Sunday, August 1, 2010

2010-08-02 ब्रज का समाचार

जलमग्न हुए खेत, सैकड़ों बीघा फसल डूबी


मथुरा (DJ 2010.08.01)। सावन में मेघ मल्हार गा रहा है। रविवार को तड़के शुरू हुई बारिश शाम तक रुक-रुक कर होती रही। कभी मूसलाधार तो कभी रिमझिम बारिश ने खेतों को जलमग्न कर दिया। तहसील मांट के सुरीर क्षेत्र में पानी की निकासी न होने से करीब दो सौ बीघा फसल बारिश की भेंट की चढ़ गई। निचली मांट ब्रांच खंड गंगा नहर के राजवाहा जरारा की पटरी टूट जाने से सैकड़ों बीघा फसल डूब गई। किसान इसके नष्ट होने की आशंका जता रहे हैं।

मानसून ने पूरे जिले को भिगो दिया। बारिश से कहीं किसानों के चेहरे खिल गए तो कहीं उनको नुकसान भी झेलना पड़ा। जनपद की तहसील माट के सुरीर क्षेत्र में तड़के करीब ढाई घंटे तक जमकर पानी गिरा। बताया गया है कि यमुना एक्सप्रेस वे की कार्यदायी संस्था ने पानी की निकासी को बनाई पुलिया के ऊंचा होने से खेतों का पानी नहीं निकल सका और करीब दौ सौ बीघा फसल डूब गई।

बनवारी, कल्लू, जयपाल सिंह, पप्पू, भूरी, बहोरी, अमर सिंह, राजेन्द्र आदि किसानों के खेतों में तीन से चार फीट तक पानी भरा हुआ है। किसान अपने पशुओं को चारा भी नहीं ला पा रहे हैं। सुरीर में भी कई घरों में पानी भर गया। गांव नयाबांस के समीप राजवाहा जरारा की पटरी टूट गई और सैकड़ों बीघा फसल में पानी भर गया। किसान डूबी फसल के नष्ट होने की संभावना जता रहे हैं।

बताया गया है कि दोपहर में सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जाकर पटरी को बंद करा दिया। छाता, चौमुहां, नदगांव, बरसाना क्षेत्र में अभी तक किसान पानी की मांग कर रहे थे, लेकिन बारिश ने किसानों की मुराद पूरी कर दी। गोवर्धन, सौंख, मगोर्रा, फरह क्षेत्र में रिमझिम बारिश दोपहर तक होती रही। इसके बाद मौसम साफ हो गया, लेकिन शाम को फिर इन क्षेत्रों में बारिश हुई।

शेरगढ़ में भी खूब बारिश हुई और खेत जलमग्न हो गए। नौहझील क्षेत्र में भी ठीक-ठाक पानी गिरा। कृषि संभागीय परीक्षण एवं प्रदर्शन के राया में अपरान्ह तीन बजे तक पन्द्रह एमएम बारिश रिकार्ड की गई। देर सायं समाचार भेजे जाने तक बारिश का क्रम जारी था। बताया गया है कि देरी से ज्वार, बाजरा और तिल की बुवाई करने वाले किसानों को नुकसान हुआ है। बारिश से खेतों में पानी भर गया है। इससे अंकुरण नहीं हो पाएगा।



जिंक सल्फेट को गोदामों पर किसानों की लंबी कतारें


मथुरा (DJ 2010.08.01)। जिंक सल्फेट लेने को किसानों की सरकारी बीज गोदामों पर लंबी लाइन लगी हुई है। कृषि विभाग उनको जरुरत भर की जिंक सल्फेट उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। एक किसान को पच्चीस किलो जिंक सल्फेट ही दी जा रही है।

मृदा के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए किसानों को नब्बे फीसदी छूट पर जिंक सल्फेट दी जा रही है। जिंक सल्फेट पर अधिक छूट मिलने से मांग में इजाफा हो गया है। कृषि विभाग को शासन ने सौ मैट्रिक टन जिंक सल्फेट आवंटित की है। तीस मैट्रिक टन जिंक पिछले दिनों विभाग को प्राप्त हो गई। इसके नमूना परीक्षण के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं।

