनना होगा, या संरक्षण एवं आर्थिक पिछड़ापन।
झूठ नंबर २ : जो लोग श्री वृन्दावन धाम के हितकारी हैं, वो विकास के विनाशकारी एवं घटिया तरीकों के सामने निर्बल हैं, और उन्हें किसी व्यक्ति-विशेष या परिषद्-विशेष का इन्तेज़ार करना पड़एगा।
झूठ नंबर ३ : जो लोग वृन्दावन की रक्षा करना चाहते हैं, वो केवल अपने ही संप्रदायों में कार्य कर सकते हैं - आपसी भेद-भाव के कारण एकजुट होकर कार्य करना बौत कठिन है।
सबसे पहली बात तो यह है कि हमारी ऊपर लिखित परेशानियों के लिये कोई अनिवार्य प्लान नहीं है। मथुरा-वृन्दावन विकास प्राधिकरण (MVDA) केवल फ्लैट बेचती है परन्तु उसके पास ऐसे कोई प्लान नहीं है जिसमें रत्ती-भर भी उम्मीद हो कि वो हमारे नदी-घाट, यातायात और गन्दे पानी के लिए सफ़ल होंगे। जो प्लान है, वो ऐसे है जैसे केशी-घाट पर पुल जो यमुना जी को वृन्दावन से दूर कर देगा, जिसके २३ २-मीटर के स्तंभ जो नदी में जाने वाले कक्ड़ और सीवज को फ़सा कर घाट के सामने एक ज़हरीले तालाब का निर्माण कर देंगे। ऐसे प्लान वृन्दावन के लोगों, जानवरों, पेड़-पौधों और संस्कृतिक धरोहर को न देखते हुए जल्दबाज़ी में बनाये गये हैं।
यह लापरवाही ही पूरे नगर की समस्त परेशानियों का मह्ल कारण है, और इस प्रकार वृन्दावन पर आक्रमण उन सब लोगों के कारण हो रहा है जो कि अत्याधिक बेफ़िक्र है, या लोभ और आलस्य के कारण भविष्य के लिए सही प्लान बनाने में असमर्थ हैं। इस में हम सब भी शामिल हैं जो MVDA और सरकार के प्लान बनाने वालों पर दबाव डालने की कोशिश नहीं करते।
तो ऐसा क्यों हो रहा है जब कि वृन्दावन, मध्यकाल का एक ऐसा अनूठा शहर है जिसमे भवन-निर्माण-शैली की असीम सुन्दरता है, और जो पवित्र विहारों से भरपूर है जिनका वर्णन वेद-पुराण में पाया जाता है ? इसका एक लाजवाब इतिहास है और एक जीती-जागती सांस्कृतिक परंपरा है जो कि पूरे विश्व के लिए एक खज़ाना है। वृन्दावन की ये सारी खूबियां हमारी धरोहर कहलाती है और भारत और दुनिया-भर से कई लोग इसकी रक्षा करना चाहते हैं ताकि वो वृन्दावन के इतिहास और संस्कृति का अनुभव कर सकें और सीख सकें।
यह इसलिए हो रहा क्योंकि लोग ऊपर-लिखित पहले झूठ को सच मानने लगे हैं। हालांकि यह सत्य नहीं है कि वृन्दावन के विकास और आधुनिक सहूलियतों के लिए वातावरण और ऐतिहासिक इमारतों का नाश ज़रूरी है। यह ज़रूरी नहीं है कि हमें या तो विनाशकारी उन्नति एवं आर्थिक विकास चुनना होगा, या संरक्षण एवं आर्थिक पिछड़ापन।
UNESCO एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय संस्थान है जो वृन्दावन जैसे स्थानों के वातावरण के संरक्षण एवं सांस्कृतिक धरोहर को बनाये रखने के साथ-साथ उनके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रसिद्ध है। UNESCO वृन्दावन धाम को विश्व-भर के सांस्कृतिक केन्द्रों में विशेष मान्यता देने के लिए इच्छुक भी है। इस विशेष मान्यता को विश्व-धरोहर-पद् के नाम से जाना जाता है, और इससे वृन्दावन का संरक्षण करने में मदद मिलेगी जैसे-जैसे उसका विकास होगा और उसमें अधिकतम पर्यटक एवं तीर्थ-यात्री आएंगे।
