Wednesday, May 26, 2010

2010-05-27 ब्रज का समाचार

धर्मनगरी में धूमधाम से मनाई नृसिंह जयंती


पटेबाजों ने शस्त्र कला से दर्शकों का दिल जीता

जयंती : नगर में भगवान की शोभायात्रा निकाली, शाम को नृसिंह लीला का आयोजन किया


वृंदावन (AU May 27, 2010) । नगर में बुधवार को नृसिंह जयंती समारोह धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई जगह नृसिंह लीला का आयोजन भी किया गया। नृसिंह जयंती के अंतर्गत प्रातः काल श्रीविग्रह का अभिषेक, महाआरती, प्रसाद वितरण किया।

नृसिंह लीला में सर्वप्रथम भगवान गणेश पूजन, उसके बाद नृसिंह स्वरूप और बारह अवतार लीला का आयोजन किया गया। नगर के शाह बिहारी मंदिर में भी नृसिंह जयंती बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इसमें नृसिंह भगवान की शोभायात्रा निकाली गई, जो नगर के विभिन्न स्थानों से होती हुई शाह बिहारी मंदिर पहुंची। शोभायात्रा में युवाओं ने मनोहारी शस्त्र कला का प्रदर्शन कर उपस्थित जन समूह का मन जीत लिया।

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रशांत शाह, डा. प्रफुल शाह, रमेशचंद्र शर्मा, लक्ष्मण शर्मा, दिनेश, मुनीश अग्रवाल, राकेश शर्मा, आलोक गुप्ता, दिनेश शर्मा, मदन धाकड़, श्याम कुमार आदि उपस्थित थे। भगवान नृसिंह की आरती डा. केएस गुप्ता ने उतारी। इसी क्रम में वृंदावन नृसिंह युवा समिति द्वारा राया गली में नृसिंह जयंती मनाई गई। इसमें प्रातःकाल मुकुट पूजन के बाद सांय काल नृसिंह लीला का आयोजन किया। वहीं, नगर के अठखंभा प्राचीन पंचायती नृसिंह मंदिर में नृसिंह जयंती का महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।



धूमधाम से भगवान नृसिंह का मस्तकाभिषेक किया


जयंती पर सजाए गए फूल गए, लीला हुई

जयंती : द्वारिकाधीश मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला


मथुरा (AU May 27, 2010) । नृसिंह जयंती पर बुधवार को शहर में जगह-जगह पंचामृत अभिषेक किया गया। भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में नृसिंह लीला देखने के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। ककोरन घाटी पर भी नृसिंह लीला का जोशीला मंचन हुआ।

नृसिंह चौदस पर बुधवार को प्रातः असकुंडा स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर पर मध्याह्न १२ बजे श्री विग्रह के महामस्तक का पंचामृत अभिषेक किया गया। सायं नृसिंह भगवान के फूल बंगला सजा, जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। ज्योतिषाचार्य पं. मनोज मिश्र के निर्देशन में रात्रि को असकुंडा घाट पर यमुना महारानी का दीपदान किया गया। इस मौके पर पंडित नगेंद्र मोहन आचार्य, राजीव आचार्य, संजीव आचार्य, विनोद मिश्र, श्रीनिवास, बिहारी लाल, मुरारी ला, राजेंद्र, विजय कुमार, पं. कौशल, प्रभु गुप्ता आदि उपस्थित थे।

सतगघड़ा स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर पर प्रातः भगवान नृसिंह का पंचामृत अभिषेक किया गया। यहां महंत चिम्मन लाल शर्मा के निर्देशन में नृसिंह लीला की तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं। मानिक चौक स्थित प्राचीन नृसिंह मंदिर में प्रभु के श्री विग्रह का शृंगार किया गया। मुख्य सेवायत घनश्याम ने सभी को प्रसाद वितरित किया।

भारत विख्यात द्वारिकाधीश मंदिर में सायं नृसिंह लीला का आयोजन हुआ, जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्री बाल नृसिंह लीला सेवा समिति ककोरन घाटी पर गणेश, हनुमान, ब्रह्मा, शंकर, ताड़का व राजा के स्वरूपों ने लीला का मंचन किया। यहां नृसिंह स्वरूप खंभा फाड़कर प्रकट हुए। लीला में समिति अध्यक्ष भूपेंद्र चतुर्वेदी, अर्जुन चतुर्वेदी, गुलर चतुर्वेदी, श्रीसिद्ध योगाधीश्वर, भोला बाबा महाराज, बाल सुरेंद्र, देवेंद्र नाथ चतुर्वेदी आदि युवाओं ने भाग लिया।



