डगमग व्यवस्था पर अस्था अडिग
मथुरा (DJ 2010.08.21)। यह सावन-भादों का मौसम है, यानि ब्रज की मौज-बहार का समय है। सावन से शुरू होने वाली वैष्णव यात्रियों की आमद कार्तिक तक जारी रहने वाली है, पर व्यवस्थाएं इतनी चौपट हैं कि एनआरआई और गुजराती यात्री सिर्फ रस्म पूरी करने आ रहा है, यानि कि ब्रज का पर्यटन उद्योग अगले महीने शुरू होने वाली ब्रज चौरासी कोस यात्राओं में भी कमर सीधी नहीं कर सकेगा।
वर्ष 1549 में महाप्रभु वल्लभाचार्य को आज ही के दिन गोवर्धन नाथ ने दर्शन दिए थे। श्रावण सुदी ग्यारस यानि शुक्रवार की आधी रात को श्री यमुना की पूजा करने के लिए गोकुल में दो हजार से ज्यादा गुजराती श्रद्धालु पहुंचे हैं। यह तो बानगी भर है। ठीक 21 दिन बाद ब्रज चौरासी कोस की यात्राएं शुरू होंगीं, जिनमें हजारों श्रद्धालु चालीस दिन में इस दूरी को पूरी करेंगे। उनकी आस्था अडिग है, पर चौरासी कोस मार्ग में शासन-प्रशासन की व्यवस्थाएं डिगी हुई हैं।
गोकुल के गोविंद घाट पर शुक्रवार की आधी रात में श्री यमुना को पवित्रा चढ़ाई गयी। गोकुल नाथ जी पर यही क्रम शनिवार को दोहराया जाएगा। लेकिन पौराणिक व धार्मिक महत्व के कुंडों के दर्शन को आतुर श्रद्धालु उबकायी भरते देखे गए। गोकुल के पतित पावन कुंड, पूतना कुंड और कमल कुंड आदि अतिक्रमण व गंदगी से जो भरे हुए हैं। पतित पावन कुंड में तो गटर का पानी गिर रहा है।
यही स्थिति ब्रज चौरासी कोस के सभी कुंड और सरोवरों की है, जबकि पड़ाव स्थल भी जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की प्राथमिकता में शुमार नहीं हो सके हैं। ब्रज चौरासी कोस की यात्राएं भाद्रपद में सितंबर से शुरू हो रही हैं। यात्रा मार्ग में 25 पड़ाव स्थल हैं, पर अब मात्र 18 ही ऐसे बचे हैं, जिनका कुछ स्वरूप बचा हुआ है। प्रशासन की ओर से इन पड़ाव स्थलों को न तो सुरक्षित रखा गया है और न ही यात्राओं के दौरान कोई व्यवस्था की जाती रही है। गोकुल तीर्थ राज ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण तिवारी ने बताया है कि गोकुल में कुंड, पड़ाव स्थल व महा प्रभु की बैठकें यात्राओं के लायक नहीं बनायी गयी हैं।
रक्षाबंधन और जन्माष्टमी पर आधा दर्जन नई ट्रेन
मथुरा (DJ 2010.08.21)। रक्षाबंधन तथा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को सुरक्षित यात्रा कराने के लिए रेलवे ने कमर कस ली है। इसके लिए रेलवे आधा दर्जन नई गाड़ियां चलाएगा। वहीं आधा दर्जन गाड़ियों में कोच बढ़ाकर उन्हें मथुरा तक चलाया जाएगा।
डीआरएम देवेश मिश्रा की पीआरओ भूपेंद्र कौर ढिल्लन ने बताया कि झांसी-आगरा पैसेंजर तथा ग्वालियर-आगरा पैसेंजर सहित दोनों गाड़ियों को मथुरा तक बढ़ाया गया है। यह गाड़ी २२ से २६ तक मथुरा तक चलेंगी। मथुरा-अलवर पैसेंजर, मथुरा-बांदीकुई पैसेंजर में चार कोच बढ़ाए गए हैं। इलाहाबाद-मथुरा एक्सप्रेस में २२ अगस्त से पांच सितंबर तक तीन कोच बढ़ाए हैं। मेला स्पेशल गाड़ियों में रेवाड़ी से मथुरा के लिए नई गाड़ी चलाई जाएगी। यह गाड़ी रेवाड़ी से अपराह्न ३.३५ बजे चलकर रात्रि नौ बजे मथुरा पहुंचेगी। यह गाड़ी २२ अगस्त से नौ सितंबर तक चलेगी।
