यमुना का जलस्तर और बढ़ गया
मथुर (AU 2010.08.20): ताजेवाला बांध से लगातार पानी छोड़े जाने से यमुना नदी का जलस्तर शुक्रवार को बढ़कर १६४.६७ मीटर तक पहुंच गया। चेतावनी निशान से ४७ सेंटीमीटर ऊपर। इसके चलते लो फ्लड एरिया में खलबली मची रही। हालांकि विशेषज्ञ इसे सामान्य स्थिति करार दे रहे हैं। चिंता तो ताजेवाला बांध से गत दिवस छोड़े गए १.४२ लाख क्यूसेक पानी को लेकर है। इसके चलते लो प्लड एरिया में मुनादी पिटवा दी गई है।
नाला निर्माण में देरी लोगों ने किया प्रदर्शन
वृंदावन (AU 2010.08.20): । वृंदावन समग्र विकास योजना के तहत रमणरेती क्षेत्र में नाला निर्माण में हो रही देरी और मानकों की अनदेखी से लोगों में नाराजगी है। लोगों ने संबंधित विभाग और कार्यदायी ठेकेदार के खिलाफ प्रदर्शन कर जिला प्रशासन से मामले की जांच की मांग की ह
रमणरती मार्ग पर जल निगम द्वारा नाला निर्माण में मानकों को ताक पर रख दिया गया है। यहां आरसीसी के स्थान पर ईंटों का नाला तो बनाया ही जा रहा है। साथ ही कार्य धीमि गति से हो रहा है। इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नाले का निर्माण जैसे ही किया होता है उसके कुछ समय बाद ही संबंधित ठेकेदार उसमें पानी भरवा देते हैं। इससे नाले की गुणवत्ता पर सवालिया निशान लग गया है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मामले की शिकायत की है।
स्थानीय निवासी गोपाल शर्मा, पूरन बघेल, शेर सिंह, हरिओम, चिरंजीलाल, रमन बघेल, हरे कृष्ण शर्मा, भगवानदास शर्मा, खुशीराम, प्रह्लाद, यादराम, रामलाल सैनी, भीमसेन, शिवकुमार, स्वामी कन्हैयालाल, स्वामी देवकी नंदन आदि का कहना है कि नाला निर्माण धीमी गति से हो रहा है। इससे कालोनी से निकलने वाले सभी मार्ग बाधित हो गए हैं। लोगों का कहना है कि ठेकेदार ने मानकों की अनदेखी कर आरसीसी का नहीं ईंटों का नाला बना डाला। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से नाला निर्माण की जांच करने की मांग की है।
रक्षाबंधन पर रौद्र रूप दिखायेगी यमुना
मथुरा(DJ 2010.08.20) । यमुना नदी में दूसरे दिन भी ताजेवाला बांध से काफी बड़ी मात्रा में जल छोड़ा गया है। सबसे अधिक 2 लाख क्यूसिक से ज्यादा जल गुरूवार को 10 बजे छोड़ा गया, जो यहां रक्षाबंधन के दिन आ पहुंचेगा। इस दिन यमुना नदी का स्वरूप विकराल होगा। गोकुल बैराज के गेट खोलने की हिदायत दे दी गई है। पूर्व में छोड़े जल का असर मथुरा के घाटों पर दिखाई देने लगा है। जिला प्रशासन ने यमुना किनारे बसे गांवों में मुनादी करा चेतावनी दे दी है।
ताजेवाला बांध में पानी का दबाव कम करने के उद्देश्य से यमुना नदी में लगातार दूसरे दिन भी पानी छोड़ा गया। गुरूवार रात 1 बजे से जल छोड़ने का क्रम शुक्रवार को सुबह 9 बजे तक चलता रहा। इसमें सबसे अधिक 2,08,005 क्यूसेक छोड़ा गया है। सिंचाई विभाग द्वारा स्थापित बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार गुरूवार रात से पानी छोड़ने की मात्रा में कमी आयी है। रात 8 बजे 1,18,860 क्यूसेक, 9 बजे 82880 क्यूसेक, 10 बजे 63060 क्यूसेक, 11 बजे 52201 क्यूसेक, गुरूवार 12 बजे 43351 क्यूसेक, 1 बजे 35289 क्यूसेक, 2 बजे 38465 क्यूसेक, 3 बजे 36869 