Tuesday, May 11, 2010

May 12 Braj News


एक करोड़ श्रद्धालुओं ने गोवर्धन परिक्रमा दी

गिर्राज महाराज पर चढ़ रहा सिंथेटिक दूध


आस्था

२७ दिन में लाखों रुपये का दूध से हुआ अभिषेक

गोवर्धन। अधिकमास के २७ दिन में अनुमान है कि इन दिनों में एक करोड़ लोगों ने परिक्रमा की है। लाखों रुपये का सिंथेटिक दूध गिरिराज महाराज पर चढ़ चुका है।

अधिक मास मेले में दूरदराज से भारी संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं। अभी तक २७ दिन में करीब एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के परिक्रमा लगाए जाने का अनुमान है। परिक्रमा मार्ग में पड़ने वाले गिरिराज मुखारबिंद मुकुट, मानसी गंगा, दान घाटी और जतीपुरा गिरिराज मुखारबिन्द में श्रद्धालुओं की आस्था उमड़ रही है। प्रत्येक परिक्रमार्थी इन स्थानों पर दूध चढ़ाकर अपने आराध्य को नमन कर रहा है।

इन स्थानों पर लगभग ६०० दुकानें केवल दूध-भोग की लगी हुई हैं, जिन पर पांच रुपये से २५ रुपये तक के कु ल्हड़ में दूध मिलता है। इससे अधिक मांगने पर प्लास्टिक की बाल्टी में दिया जाता था। यह दूध असली न होकर पानी जैसा या फिर पाउडर से तैयार किया जाता है।

दूध वालों की पौ बारह तो हुई हैं, वहीं श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंची। इसके बावजूद भी परिक्रमार्थियाें की श्रद्धा कहीं भी कम दिखाई नहीं दी। लगातार अपने आराध्य के प्रति आस्था दिन-ब-दिन बढ़ने वाली भीड़ से आंकी जा सकती है। हालांकि प्रशासन एवं नगर पंचायत की व्यवस्थाओं को श्रद्धालु कोसते दिख जाएंगे।



भीख के लिए भगवान का रूप


मथुरा। राधा-कृष्ण की नगरी में इमोशनल ब्लैकमेलिंग का अपना ही अंदाज है। कोई राधा-कृष्ण के भेष में भीख मांग रहा है तो कोई भगवान शिव की तरह सांप डाले घूम रहा है।

हाल में राधा-कृष्ण के स्वरूप को लेकर की गई टिप्पणी के बाद ब्रजवासियों में इस कदर उबाल आया कि अखबार रंग गये। लेकिन यहां तो राधा-कृष्ण के रूप को इस कदर देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के सामने पेश किया जा रहा है कि न केवल ब्रजभूमि बल्कि सभ्य समाज भी शर्मसार हो जाए। जिन आराध्य को पूजने के लिए लोग तरह-तरह के जतन कर रहे हैं उन्हीं का स्वरूप धर कर बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है।

सात कोसीय गिरिराज परिक्रमा में तो मानो मान-मर्यादा ही ताक पर रख दी गयी है। गर्मी के दिनों में शाम होते ही भीख मांगने वालों की पलटन परिक्रमा मार्ग में जहां-तहां पहुंच जाती है। परिक्रमा में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर राधा-कृष्ण की तरह मुकुट लगाये और माला पहने बच्चों के जोड़े हाथ में कटोरा लिये मिल जाएंगे।

और तो और भीख देने वालों को राधा-कृष्ण की तरह आशीर्वाद और न देने वालों को कटु शब्द बोलना परम्परा बन गयी है। इमोशनल ब्लैकमेलिंग यहीं खत्म नहीं होती। मान्यता है कि ब्रज में सभी देवताओं का वास था। शायद इसी लिए भगवान शंकर के रूप में बच्चे कटोरा लिये घूमते मिल जाएंगे।

कोई अपने शरीर पर सांप डाल लेता है तो कोई बीच सड़क पर सर्प डालकर खड़ा हो जाता है। रामनामी ओढ़े भिखारी श्रद्धालुओं के सामने कभी सांप को दूध के लिए तो कभी गाय को चारे के लिए भीख मांगते हैं। भगवान के नाम और रूप पर भीख मांगने वालों में दस-बारह साल के बच्चों की संख्या अधिक है। कोई भावना में बहकर तो कोई डर के मारे पैसा दे देता है।

यही नहीं परिक्रमा मार्ग में ऐसे भी भिखारी मिल जाएंगे जो रात में अपने अंग-भंग दिखाकर भीख मांगते हैं और सुबह मजे से मस्ती करते हैं। हाथ और पैर से विकलांग बनने के लिए शरीर पर लेप लगा लिया जाता है। यह तरीका गोवर्धन के अलावा बरसाने में भी खूब अपनाया जा रहा है।

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