प्रभु मंदिर महके, नृसिंह भक्त चहके


मथुरा (DJ May 27, 2010) । अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने तथा भक्त समाज को राक्षस राज के आतंक से मुक्ति दिलाने को अवतरित हुये भगवान नृसिंह की जयंती पर कान्हा की नगरी झंकृत हो गई। द्वारिकाधीश प्रभु के आंगन में नृसिंह के प्रकट होने तथा नृत्य की झकार से भक्तों का तन-मन थिरकने लगा। इन प्रभु के नाम से प्रसिद्ध नगर के मंदिर सुबह से लेकर रात्रि तक महकते रहे।

परंपरा को आगे बढ़ाते हुये राजाधिराज के मंदिर में सायंकाल प्रभु की लीला का जोरदार मंचन किया गया। खंभ से प्रकट होने की लीला का मंचन होते ही सम्पूर्ण वातावरण नृसिंह प्रभु की जय-जयकार से गूंज उठा। इस लीला को देखने के लिये शहर के साथ दूर-दराज के भक्त भी बड़ी संख्या में मंदिर में पहुंचे। यहां बड़े मुखिया नाना लाल, छोटे मुखिया विनोद शंकर, प्रबंध निरीक्षक दीनानाथ शर्मा ने सेवक समाज के साथ व्यवस्था संभाली।

नृसिंह चौदस को भक्ति एवं उल्लास पूर्वक मनाने वाले सेवक समाज ने सुबह से तैयारियां करना शुरु कर दिया। दोपहर में सभी मंदिरों में श्री विग्रह का अभिषेक तथा मुखौटा पूजन किया गया। ककोरन घाटी में बाल स्वरूपों ने रात्रि में वाराह, गणेश, ब्रह्मा, हनुमान, शंकर, ताड़का के स्वरूपों ने जमकर नृत्य किया।

श्री बाल नृसिंह लीला समिति अध्यक्ष भूपेंद्र चतुर्वेदी, अर्जुन, गुलर, आचार्य भोला बाबा, बालू, सुरेश व देवेंद्र नाथ चतुर्वेदी ने प्रमुख योगदान दिया। असकुंडा घाट स्थित प्राचीन मंदिर के सेवक ज्योतिर्विद मनोज मिश्र के आचार्यत्व में विद्वानों ने श्री विग्रह का महामस्तकाभिषेक किया। सायंकाल मंदिर पुष्प बंगला से महकाया गया। सायं 7 बजे यमुना तट पर दीपदान किया गया।

प्राचीन सतघड़ा मंदिर के सेवक चिमन लाल शर्मा के आचार्यत्व में अभिषेक दोपहर 12 बजे किया गया। यहां गुरुवार को प्रात: 7 बजे से 10 बजे तक नृसिंह लीला का आयोजन किया जाएगा।

इनके अलावा प्राचीन नृसिंह मंदिर चौबच्चा में मुखौदा पूजन भक्ति भाव के साथ किया गया। सेवक लाल जी पाठक की अगुवाई में भक्त मंडल ने व्रत रखकर पूजन-अर्चन किया।



मथुरा में पारा 46.5 पर, आसमान में छाई धुंध


मथुरा (DJ May 27, 2010) । सूरज आग बरसा रहा है। बुधवार को दोहपर तक आसमान में धुंध छायी रही। औसत तापमान 46.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जबकि शहर में तापमान 47.2 डिग्री सेल्सियस रहा। चौमुहां में 47.7, छाता 47.2 और नौहझील में पारा 47.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

आसमान में सुबह से ही धुंध छा गई और करीब ग्यारह बजे तक सामान्य दिनों के मुकाबले धूप कमजोर रही। मगर सूरज की तेजस्विता में कहीं कोई कमी नजर नहीं आई। तापमापी पर पारा लगातार उछाल भर रहा है। जिले में सर्वाधिक गर्म सदर, नौहझील, गोवर्धन, बल्देव, छाता और चौमुहां रहा।

