Wednesday, June 2, 2010

2010-06-03 ब्रज का समाचार

अभिनेत्री हेमा को भी भाया वृंदावन

मथुरा (DJ June 3, 2010)। पूर्व राज्य सभा सदस्य और मशहूर अदाकारा हेमामालिनी की सांसद निधि से वृन्दावन स्थित इस्कान संस्था के गुरुकुल में अंतर्राष्ट्रीय मानकों वाले शॉवरों के दस-दस टायलेट एवं बाथरूम बनाये जा रहे हैं। गुरुकुल का पुनरोद्धार भी कराया जा रहा है। 'ड्रीम गर्ल' के वृंदावन में आधुनिक टायलेट व बाथरूमों के प्रस्ताव के क्रियान्वयन के लिए मुंबई सब-अरबन डिस्ट्रिक्ट के कलेक्टर ने 25 लाख रुपये मंजूर किये। हेमा मालिनी की सांसद निधि के करीब 59 लाख रुपये से जनपद के विभिन्न स्कूलों में कक्ष एवं बरामदा निर्माण के साथ ही वात्सल्य ग्राम से गोविंद गोशाला की ओर अक्रूर मार्ग पर 16 लाख से करीब आधा किमी. सीसी रोड, करनावल स्थित श्रीकृष्ण इंटर कालेज के भू-तल एवं प्रथम तल पर 20 लाख से दो-दो कक्षों तथा ग्राम मुड़लिया, नौहझील स्थित डा. ब्रजपाल मोहरपाल सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 23 लाख से पांच कक्षों एवं बरामदा निर्माण कार्य प्रगति में बताये गये।


पानी पर नींद कुर्बान

मथुरा (DJ June 3, 2010)। पेयजल के लिए अपनी नींद कुर्बान करने वाली महिलाओं की किस्मत नहीं बदली है। श्वांस, अस्थमा, ब्लड प्रेशर है या घुटनों का दर्द, नगर पालिका की कम आपूर्ति के मर्ज के आगे उन्हें अपना मर्ज कम और प्यास बड़ी लगती है।

तीस-चालीस साल पहले घनी आबादी की महिलाएं जिस तरह पानी के लिए रात-रात भर जागती थीं, वैसी रातें आज भी उनके हिस्से में हैं। फर्क इतना पड़ा है कि पहले उनकी सास यह जरूरी काम रात में निबटाती थी और आज वह सास और वृद्धा के रूप में इस जरूरी कारज को अंजाम दे रही हैं।

इन सालों में नलकूप कई गुना बढ़ गए हैं और हैंडपंप भी उनकी बस्तियों में खड़े हुए हैं, लेकिन पेयजल की दौड़-भाग समाप्त नहीं हो सकी है। टंकी और नलकूप से नलों के जरिए पहुंचने वाला पेयजल आज भी उसी तरह भरा जा रहा है।

वनखंडी व सुभाष नगर की सप्लाई सुबह चार बजे के आसपास पहुंचती है, पर खाली बर्तनों के साथ वृद्ध महिलाओं का जमघट आधी रात से ही लगना शुरू हो जाता है। जिसका बर्तन नल के जितने करीब होगा, वह सप्लाई आते ही उतना पहले पानी भर लेता है।

पहले नंबर के फेर में उनकी आंखों की नींद कब पूरी होती है, इसे कोई देखने वाला नहीं है। फिर चाहे झींगुर पुरा हो या बहादुर पुरा, अंबाखार, जनरल गंज या पापड़ा पीर, कठौती कुआं, भैंस बहोरा या चौबिया पाड़ा, इस भीषण गर्मी में नलों के आसपास महिलाओं के रतजगे हर जगह मिल जाएंगे।