बांदीकुई से मथुरा के लिए नई गाड़ी चलेगी। यह गाड़ी बांदीकुई से प्रातः ९.२० चलकर सायंकाल ५ः२० मथुरा आएगी। बांदीकुई से मथुरा के लिए एक और मेला स्पेशल चलाई जाएगी। यह गाड़ी बांदीकुई से ४.१० बजे चलकर ८.४५ बजे मथुरा पहुंचेगी। यह गाड़ी २३ से २७ तक चलेगी। कासगंज-मथुरा स्पेशल नई गाड़ी चलाई जाएगी। यह कासगंज से सुबह १०.२० चलकर १.०५ बजे मथुरा पहुंचेगी। वापसी में १.४० बजे चलकर ४.२० बजे कासगंज पहुंचेगी। यह गाड़ी २३ अगस्त से २५ अगस्त तक चलेगी तथा बाद में ३१ अगस्त से २ सितंबर तक चलेगी। स्पेशल गाड़ियों के सुरक्षित संचालन तथा बेहतरी के लिए बाहर से स्टाफ बुला लिया गया है। भीड़ के दबाव को देखते हुए अतिरिक्त टिकट खिड़की भी खोली जाएगी।l
ब्रज यात्रा पर संकट के बादल
मथुरा (AU 2010.08.21)। ५२५ वर्षों से ब्रज में निकाली जा रही ब्रज यात्रा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह संकट प्रशासन की टालमटोल के कारण उत्पन्न हुआ है। इस मामले में यात्रा प्रबंधकों द्वारा कई बार प्रार्थना पत्र देने के बावजूद न तो प्रशासन और न ही पुलिस ने अनुमति दी है। इससे तीर्थ पुरोहितों में नाराजगी व्याप्त है। उन्होंने डीएम से यात्रा की अनुमति अतिशीघ्र दिए जाने की मांग की है।
५२५ वर्ष पूर्व दक्षिण भारत के चंपाहरण स्थान पर जन्मे महाप्रभु श्रीमद् वल्लभाचार्य ने भाद्र प्रद माह में ४० दिवसीय ब्रजयात्रा प्रारंभ की थी। यह यात्रा इस बार १२ से १८ सितंबर तक संपूर्ण ब्रज में निकाली जानी है। हर साल निकाली जाने वाली इस यात्रा में बड़ी संख्या में साधु महात्मा, तीर्थ पुरोहित, विद्वान और देश विदेश के हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। इस बार प्रशासन की हठधर्मिता से यात्रा के आयोजन पर संकट खड़ा हो गया है।
तीर्थ पुरोहित परिषद के प्रांतीय महामंत्री कांतानाथ चतुर्वेदी ने बताया कि यात्रा प्रबंधकों के तमाम प्रार्थना पत्रों के बावजूद न तो पुलिस एवं प्रशासन ने यात्रा की अनुमति दी है। यही नहीं यात्रा के पड़ाव स्थल बनवाने एवं रास्ते में पड़ने वाले कुंड और सरोवरों की सफाई तक नहीं कराई गई है।
उन्होंने डीएम से यात्रा की अनुमति दिलाने की मांग की है। साथ ही राजस्थान और हरियाणा में आने वाले कुछ भाग के लिए वहां के डीएम से वार्ता कर यात्रा की व्यवस्थाएं कराने की अपील की है। मांग करने वालों में राष्ट्रीय महामंत्री प्रयागनाथ चतुर्वेदी, गणेश चतुर्वेदी, शिव चतुर्वेदी, सोमनाथ, माधवलाल, रामदास चतुर्वेदी, कृष्णकांत, प्रवीन, श्यामू, अनिल, आेंकारनाथ, राजू सरदार, मूला पंडित आदि शामिल थे।
यमुना के जलस्तर में और वृद्धि
मथुरा/वृंदावन/कोसीकलां AU 2010.08.21)।। ताजेवाला बांध से छोड़े गए पानी का असर मथुरा जिले में हल्का सा दिखने लगा है। यमुना के जलस्तर में वृंदावन व मथुरा में वृद्धि देखी जा रही है। जलस्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोग चिंतित हैं।
कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ सकता है। यमुना के जलस्तर बढ़ने से निचले इलाकों में रहने वाले लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें स्पष्ट देखी जा सकती हैं। यमुना के जलस्तर में अगर और बढ़ोत्तरी हुई तो किनारे की कालोनियों में यमुना का पानी घुसने की संभावना है। प्रयाग घाट पर मथुरा में शनिवार को जलस्तर चेतावनी निशान से ५६ सेंटीमीटर ऊपर १६४.७६ मीटर तक पहुंच गया।