सदर में तापमान 47.2 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। मांट में 45.8 डिग्री सेल्सियस रहा तो नौहझील में तापमान 47.5 डिग्री सेल्सियस पर जा कर रुका। राया में तापमान 45.9 डिग्री सेल्सियस तक चढ़ गया। बलदेव में 46 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। गोवर्धन में 47.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ जिले में सबसे गर्म क्षेत्र रहा। फरह तापमान 46.5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। जबकि छाता में पारा 47.2 डिग्री सेल्सियस रहा। चौमुहां में 46.7 और नंदगांव में 46.3 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को तापमान अधिक होने से फिलहाल धान की नर्सरी न डालने की सलाह देते हुए तापमान में कमी आने का इंतजार करने को कहा है। सब्जियों की फसलें भी अधिक तापमान से प्रभावित हो रही है।



गर्मी की अदा पर बिजली फिदा।


मथुरा (DJ May 27, 2010) । गर्मी की अदा देखकर अब बिजली भी उस पर फिदा हो गई है। तभी तो पिछले अड़तालीस घंटे से भी ज्यादा समय से भीषण गर्मी की मार झेल रहे लोगों को बिजली ने भी राहत देने में कंजूसी बरती। मिनटों के लिए आकर घंटों चले जाने की उसकी फितरत ने लोगों के पसीने छुड़ा दिये। बैटरी इनवर्टरों ने भी लोगों का साथ नहीं निभाया, वह भी कुछ देर बाद ही जवाब दे गये।

वैशाख के अंतिम दो-तीन दिनों से 46-47 डिग्री सेल्सियस का तापमान झेल रहे शहरी नागरिकों को राहत के लिए विद्युत निगम से कोई ज्यादा उम्मीद तो पहले से ही नहीं रही है। फिर भी उन्हें निगम से इतनी बिजली की दरकार तो है ही कि वे गर्मी की मार से बचने के इंतजाम कर सकें। बकाया बिलों के भुगतान के बाद भी बिजली संकट का सामना करना उनकी समझ से बाहर है।

पिछले दो-तीन दिन से शहर में विद्युत आपूर्ति का यह आलम है कि दस-पांच मिनट बिजली आती है और घंटों के लिए चली जाती है। शहर का कोई भी क्षेत्र इससे अछूता नहीं है। रात-दिन हो रही कटौती के घंटे बताने में भी बिजली अधिकारी संकोच कर रहे हैं। इसके लिए उनके पास मांग-पूर्ति में अंतर वाला वही पुराना घिसा-पिटा तर्क है। रही-सही कसर लोकल फॉल्ट पूरी कर रहे हैं।



भीषण गर्मी ने ली एक श्रद्धालु महिला की जान


मथुरा (DJ May 27, 2010) । वृन्दावन में भगवान भास्कर की उग्रता अब लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। बुधवार की सायं रिकार्डतोड़ गर्मी की वजह से चुंगी चौराहा पर एक श्रद्धालु महिला ने दम तोड़ दिया।

बताया जाता है कि लगभग 60 वर्षीय अज्ञात महिला गर्मी के कारण बंद दुकान के पट्टे पर लेट गयी और कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई। क्षेत्रवासियों ने उसे मृतावस्था में देख घटना की जानकारी पुलिस को दी। उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी।

प्रचंड गर्मी ने ली वृद्धा की जान


वृंदावन (AU May 27, 2010) । दिनोंदिन तेज होती गर्मी ने बुधवार को एक वृद्धा भिखारी की जान ले ली। गर्मी के प्रकोप से यह वृंदावन में यह पहली मौत है।

जानकारी के अनुसार गोविंद देव मंदिर के समीप भीख मांगकर जीवन यापन करने वाली ६५ वर्षीय वृद्धा को बुधवार की शाम अचानक तबीयत खराब हो गई। इसके बाद स्थानीय कुछ लोग वृद्धा को उपचार के लिए पास के एक डॉक्टर के पास ले गए। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। लोगों का मानना है कि बुधवार को चले लू के थपेड़ों के कारण वृद्धा की मौत हो गई। वृद्धा की उम्र लगभग ६५ वर्ष बताई गई है। वृद्धा ने सफेद कपड़े पहने हुए थे। लोगों द्वारा सूचना दिए जाने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया। पुलिस मृतका के पास मिले सामान के आधार पर उसकी शिनाख्त करने का प्रयास कर रही है।