परीक्षण रिपोर्ट आने के बाद ही इसका वितरण किया जाएगा, लेकिन इससे पूर्व आई जिंक का वितरण किया जा रहा है। एक हेक्टेयर पर एक किसान को पच्चीस किलो के हिसाब से ही जिंक सल्फेट दी जा रही है। यदि किसी किसान पर एक हेक्टेयर से अधिक खेत है तो भी उसको पच्चीस किलो ही जिंक सल्फेट दी जा रही है।

किसान जिंक की ज्यादा मांग कर रहे हैं, लेकिन उनको जरुरत भर की जिंक नहीं मिल पा रही हैं। उप कृषि निदेशक बलवीर सिंह ने बताया कि एक किसान को एक हेक्टेयर के हिसाब से पच्चीस किलो जिंक दिए जाने का फार्मूला इसलिए अपनाया जा रहा है कि अधिक से अधिक किसानों को छूट पर जिंक मिल सके।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. एएस गुजैल ने बताया कि जिंक सल्फेट का प्रयोग किसान धान की फसल में कर रहे हैं। इसके प्रयोग से धान में खेरा रोग नहीं आएगा। उन्होंने बताया कि जिंक सल्फेट के प्रयोग से जमीन को पोषक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। जिंक सल्फेट के प्रयोग से पौधों की तेजी से वृद्धि होगी और उत्पादन में भी अधिक होगा।



दो बार की बारिश में पानी से सराबोर हुआ शहर


मथुरा (DJ 2010.08.01)। रविवार को दिन में दो बार जमकर बारिश हुई। शहर के नाले-नालियां इसके लिए पहले से ही तैयार नहीं हैं, सो सड़कें जलभराव से जाम हो गयीं। जगह-जगह से आबादी क्षेत्रों के पहुंच मार्ग बंद हो गए। जलभराव से कालोनियों में स्थिति और भी बुरी हो गयी।

नगर पालिका परिषद ने कई नाले हाल ही में साफ कराए हैं। समय से नाला सफाई न होने के लिए जिलाधिकारी कुछ दिन पहले अधिशासी अधिकारी से स्पष्टीकरण भी मांग चुके हैं, लेकिन सफाई के बाद भी नाले बारिश का पानी बिना किसी रुकावट के नहीं ले पा रहे हैं। रविवार को भी ऐसा ही हुआ।

तीनों रेलवे पुलिया हमेशा की तरह जलभराव के कारण यातायात को प्रभावित करती रहीं तो बीएसए कालेज, डैंपीयर नगर, होली गेट, डीग गेट आदि इलाकों में सड़क के एक ओर जलभराव रात तक बना रहा। पूरे शहर का यातायात डायवर्ट रहा। हाइवे, धौली प्याऊ, मसानी-हाइवे लिंक रोड और गोविंद नगर रेलवे फाटक मार्ग कई घंटे जाम बना रहा। अंतापाड़ा में ही सीवर के ढक्कन खुल जाने से पानी भरा रहा। लोगों का कहना था कि गैस के कारण ढक्कन खुल गए हैं। सीवर का पानी भी यहां मैनहोल से सड़क पर बिखरता रहा। यहां अंबाखार नाला भी ओवर फ्लो हुआ, जिससे स्थानीय निवासियों के लिए आने-जाने में मुसीबत खड़ी हो गयी।

चौक एवं डोरी बाजार क्षेत्र में दुकानों तक पानी आ गया। यहां बाजार की सड़क पानी से भर कर चली। सायं की बारिश में स्थिति और भी खराब हो गयी। यही स्थिति मसानी चौराहे पर रही। यहां भी नाले आधे-अधूरे बने रहने से रूपम टाकीज तक भारी जलभराव रहा।

अंबेडकर नगर, सुखदेव नगर, मानस नगर, शक्ति नगर, दीप नगर, जनक पुरी व बीएसए इंजीनियरिंग कालेज के पीछे की कालोनियों में भी भारी जलभराव रहा। इन कालोनियों में पानी निकासी की मुकम्मल व्यवस्था पहले से ही नहीं है। जयसिंह पुरा क्षेत्र की कालोनियों में लोग बारिश के बाद भी घरों से पानी उलीचते रहे। निचले स्थानों में जलभराव देर रात तक खाली नहीं हो सका था।


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