इधर, ओखला से ५६ हजार क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ा गया है। इतनी अधिक मात्रा में पानी आने से वृंदावन, बलदेव एवं अन्य के लो फ्लड एरिया में खलबली मची हुई है। वृंदावन एवं बलदेव में तो यमुना का पानी फसलों को छूने लगा है। इससे दोनों क्षेत्रों में खलबली मची हुई है। इससे निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में मुनादी करा दी है। वृंदावन के सूरजघाट कालोनी निवासी राकेश, विजय और महेश मल्लाह का कहना है कि अगर यमुना का जलस्तर और बढ़ा तो हमे अपने परिवार के साथ सुरक्षित स्थानों की ओर जाना पड़ सकता है। कोसीकलां संवाददाता के अनुसार छाता तहसील के यमुना किनारे वाले इलाकों में मुनादी करा दी गई है।
केजेएस के यलो जोन में मीना मसजिद का दरवाजा निकाला
मथुरा AU 2010.08.21)।। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के यलो जोन में स्थित मीना मसजिद में बगैर अनुमति के रातों-रात दरवाजा निकाल लिया गया। एक रेलकर्मी की सूचना पर जन्मस्थान के सुरक्षा अधिकारी सक्रिय हुए। उन्होंने दरवाजे को अस्थाई रूप से बंद कराया। इस घटना से हिंदूवादियों में उबाल है।
डीग गेट के समीप वृंदावन-मथुरा रेल लाइन से लगी मीना मसजिद में ग्रिल काटकर दरवाजा निकाल लिया गया। यह ग्रिल जन्मभूमि और ईदगाह की सुरक्षा के लिए लगी थी। एक रेलकर्मी ने इसे देख लिया। उसने जन्मभूमि के सुरक्षा अधिकारियों को सूचना दी। इस पर जन्मस्थान का खुफिया तंत्र भी सक्रिय हो गया। पुलिस-प्रशासन के अफसरों में खलबली मच गई। एसपी सुरक्षा आरपीएस यादव समेत प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंचे और उच्चाधिकारियों को अवगत कराया।
सूत्र बताते हैं कि इस दरवाजे को बिना रोक-टोक मसजिद में आने-जाने के लिए निकाला गया। इससे हिंदूवादियों में आक्रोश देखा गया। उन्होंने एकत्रित होकर पुलिस-प्रशासन के अफसरों पर दबाव बनाना शुरू किया। मामला बिगड़ न जाए, इसे देखते हुए आनन-फानन में सुरक्षा अधिकारियों ने दरवाजे को बंद करा दिया। अभी दरवाजा अस्थाई रूप से दीवार लगाकर बंद किया गया है। एसपी सुरक्षा आरपीएस यादव का कहना है कि दरवाजा सदैव के लिए बंद करा दिया गया है। उधर, नवागत एसएसपी लव कुमार से इस संबंध में पूछा गया तो वह इस घटना से अनभिज्ञ दिखे। उन्होंने कहा कि वह जन्मस्थान प्रशासन से पूरी घटनाक्रम की जानकारी लेंगे।
केजेएस में गेट निकालने पर रोष
वृंदावन AU 2010.08.21)।। विश्व हिंदू परिषद की शनिवार को बैठक में श्रीकृष्ण जन्मभूमि के अति सुरक्षा क्षेत्र में मस्जिद की दीवार तोड़कर आवागमन के लिए गेट निकालने पर रोष व्यक्त किया गया।
बैठक में विहिप के कारकारी जिलाध्यक्ष ठा. बच्चू सिंह ने कहा कि करोड़ों रुपया सुरक्षा के नाम पर व्यय होता है। फिर भी पुलिस तथा खुफिया तंत्र को जानकारी नहीं मिली। यह जिला प्रशासन के लिए शर्मनाक है। डा. हरिवल्लभ शर्मा ने कहा कि जिला प्रशासन को चाहिए कि उस स्थान पर स्थायी रूप से मजबूत दीवार बनाकर पुनः बेरीकेडिंग लगा देनी चाहिए। वक्ताओं ने कहा कि पूर्व नियोजित दीर्घकालीन योजना के लिए अति सुरक्षा क्षेत्र में यह कार्य बिना किसी भय के करना किसी साजिश को दर्शाता है। बैठक में ओमप्रकाश शर्मा, गोपाल शर्मा, राधावल्लभ शर्मा, बाबा कंचन दास, केशव सारस्वत, धन्नाराम चौधरी, गोपाल, अजय सिंह आदि रहे।