किसान फिर लगायेंगे धान पर दांव


मथुरा (DJ May 27, 2010) । पिछले साल सूखा में धोखा खा गए किसान फिर धान पर दांव लगाने के लिए जा रहे हैं। समय से मानसून के दस्तक देने की खबरों से उत्साहित किसानों ने नर्सरी डालने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। अगले सप्ताह इसकी शुरूआत हो जाएगी। जनपद में धान की रोपाई का लक्ष्य इस बार बढ़ा दिया गया है। करीब पचास हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई कराई जाएगी। इसके लिए विभाग ने पहले ही खाद बीज का इंतजाम कर लिया है।

पिछले साल खरीफ की मुख्य फसल धान की रोपाई के लिए साढ़े तीन हजार हेक्टेयर से अधिक में नर्सरी डाली गई थी। इससे करीब चालीस हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई हो जाती। रोपाई से पहले ही मानसून धोखा दे गया और करीब तीस फीसदी नर्सरी पानी के अभाव में सूख गई। किसानों ने जैसे तैसे सिंचाई कर धान की रोपाई कर दी, लेकिन बाद में न बारिश हुई और न ही समय पर नहरी जल मिल पाया। इस स्थिति में धान सूख गया। जिन किसानों के पास सिंचाई के साधन थे। उनकी ही फसल बच पाई। इन हालात में करीब चौबीस हजार हेक्टेयर में ही धान का उत्पादन हुआ। इस बार शासन ने जिले में धान का लक्ष्य 44928 हेक्टेयर से बढ़ाकर 50036 हेक्टेयर कर दिया है। इसमें 920 हेक्टेयर में सुगंध बासमती, 7000 में सुगंध की अन्य प्रजाति और 42116 हेक्टेयर में सामान्य धान की रोपाई कराई जाएगी। इसके लिए 3337 हेक्टेयर में नर्सरी तैयार की जानी है।

समय से मानसून के दस्तक देने की खबर ने धान उत्पादक किसानों को उत्साहित कर दिया है। छाता, चौमुहां और नंदगांव ब्लॉक में धान का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है। किसानों ने धान की नर्सरी डालने की तैयारियां कर ली हैं। रोपाई के लिए खेतों भी तैयार कर दिए गए हैं। किसानों को समय पर खाद बीज उपलब्ध कराए जाने की तैयारियां भी कृषि विभाग ने लगभग पूरी कर ली है। जिला कृषि अधिकारी बलवीर सिंह ने बताया कि विभाग के पास विभिन्न प्रजातियों का साढ़े तीन सौ क्विंटाल बीज उपलब्ध है। इसको वितरण के लिए ब्लॉक स्तरीय गोदामों पर भेजा दिया गया है। 4583 मैट्रिक टन डीएपी मौजूद है। इसमें से 1050 मैट्रिक टन डीएपी जनरल वितरण के लिए है। जबकि शेष आरक्षित डीएपी शासन के निर्देश पर रिलीज होना है।



पशुओं की कैसे बुझे प्यास


सूखे तालाबों का फायदा उठाकर धड़ाधड़ कब्जे

अकाल: गोवर्धन में प्यास से तड़प कर दो बंदरों की मौत, जिले के ९० फीसदी पोखर और तालाब सूखे


मथुरा (AU May 27, 2010) । जिलेभर में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है, पशु प्यासे भटक रहे हैं, तालाब सूखे पड़े हैं, नहर और रजवाहों में पानी नहीं है। आंकड़ों पर नजर डालें तो हकीकत कुछ और ही है। देहात में प्रशासन ने तालाब पानी से लबालब भर रखे हैं। सत्यापन की रिपोर्ट से इसकी पुष्टि करती हैं।

जनपद में २१० तालाबों में से ९० फीसदी अभी भी खाली हैं। पिछले माह इन सभी तालाबों का सत्यापन तहसील स्तर से हो चुका है। हकीकत में जिलेभर में तालाब सूखे होने के कारण त्राहि-त्राहि मची हुई है। ड्राई एरिया में आने वाले मांट, सुरीर, नौंहझील क्षेत्र में तो खारे पानी की समस्या के चलते न तो पीने का पानी है और न ही पशुओं को पिलाने की कोई व्यवस्था। इसके चलते पशु-पक्षी प्यासे भटक रहे हैं। गोवर्धन में तो दो बंदरों की प्यास से तड़प-तड़प कर मौत हो गई।