बनखंडी निवासी नसीम बानो कहती हैं कि उन्हें अस्थमा है, पर सुबह रोटी पकाने से लेकर पूरे दिन बच्चों की प्यास बुझाने के लिए पानी जरूरी है। वह सालों से इसी तरह पानी भर रही हैं। हालांकि उनके आसपास कुछ निजी बोरिंग हुए हैं, लेकिन गर्मियों में वे लोग भी पानी चलाने से हिचकिचाते हैं। अगर एक-दो बाल्टी खारी पानी भर भी लिया तो क्या हुआ, प्यास तो पालिका के मीठे पानी से ही भरती है।

सुभाष नगर निवासी राम देई कहती हैं कि सालों से मोहल्ले में रात में ही सप्लाई आती है। जागकर बर्तन भरना मजबूरी है। उनके घुटनों में दर्द रहता है, पर क्या करें। रात में आलस्य कर लिया तो दिन में ज्यादा दौड़ना पड़ता है।

क्वालिटी होटल से डैंपीयर नगर जाने वाले रास्ते में एक-दो नल लगे हुए हैं। इन पर दूर-दूर से पानी भरने के लिए महिलाएं आती हैं। सिर पर बर्तन रखकर आती-जाती महिलाएं रात के सन्नाटे में बिना किसी भय के गुजरती हैं। यह उनकी दिनचर्या जो है।


धौरेरावासी पीने के पानी से वंचित

गांव के अधिकतर हैंडपंप का पानी खारा
आक्रोश : शिकायत के बाद भी अधिकारियों ने नहीं ली सुध
निजी टैंकरों के इंतजार में घंटों बैठे रहते हैं ग्रामीण


वृंदावन (AU June 3, 2010)। जिस गांव में पीने के पानी को लोग तरसते हों, मार्ग गंदगी से अटे पड़े हों तथा सीवर व्यवस्था का अभाव हो, ऐसे गांव के बाशिंदों का क्या हाल होगा। जी हां! हम बात कर रहे है वृंदावन-मथुरा पर स्थित गांव धौरेरा की।

यह गांव विकास से कोसों दूर है। ग्रामीण समस्याओं के निदान के लिए जनप्रतिनिधिओं और अधिकारियों के यहां चक्कर लगाते थक चुके हैं, लेकिन क्षेत्र की समस्या का निदान नहीं हो पाया है। गांव के अधिकतर हैंडपंपों का पानी सूख चुका है और पानी की लाइन नहीं। इसीलिए महिलाओं को सुदूर क्षेत्रों से पानी लाकर काम चलाना पड़ रहा है या फिर गांववासी निजी संस्थाओं के टैंकरों का इंतजार करते हैं।

गांव के अधिकांश हैंडपंप का पानी खारा है। गांव निवासी निहाल चंद्र, जवाहर एवं जगदीश बघेल का कहना है कि वर्षों से यहां पेयजल का अभाव है। इससे महिलाओं को काफी दूर से पीने का पानी लाना पड़ रहा है। कुसुमलता, जमुनादेवी, रमेश, जयनारायण कहना है कि गांव में लगे अधिकतर खरंजे उखड़ चुके हैं। इससे वहां से होकर निकलना ग्रामीणों के लिए बहुत मुश्किल है। राम सिंह और जितेंद्र का कहना है कि हर सुबह गांव के लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है।

ग्राम प्रधान पतोली सिंह का कहना है कि कई बार शासन को पत्र लिखे जाने के बावजूद भी यहां के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। कुछ सामाजिक संस्थाओं से सहयोग लेकर यहां टैंकर और नलकूपों की व्यवस्था कराई गई है।

बाक्स

वृंदावन (AU June 3, 2010)। ग्राम धौरेरा के प्रधान पतोली के अनुसार गांव की कुल आबादी करीब तीन हजार है, जबकि मतदाता संख्या दो हजार के आसपास है। इस आबादी में लगभग १९०० दलित, सर्वण ९०, बघेल ४५०, मल्लाह ३०० बाकी अन्य जातियों अल्पसंख्यक के अलावा अन्य जातियों के लोग निवास करते हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों ने पानी जैसी सुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