बहुत समझदारी से प्लाŸनिंग करनी पड़एगी यदि वृन्दावन को इस उच्च-कोटि के पद् और मदद को पाना है। यमुना जी के केशी-घाट पर बनने वाला पुल इस पद को पाने की कोशिश को नष्ट कर देगा। क्योंके वह इसिलए कि यह पुल केशी-घाट की सुन्दरता को बर्बाद करके, यमुना जी में प्रदूषण, नागरिकों एवं यात्रियों में बिमारियों को प्रोत्साहित कर, शहर की धरोहर को हमेशा के लिए नष्ट कर देगा।
अन्तरराष्ट्रीय संमान और गौरव के होने न होने के अतिरिक्त, हमें यह समझना होगा कि ऐसे भी रास्ते मौजूद हैं जिससे वृन्दावन आर्थिक विकास के फलों का आनन्द भी उठा सकता है, और साथ ही साथ अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और ऐतिहासिक मन्दिरों का संरक्षण भी कर सकता है, जिसके लिए वह विश्व-भर में प्रसिद्ध है। कई अच्छे सुझाव दिये भी गए है, जैसे कि यमुना जी से एक नहर को पुराने घाटों के सामने अपने असली स्थान पर लाया जाए, और दूसरे तट पर जंगल में मोटर-गाड़ियों के लिए गुप्त पार्किंग के स्थान बनाये जाएं। ऐसा करने से परिक्रमा मार्ग तक पहुंचने का एक नया रास्ता उत्पन्न होगा, जिससे कि तीर्थ-यात्री वृन्दावन में सुरक्षित और शंत गमन कर सकेंगे जिसके दौरान वो बहु-संरक्षित दृश्यों को देख कर श्री कृष्ण की लीलाओं का अवलोकन कर सकेंगे।
हम आप सभी को आमंत्रित करते हैं, वृन्दावन के लिए एक नज़रिया निर्माण करने के लिए, और अपने विचार भी प्रकट करने के लिए। असल में यह आपके लिए अनिवार्य भी है। क्यों ? क्योंकि यह सच नहीं है कि जो लोग श्री वृन्दावन धाम के हितकारी है, वो विकास के नाम पर विनाशकारी एवं घटिया तरीकों के सामने निर्बल हैं। सच्चाई तो यह है कि जो लोग वृन्दावन के हित के बारे में चिन्तित हैं वो ही एक अकेली ताकत हैं जो इन विनाशकारी शक्तियों का सामना कर सकते हैं। हमें अपनी आवाज़ उठानी ही होगी। वरना आक्रमण जारी रहेगा।
इस पर हम एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं॒ वृन्दावन को सुधारने के बजाए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अलग ही रास्ता अपनाया है। यह जानते हुए कि लोग एक प्रदूषित वृन्दावन में आना पसन्द नहीं करेंगे, उन्होंने एक मास्टर-प्लान बनाया है जिसके तहत, दिल्ली और आगरा के रास्ते पर, जैपुर की “चोकी ढाणी” के तर्ज पर पिकनिक मौल बनाये जाएंगे। ये वृन्दावन की शैली में निर्मित है और इनके नाम भी “गोवर्धन”, “गोकुल” इत्यादि रखे गए है। इन में खुली पार्किंग की सुविधा के साथ, पूर्ण आधुनिक सहूलियतें, शापिंग और व्यापार के अवसर तो हैं ही, कृष्ण-लीला के नज़ारों की पेशकश भी उपलब्ध कराई गई है। ये व्यापार-केन्द्र बृज और वृन्दावन की महिमा का नाजायज़ इस्तेमाल करके पैसा बनाना चाहते हैं, जब कि वृन्दावन धाम को अपने यातायात संभालने के लिए एक सरकारी पार्किंग स्थान भी दिया नहीं जा सकता। क्या यह जन हित में है ?