इन गांवों में सूखे हैं तालाब :

  • गोवर्धन- दौलतपुर, मुड़सेरस, जानू, महरौली, दौसेरस, मलसराय, सकरवा, गांठौली, नीमगांव, पाडर।
  • फरह- झंडीपुर, दौलतपुर, रहीमपुर, फतेहा, शहजादपुर, चंद्रभान नगला, मकदूम, परखम, मलिकपुर।
  • छाता- रनवारी, पिसावा, छाता, पैगांव, गोहारी, दौताना, रान्हेरा, तरौली, सेमरी, सहार, रहेड़ा, अजनौठ।
  • मांट- बरी का नगला, सुरीरकलां, मौजी का नगला, हतोला का नगला, सुरीर बिजऊ, भदनवारा, नगला बरी।
  • मथुरा- कोटा, पालीखेड़ा, बाकलपुर, नौगांव, सलेमपुर, देवीआटस, रामताल नगला।
  • राया- बीसापुर, फुलू नगरा, तैयापुर, सोनई, लोहवन, सिहोरा।
  • बलदेव- हथकौली, ततरोठा, मड़ौरा, इंदावली, दौलतपुर, सेदपुर, बरौली, अवैरनी, पचावर।

३० जून तक भर जाएंगे तालाब
मथुरा। एडीएम (वित्त और राजस्व) ज्ञानेश कुमार ने बताया कि नहरों में पानी की कमी और ड्राई एरिया के कारण तालाब भरने के काम में मुश्किल आ रही है। जो तालाब भरवाए भी गए हैं वे गर्मी के चलते लगातार सूख रहे हैं। सभी एसडीएम और तहसीलदारों को मानीटरिंग का काम सौंपा गया है। आगामी ३० जून तक सभी तालाब भर लिए जाएंगे।



देहात में पानी के लिए त्राहि-त्राहि


कोसीकलां (AU May 27, 2010) । जनता एवं पशुओं के पेयजल के लिए गांवों में हाहाकार मचा है। गरमी की विकरालता को देखते हुए त्राहि-त्राहि हो रही है। लोगों को एक किलोमीटर दूर से पानी ढोना पड़ रहा है। तालाब, पोखर सूखे हुए हैं। पानी की टंकी सफेद हाथी साबित हो रही है। पशुओं को स्वच्छ जल नहीं है।

आगरा कैनाल, बंबे, माइनर तथा नालों में फैक्ट्रियों का केमिकल युक्त पानी बह रहा है। प्रदूषित पानी से पशु बीमार तथा फसल नष्ट हो जाती है।

जल निगम की लापरवाही का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। गांव जॉब सहित नगर के कुछ वार्डों में पेयजल संकट व्याप्त है। महिलाओं को दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। जनप्रतिनिधि वोट मांगने तो आ जाते हैं, लेकिन पेयजल आदि मूलभूत सुविधाओं को दिलाने में नाकाम रहे हैं। सुरेश शर्मा, विजन प्रधान, अतर सिंह का कहना है कि गांव में पेयजल की किल्लत के चलते ग्रामीणों को १५० रुपये महीने में पानी खरीदना पड़ रहा है। प्रहलाद, विजेंद्र, पप्पू का कहना है कि जल निगम द्वारा गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। रमेश, बलवीर, महेश, मोहन, लहरी ने प्रशासनिक अधिकारियों से पेयजल संकट दूर करने की मांग की है।