अधिकारियों का नगर में पैदल भ्रमण
मथुरा (DJ 2010.08.21)। त्यौहारों को मद्देनजर रखते हुए शहरी क्षेत्र में प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों में नगर में पैदल भ्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया।
त्यौहारों को मद्देनजर रखते हुए प्रशासन और पुलिस सतर्क बनी हुई है। सिटी मजिस्ट्रेट राम औतार रमन, एसपी सिटी रामलाल वर्मा और सीओ सिटी डॉ. संजय कुमार ने मय फोर्स के डीग गेट, मछली मंडी, खारी कुआं, मटिया गेट, चौक बाजार होते हुए होली गेट तक पैदल ही भ्रमण किया। प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारियों को देखकर पहले तो यह समझा कि कहीं कोई घटना घट गई, लेकिन बाद में पता चला कि अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने के लिए निकले हैं।
की फजीहत, कनेक्शन को कवायद
मथुरा (DJ 2010.08.21)। भारत संचार निगम को नेटवर्क सुधारने की चिंता तो है नहीं कनेक्शन बढ़ाने की कवायद में जुटा हुआ है। स्थिति ये है कि जिले में संचार निगम के 120 मोबाइल टावर पूरी तरह कवरेज नहीं दे पा रहे हैं तो गोवर्धन क्षेत्र में नेटवर्क काम करना ही बंद कर देता है। ऐसे में उसके लिए छह महीने में पचास हजार नए कनेक्शनों का लक्ष्य प्राप्त करना आसान नहीं होगा।
बीएसएनएल ग्राहकों को आकर्षित करता रहा है, पर पिछले दो साल में वह एक लाख के आंकड़े तक किसी तरह पहुंच सका है और इसमें वृद्धि अब नाम मात्र को ही हो रही है। इसकी वजह है पूरे जनपद में एक समान कवरेज एरिया न होना। बताया गया है कि हाइवे से ही गोवर्धन मार्ग में अड़ींग से कुछ पहले तक उसके सिगनल पूरी तरह काम नहीं कर रहे हैं। इस मार्ग पर प्रवेश करते ही मोबाइल स्क्रीन चेक मोबाइल आपरेटर मेसेज दिखाने लगती हैं।
निगम प्रशासन इस एरिया में अभी तक कोई नया टावर नहीं लगा सका है। इस तरह के ब्लैंक पैचेज देहात में कई प्रमुख मार्गो पर ही बताए गए हैं। ओल व मगोर्रा के बीच ही निगम के मोबाइल टावर इतने सिगनल नहीं निकाल रहे कि वे राजस्थान से आने वाले सिगनल्स को मात दे सकें। फलस्वरूप स्थानीय ग्राहकों को कई बार रोमिंग दर से कॉल शुल्क अदा करना पड़ रहा है। यही स्थिति जतीपुरा व राधा कुंड के कुछ एरिया में बनी हुई है।
बल्देव, मांट व बरसाना-नंद गांव की ओर भी यही समस्या बतायी गयी है, जबकि उसे शहर की तुलना में देहात से ग्राहक ज्यादा मिल रहे हैं। निगम के वर्तमान में एक सौ बीस मोबाइल टावर काम कर रहे हैं। इसी साल उसने आधा दर्जन से ज्यादा टावर लगाए हैं, पर सितंबर तक जो टावर लगने थे, उन पर अभी कार्य शुरू भी नहीं हुआ है।
निगम प्रशासन को अगले साल मार्च तक 45 टावर और लगाने हैं, जिनमें 17 टावर थ्री जी सेवा के और शेष 28 मोबाइल टावर लगाए जाने हैं। इनकी स्थापना के साथ ही उसे पचास हजार नए कनेक्शन देने का लक्ष्य मिला हुआ है। स्थिति यह है कि टावर सामग्री उसे समय से नहीं मिल पा रही।
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