क्यूसेक, शुक्रवार सुबह 5 बजे 28359 क्यूसेक, 6 बजे 32839 क्यूसेक, 7 बजे 32839 क्यूसेक, 8 बजे 38345 क्यूसेक और सुबह 9 बजे 45353 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है। सिंचाई विभाग अपर खंड के अधिशासी अभियंता रमाकांत रस्तोगी ने बताया कि ताजेवाला बांध से प्रति घंटे छोड़े गए जल को लेकर लगातार नजर रखी जा रही है। इसके अलावा ओखला बैराज पर हो रही जल वृद्धि का आंकलन किया जा रहा है। गुरूवार-शुक्रवार रात 1 बजे ओखला बैराज पर जल वृद्धि 15472 क्यूसेक थी, जो सुबह 5 बजे तक स्थिर रही। सुबह 6 बजे ओखला पर पानी बढ़कर 16323 क्यूसेक, 7 बजे 17965 क्यूसेक, 8 बजे 25686 क्यूसेक और 9 बजे तक 38400 क्यूसेक पहुंच गया है। मथुरा के प्रयागघाट पर यमुना नदी में पानी का लेवल 164.67 मीटर समुद्र तल जा पहुंचा है। फिलहाल यह लेवल खतरा के निशान 165.20 मीटर समुद्र तल से काफी नीचे है।
डगमग व्यवस्था पर अस्था अडिग
मथुरा (AU 2010.08.20)। यह सावन-भादों का मौसम है, यानि ब्रज की मौज-बहार का समय है। सावन से शुरू होने वाली वैष्णव यात्रियों की आमद कार्तिक तक जारी रहने वाली है, पर व्यवस्थाएं इतनी चौपट हैं कि एनआरआई और गुजराती यात्री सिर्फ रस्म पूरी करने आ रहा है, यानि कि ब्रज का पर्यटन उद्योग अगले महीने शुरू होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्राओं में भी कमर सीधी नहीं कर सकेगा।
वर्ष 1549 में महाप्रभु वल्लभाचार्य को आज ही के दिन गोवर्धन नाथ ने दर्शन दिए थे। श्रावण सुदी ग्यारस यानि शुक्रवार की आधी रात को श्री यमुना की पूजा करने के लिए गोकुल में दो हजार से ज्यादा गुजराती श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह तो बानगी भर है। ठीक 21 दिन बाद ब्रज चौरासी कोस की यात्राएं शुरू होंगीं, जिनमें हजारों श्रद्धालु चालीस दिन में इस दूरी को पूरी करेंगे। उनकी आस्था अडिग है, पर चौरासी कोस मार्ग में शासन-प्रशासन की व्यवस्थाएं डिगी हुई हैं।
गोकुल के गोविंद घाट पर शुक्रवार की आधी रात में श्री यमुना को पवित्रा चढ़ाई गयी। गोकुल नाथ जी पर यही क्रम शनिवार को दोहराया जाएगा। लेकिन पौराणिक व धार्मिक महत्व के कुंडों के दर्शन को आतुर श्रद्धालु उबकायी भरते देखे गए। गोकुल के पतित पावन कुंड, पूतना कुंड और कमल कुंड आदि अतिक्रमण व गंदगी से जो भरे हुए हैं। पतित पावन कुंड में तो गटर का पानी गिर रहा है।
यही स्थिति ब्रज चौरासी कोस के सभी कुंड और सरोवरों की है, जबकि पड़ाव स्थल भी जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की प्राथमिकता में शुमार नहीं हो सके हैं। ब्रज चौरासी कोस की यात्राएं भाद्रपद में सितंबर से शुरू हो रही हैं। यात्रा मार्ग में 25 पड़ाव स्थल हैं, पर अब मात्र 18 ही ऐसे बचे हैं, जिनका कुछ स्वरूप बचा हुआ है। प्रशासन की ओर से इन पड़ाव स्थलों को न तो सुरक्षित रखा गया है और न ही यात्राओं के दौरान कोई व्यवस्था की जाती रही है। गोकुल तीर्थ राज ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण तिवारी ने बताया है कि गोकुल में कुंड, पड़ाव स्थल व महा प्रभु की बैठकें यात्राओं के लायक नहीं बनायी गयी हैं।
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