फोटो संख्या १- कोसीकलां में दूरदराज से पानी भरकर लाती हुई महिलाएं।



सूरज ने उगली आग, लोग अकुलाए


अधिकतम तापमान ४५ डिग्री सेल्सियस पहुंचा, आर्द्रता ३६ प्रतिशत

हाय गर्मी : शरीर से पसीना रुकने का नाम नहीं ले रहा


मथुरा/कोसीकलां (AU May 27, 2010) । गरमी के तेवरों में तल्खी कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही है। बुधवार को तो मौसम की गर्माहट शरीर को भूनने पर आमादा थी। आसमान ही नहीं, बल्कि घरों के दीवारें भी आग उगल रहे थे। बेचैनी और अकुलाहट के मारे लोग राहत के लिए तरह-तरह के यत्न करते रहे, लेकिन पसीने और तपन से राहत नहीं मिल पाई। दिन का अधिकतम तापमान ४५ और न्यूनतम तापमान ३६ डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं आर्द्रता ३६ प्रतिशत रही।

सुबह आसमान पर बादल तथा तेज हवाओं के चलते एक बार लगा आज लोगों को गर्मी से राहत मिल जायेगी। लेकिन अपरांह होते-होते मौसम ने यू-टर्न ले लिया। पंखों की तो बात छोड़ दें, कूलर भी गर्मी दूर करने में फेल हो गए। सिर्फ एयरकंडीशनर की हवा ही गरमी से मुकाबला कर पा रही थी। आग उगलते सूरत से बचने के लिए लोग बार-बार नहाते रहे और ठंडी चीजों का खूब सेवन किया। कोई आइसक्रीम व कोल्ड ड्रिंक के सहारे रहा तो कोई जूस, शर्बत, लस्सी, शिकंजी जैसी ठंडी चीजों से गला तर करता रहा।

गर्मी के कारण बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं ही नहीं, बल्कि नौजवान भी दिनभर ‘हाय गरमी, हाय गरमी’ चिल्लाते रहे। गरमी से दिनभर कइयों की हालत भी बिगड़ी। किसी की नक्सीर फूटी तो कोई डिहाइड्रेशन का शिकार बन गया। चिकित्सकों के यहां मरीजों की लाइनें लगी हुई हैं।



पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया


गांव राजपुर में सीवर लाइन डालते समय टूटी

मुसीबत : पानी की किल्लत पर भड़के स्थानीय लोग, खोदे गए गड्ढे में गिरने से किसान घायल


वृंदावन (AU May 27, 2010) । वृंदावन विकास योजना के अंतर्गत ग्राम राजपुर में डाली जा रही सीवर लाइन के दौरान के गड्ढों में आए दिन लोग गिर रहे हैं। वहीं सीवर लाइन डालने के दौरान ही बुधवार को पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। इससे गांव में पेयजल संकट गहरा गया है। गुस्साए ग्रामीणों ने जल निगम के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी की।

सीवर योजना नगर वासियों के साथ-साथ समीपवर्ती गांव के लोगों के लिए मुसीबत बन गई है। इस योजना में बरती जा रहीं अनियमितताएं एवं शिथिलता से जनता काफी परेशान है। वृंदावन के समीपवर्ती अंबेडकर गांव राजपुर में भी यहीं स्थिति देखने को मिल रही है। गांव में जलनिगम द्वारा डाली जा रही सीवर लाइन के दौरान बड़े-बड़े गड्ढे खोद दिए हैं, जिसमें आए दिन लोग गिर रहे हैं। बुधवार को मार्ग से होकर जा रहा किसान केदार गड्ढे में गिर गया, जिससे उसे काफी चोटें आईं। शोर मचाने पर लोगों ने उसे बाहर निकाला।

ग्राम राजपुर के प्रधान रूप किशोर बघेल का कहना है कि सीवर लाइन डालने के दौरान गांव की पेयजल लाइन कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। इससे गांव में पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है। सभासद पवन यादव ने बताया कि वैसे भी गांव में पानी की भारी किल्लत है। अब पानी की लाइन के क्षतिग्रस्त होने से महिलाएं दूरदराज के क्षेत्रों से पानी लाने को मजबूर हैं। करुणा शंकर, परशुराम, अमीन, गिरधारी, शिवचरन आदि ने कहा कि अगर जल्द ही अफसरों द्वारा गांव में व्याप्त इन अव्यवस्थाओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो ग्रामीण लामबंद होकर आंदोलन को बाध्य होंगे।

फोटो-पी-१ कैप्शन- गांव राजुपर में पानी की लाइन क्षतिग्रस्त होने से नाराज लोग जल निगम के खिलाफ प्रदर्शन कर नारेबाजी करते।