क्या यह आम बृजवासियों को उन्नत बनाने का मौका देता है ? हम इस सवाल का जवाब देते हैं॒ कदापि नहीं! ये प्लान केवल बृज के गांव और वृन्दावन से व्यापार छीन कर, पर्यटकों की जेब तक पहुंचने का सबसे तेज़ रास्ता है। इसमें कोई विचार नहीं है कि उद्योग उत्पन्न किया जाए, या स्वास्थ्य, इतिहास, प्रकृति का ख्याल रखा जाए, या भगवान कृष्ण का, जो कि उन के अपने धाम तक लोग और धन पहुंचा सके।
एक बहतर वृन्दावन हो सकता है। हमें विश्वास करना ही होगा। बृज-फ़ाउंडेशन का ब्रह्म-कुण्ड का पुनः स्थापित करना यह प्रमाण है कि वृन्दावन और सारा बृज-मण्डल बचाया जा सकता है। सरकार को प्रोत्साहित किया जा सकता है कि वो विशेशज्ञों की मदद लें और एक नया मास्टर-प्लान बनायें जिससे असली मध्यकालीन शहर का पुनर्निर्माण हो, जिसके भू-तल में बिजली की तारें समाई हों, कूड़े, सीवज और गन्दे पानी को स्वच्छ करने के सक्षम तरीके हों, और प्लास्टिक गन्द का अभाव हो।
परन्तु यह सब सक्षम नहीं हो पाएगा यदि हम अकेले ही अपने-अपने तरीके से कोशिश करें। जो लोग वृन्दावन को बचाना चाहते हैं, वो केवल अपने ही समाज या संप्रदाय में रह कर कार्य न करें, बल्कि आपसी भेद-भाव से ऊपर उठ जाएं और एक-जुट हो जाएं। बदलाव लाने के लिए ज़रूरी मान्यता पाने और ध्यान-आकर्षण करने हेतु, व्यापारी-जन, संस्थाएं, और आम लोग मिलकर एक सच्चा गठजोड़ बनाएं जो कि एक ऊंची और साफ़ आवाज़ में बोले, और समझदार प्रस्ताव प्रस्तुत करे। आम समाज, धार्मिक संस्थाओं, सरकार और दिल्ली की INTACH जैसी संस्थाओं के विशेशज्ञों के साथ मिलकर हम एक बहतर वृन्दावन का निर्माण कर सकते हैं।
हम सभी को एक ऐसी बैठक में हिस्सा लेना होगा जिसके मूल उद्देश्य हों॒
- वृन्दावन के लिए एक मास्टर-प्लान बनाना जो उसके लोगों, वातावरण, और धरोहर का मान रखे
- ज़रूरत पड़ने पर गैर-जिम्मेदार प्राधिकरण के विरुद्ध अहिंसात्मक प्रदर्शन करना
आईये हम सब मिलकर साफ़-तौर पर एक सूची तैयार करें जिस पर हम सब एकमत हों। इसे फिर वृन्दावन के नए मास्टर-प्लान में सम्मिलित किया जाए, जिसपर ज्यादा से ज्यादा महत्त्वपूर्ण लोगों के हस्ताक्षर लिए जाए™।
फिर हम उस मास्टर-प्लान को हकीकत में बदलने के लिए कार्य शुरु कर सकते हैं। यदि हमारे द्वारा प्रस्तुत प्लान को सादर स्वीकार नहीं किया जाता, और वृन्दावन पर आक्रमण अविरल जारी रहता है, तो हमें न्यायालयों के ज़रिये संघर्ष करना होगा, और शांतिपूर्वक प्रदर्शन करना होगा जब तक हमारी आवाज़ नहीं सुनी जाती। केवल तब ही वृन्दावन की अखण्डता बच सकती है, और केवल तब हमें मौका मिल सकता है कि हम UNESCO की मदद से और भी लोगों को वृन्दावन की महिमा तक पहुंचा सकते है, और साथ ही उसकी रक्षा करते हुए बृजवासियों के लिए रोज़गार के अवसर बना सकते हैं।
एकता बनाए रखने के मुद्दे पर जितना ज़ोर दिया जाए वो कम है। जो श्री धाम पर आक्रमण को जारी रखना चाहते हैं, वो झूठ और घूसखोरी के दम से हमारे बीच फूट पैदा करने की कोशिश करेंगे। हमें इन दांव-पेच से बचकर रहना होगा।
हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे भिन्न-भिन्न मन्दिर, आश्रम, दुकानें और घर उस आक्रमण से वंचित नहीं हैं जो वृन्दावन की सुन्दरता, स्वच्छता, और वातावरण पर हो रहा है। यमुना जी पर होने वाले लगातार दुर्व्यवहार से सब अलग-अलग प्रकार से पीड़ित हैं। अब बस इतना ही माने रखता है। इस परीक्षा की घड़ी में हमारे आपसी भेद-भाव कोई अहमियत नहीं रखते। आइये हम मिलकर वृन्दावन के विकास के ठेकेदारों को अहसास दिला दें कि सनातन धर्म के अनुयायी, धाम की रक्षा के लिए कोई भी अहिंसात्मक कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
हमारे शहर और पावन नदी पर आक्रमण को हमने ही काफ़ी लम्बे समय से होने दिया है। कृपया और विलम्ब न करें। वृन्दावन पर हो रहे इस आक्रमण को हमेशा के लिए रोकना होगा।
अधिक जानकारी के लिए “बृज-वृन्दावन धरोहर गठबंधन की हमारी साप्ताहिक बैठकों में हिस्सा लें, और वृन्दावन पर हो रहे आक्रमण को रोकने में हमारा सहयोग दें।
इस पत्र को पढ़ने के लिए धन्यवाद। इन उद्देश्यों की पूर्ती करने के लिए हमें आपके सहयोग का इंतेज़ार रहेगा।
श्री श्री राधा कृष्ण, बृजवासियों एवं धाम के समस्त मित्रों की सेवा में,
DOWNLOAD THIS DOCUMENT IN PDF Thanks to Dr. Saurabh Sikka for the translation.
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