फोटो-पी-२ मथुरा-वृंदावन मार्ग स्थित धौरेरा गांव में टैंकर से पानी भरतीं महिलाएं।


सोना : बढ़ती कीमत में बिक्री हुई कम

जरूरत के हिसाब से सोने की खरीददारी
गिरावट : बुधवार को दस ग्राम सोने के दाम दो सौ रुपये गिरे
आभूषण खरीदने में हिचक रहे है लोग


मथुरा (AU June 3, 2010)। सोना भले ही तेजी के शिखर पर पहुंच गया हो लेकिन इस स्वर्णिम दौर में उसके कद्रदानों की संख्या कम हो गई है। बाजार में सोना और उससे बने आभूषणों को खरीदने में लोग हिचक रहे हैं। सहालग के समय में भी लोग जरूरत के हिसाब से ही सोने की खरीददारी कर रहे हैं।

कारोबारी सूत्रों के अनुसार मंगलवार को सोने की कीमत १९०५० प्रति दस ग्राम रही, जबकि बुधवार को सोने की कीमत में लगभग २०० रुपये प्रति दस ग्राम की गिरावट आई। इसके बावजूद बाजार में इसकी जरूरत के ही हिसाब से खरीददारी की जा रही है।

सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश बंसल बताते हैं कि तेजी से बाजार में बिक्री को मानो ग्रहण लग गया है। लोग सिर्फ आवश्यकता के अनुसार ही खरीददारी कर रहे हैं। बिक्री ठप होने से सोने की कीमत में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। एक अन्य कारोबारी प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि दिलचस्प बात यह है कि तेजी के इस दौरान भी बाजार में सोना बेचने वालों का भी टोटा पड़ गया है। लोग देखो और इंतजार करो की नीति पर चल रहे है।

सोने की तेजी ने बिगाड़ा बजट

मथुरा (AU June 3, 2010)। बीते कुछ माह में ही सोने के भावों में बेलगाम तेजी ने शादियों के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है। महोली रोड निवासी रामजीलाल के घर में बिटिया की शादी है। एक साल पूर्व हुई सगाई के दौरान सोने के भाव १३ हजार के आसपास थे, उस समय उन्होंने सौ ग्राम सोने के आभूषण देने का वायदा कर दिया। वर्तमान में इसकी कीमत उछल कर १९ हजार प्रति दस ग्राम पहुंच गई है। कीमत के इस अंतर की भरपाई के लिए उन्हें दहेज के अन्य सामान में कटौती करनी पड़ रही है।


गरमी ने पसीने छुड़ाने के साथ हलक भी सुखाए

धरना-प्रदर्शनों का विद्युत विभाग पर असर नहीं
राहत : पशु ने गर्मी को नालों में शांत किया
रात में छह घंटे बिजली गुल की


कोसीकलां (AU June 3, 2010)। धूप की तल्खी भरी चमक ने जनमानस के पसीने छुड़ाने के साथ हलक भी सुखा दिए हैं। पशु-पक्षी भी बेहाल हैं। गरमी में बिजली कटौती ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। कूलर, पंखे, ऐसी शोपीस बने हुए हैं।

गरमी की प्रचंडता ने बुधवार को एक बार फिर एहसास करा दिया। गरमी लोगों का सिर तपाती दिखी। इससे बचने के लिए जहां युवा रूमाल और कैप का प्रयोग करते दिखे तो अधेड़ साफी, गमछे का। युवतियां छतरी लगाकर सड़कों से गुजरीं। शरीर झुलसाने वाली धूप ने राहगीरों को छांव में ही चलने को विवश कर दिया। प्रातः आठ बजे से ही सूर्यदेवता की तीखी किरणों से गरमी का अहसास होने लगा। इससे लोग बेहाल हो गए। गरमी बढ़ने से शरीर का पसीना नहीं सूख रहा था। कूलर, पंखों की हवा भी फेल हो रही थी। महिलाएं हाथों में पंखे हिलाती देखी गईं। पशु भी नाले-नाली, तालाब, पोखरों में अपनी गरमी को शांत करने में लगे रहे।