भूमि अधिग्रहण : विप्रा की किसानों से वार्ता विफल


मथुरा (DJ May 27, 2010) । मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण अफसरों की कोसी नगर के समीप ग्राम अजीजपुर और गुहेता दस विस्वा में करार नियमावली के अंतर्गत प्रतिकर की धनराशि तय करने आदि मसले पर किसानों से वार्ता विफल हो गई है। प्रभावित किसान नौकरी और धनराशि बढ़ाने की जिद पर अड़े हैं। जिसके लिये अफसर राजी नहीं बताये गये हैं। बातचीत की विफलता के साथ ही लैंड बैंक तैयार करने में लगे विकास प्राधिकरण अफसरों को फिलहाल झटका लगा है।

विप्रा अफसरों की निगाह करीब दो-ढाई साल से अजीजपुर और गुहेता दस विस्वा में 151.073 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण कार्यवाही पर लगी है। अफसर मान रहे थे कि धारा-4 और छह की कार्यवाही निपटने के बाद उन्हें प्रभावित किसानों से करार करने में अधिक दिक्कत नहीं आयेगी। लेकिन अफसरों की मंशा के अनुरूप हो नहीं रहा। करार के मसले पर विप्रा सचिव मानवेंद्र सिंह, मुख्य अभियंता राकेश भाई, अधिशासी अभियंता वीके गोयल और एई डीके मौर्या ने दो दिन पहले यहां किसानों के साथ बातचीत की। इस दौरान किसानों ने पुनस्र्थापन, नौकरी और मुआवजा की धनराशि आवासीय दर पर देने की मांग रखी।

विप्रा सचिव के अनुसार, विप्रा की टीम प्रभावितों को छह प्रतिशत विकसित भूमि, और 14-16 लाख प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की हामी भरी। इस पर आक्रोशित किसान राजी नहीं हुये और बात बिगड़ गई। सचिव ने बताया कि बातचीत के लिये किसान एक समिति का गठन करेंगे। समिति बनने के बाद बातचीत का दौर फिर शुरू होगा। विप्रा कर्मियों के अनुसार, गुहेता दस विस्वा की 40.577 हेक्टेयर भूमि का कागजों पर कब्जा प्राप्त कर लिया गया है। जबकि अजीजपुर में बाकी भूमि का कागजों पर कब्जा करना भी बाकी है। किसानों के साथ बात बनने के बाद ही इस मामले में गाड़ी आगे बढ़ेगी।

2 comments:

Jagadananda Das said...

वृंदावन को क्यों धर्मनगरी कहलाता है ? मेरे समझ में नहीं आता । इस से अच्छा नाम प्रेमनगरी होता । वास्तव में, कृष्ण साधारण धर्म प्रचार करने के लिये नहीं आया, कम-से-कम उनकी वृंदावन लीला के द्वारा नहीं । गोपियों का आदर्श है सर्व-धर्म त्याग, जैसे भगवान ने गीता का चरम उपदेश अर्जुन को बतलाया । धर्म से प्रेम बड़ा है, यही वृंदावन का मायने है ।

Mukesh K. Agrawal said...

श्री जगत जी....
जय जय श्री राधे कृष्ण....

वृंदावन धाम तो हमारे श्यामसुंदर जी की प्रिया श्री राधारानी की हृदय स्थली है.....जिसमे हमारे प्रिय श्री श्यामसुंदर जी नित निरंतर निवास करते है.....वास्तव में मेरे स्वयं के विचार से यह एक प्रेम नगरी ही है.....जब कभी भी वृन्दावन जाता हूँ तो वह हर जगह सिर्फ कृष्ण प्रेम के ही दर्शन होते हैं..... लाखो भक्त कृष्ण प्रेम के वशीभूत हो इस नगरी में नाचने गाने लगते है..... आहा...कितना मनोरम दृश्य होता हैं.... इसलिए तो स्वयं भगवान् शंकर भी तो इस नगरी में गोपी के रूप में श्री कृष्ण प्रेम की लालसा में यहाँ पर रास एमिन समलित होने आये थे....और वेह उस प्रेम लीला के प्रतिक स्वरुप गोपेश्वर महादेव के रूप में वृन्दावन में आज भी विराजित है......

वास्तव में तो श्री धाम वृन्दावन एक प्रेम नगरी है....प्रेम नगरी है......