उधर, बिजली कटौती ने सारे रिकार्ड तोड़ डाले। धरना-प्रदर्शन, आंदोलनों का भी विद्युत अधिकारियों पर कोई असर नहीं हो रहा। अधिकारी आपूर्ति सुधारने की बजाए पब्लिक से बचने के लिए सुरक्षा की गुहार लगाते हुए घूम रहे हैं। बुधवार को बिजली ने अपने सारे रिकार्ड ध्वस्त कर डाले। रात्रि में १२ बजे गई आपूर्ति सुबह छह बजे शुरू हुई तो लुकाछिपी चालू हो गई। दिन में भरी गरमी में एक बजे से चार बजे तक आपूर्ति भंग रही। शाम को तो बिजली की कटौती ने सभी को पसीना-पसीना कर दिया।


सांस्कृतिक गतिविधियों पर गर्मी ने ब्रेक लगाया

प्रचंड गर्मी में कार्य करने को कलाकार तैयार नहीं
तपिश : संगोष्ठी, काव्य पाठ, साहित्यक आयोजन भी ठप
पुरुषोत्तम मास के दौरान ही हुए बड़े कार्यक्रम


मथुरा (AU June 3, 2010)। झुलसाने वाली गर्मी ने शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों पर विराम सा लगा दिया है। विगत माह से जिले में कोई बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ है। इसके अलावा साहित्य और धर्म संस्कृति से संबधित कोई विशेष बड़े आयोजन भी नहीं हुए हैं।

मई माह में अधिक मास की समाप्ति के बाद से सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजनों का दौर थम सा गया है। अप्रैल के प्रारंभ में शुरू हुए पुरुषोत्तम मास के दौरान तीर्थयात्रियों की आवाजाही ब्रज में उम्मीद से ज्यादा हुई थी। तापमान बढ़ने पर भी धर्मप्रेमियों के जोश में कोई कमी नहीं आई थी। गर्मी पर आस्था भारी पड़ रही थी। अधिक मास के चलते जिले में कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। रामायण पाठ, भागवत कथा से लेकर यमुना जी का चुनरी मनोरथ, मंदिरों में मनोरथ कार्यक्रमों की बड़ी फेहरिस्त इस माह का हिस्सा रहे। इनके अलावा गीत-संगीत, काव्य पाठ, साहित्य संबधित गोष्ठियाें के अधिक आयोजन भी अप्रैल में ही अधिक हुए। इसके बाद मई-जून में पड़ी प्रचंड गर्मी ने बड़े कार्यक्रमों की शृंखलाओं पर मानो ब्रेक सा लगा दिया है। इक्का-दुक्का धार्मिक कार्यक्रमों को छोड़कर कोई बड़ा प्रोग्राम शहर में नहीं हुआ है। चुनरी मनोरथ कार्यक्रमों में भी दर्ज की गई है। गीत-संगीत, काव्य संध्याओं के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियों में भी कमी आ गई है।

सांस्कृतिक संस्था निकेतन के प्रमुख दीपक कुमार का कहना है कि इतनी गर्मी में किसी प्रकार के आयोजनों के लिए कलाकार तैयार नहीं हो रहे हैं। बढ़ते तापमान में किसी प्रकार की प्रतियोगिता का आयोजन न होना ही बेहतर है।


बलदेव के रजवाहों में पानी नहीं

गर्मी की मार से पशु हरा चारे और पानी के लिए तरस रहे

निर्णय : नेताओं ने अधिशाषी अभियंता को घेरने का मन बनाया
रबी सीजन की आवपासी की वसूली स्थगित की मांग


अकोस/बलदेव (AU June 3, 2010)। एक तो गर्मी ऊपर से नहर और रजवाहों में पानी की किल्लत। इससे किसान परेशान हैं।

बलदेव और दघेंटा रजवाह में पानी नहीं आने से किसानों के सामने पशुओं के लिए हरे चारे के अलावा मूंग, अगैती बाजरा की फसल को बचाने की समस्या पैदा हो गई है। सूखी पड़ी पोखरों में पानी नहीं भरा जा रहा है। महीनों से रजवाहों में पानी नहीं आने से किसानों में आक्रोश पनपने लगा है। रबी सीजन की आवपासी की बसूली स्थगित करने और पानी की मांग को लेकर बलदेव के रालोद कार्यकर्ताओं ने नहर और सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता के घेराव का निर्णय लिया है।

बलदेव के पप्पू पांडे, नगला विधि के सौदान सिंह और मानसिंह बधौतिया, दघैटा के ओमप्रकाश, आंगई के ओमवीर सिकरवार, हथकौली के कौशल सिकरवार बताते हैं कि बलदेव और दघेंटा रजवाहा पांच-छह महीने से पानी नहीं आने से सूख गए हैं। गेहूं की सिंचाई के समय भी पानी नहीं आया था। अब चरी, बाजरा और मूंग की खेती के लिए भी पानी नहीं है। सैकड़ों बीघा जायद और खरीफ की फसल प्रभावित हो रही है।

वहीं, किसान नेता बुद्धा सिंह प्रधान और डा. एनपी सिंह भरंगर का कहना है कि नहर रजवाहों में पानी नहीं आने से किसान परेशान हैं। सिंचाई विभाग के अधिकारी चैन की नींद सो रहे हैं। रजवाहों में पानी छोड़ने एवं रबी सीजन की सिंचाई की आवपासी की वसूली स्थगित करने की मांग को लेकर सिंचाई विभाग मांट ब्रांच गंग नहर के अधिशाषी अभियंता को ज्ञापन सौंपेंगे। अगर चार दिन के अंदर दोनों रजवाहों में पानी नहीं छोड़ा गया तो किसान सिंचाई कार्यालय पर भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

वहीं, रालोद जिलाध्यक्ष रामवीर सिंह भरंगर का कहना है कि नहरों और रजवाहों में पानी छोड़ने के लिए कई बार अधिकारियों से कह चुके हैं, लेकिन सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता उन्हें नहरों में पानी छोड़ने का आश्वासन देते रहते हैं।


बेचने का आरोप लगाया पिता पर

मथुरा (DJ June 3, 2010)। जिसने पाल-पोस कर बड़ा किया, पुत्री अब उसी के खिलाफ खड़ी हो गई है। पति प्यारा और पिता दुश्मन नजर आ रहा है। मामला बलदेव विकास खण्ड के ग्राम मेदुआ का है। स्थानीय निवासी एक शराबी पिता ने अपनी पुत्री के वैवाहिक सम्बन्ध के खिलाफ आरोप लगाये तो पुत्री ने इसे न केवल नकार दिया बल्कि पिता पर बेचने का आरोप भी लगा दिया। वह पति के साथ जीने मरने की कसम खा रही है।

मेदुआ निवासी राजेश व पत्‍‌नी ममता के बीच अनबन है। इस वजह से ममता पिछले नौ साल से अपने पति से अलग मायके में रह रही थी। ममता की पुत्री प्रीति को भी नाना-मामा ने पढ़ाया लिखाया और समय पर उसकी शादी कर दी। प्रीति की शादी 23 मई, 2010 को सगुन मैरिज होम अलीगढ़ में बैंक कॉलोनी निवासी उमाशंकर शर्मा के पुत्र नौनिहाल शर्मा से रीतिरिवाज के साथ सम्पन्न हुई।

इस सम्बन्ध में पुत्री के पिता ने वर की जाति अलग होने व लड़की के नाबालिग होने का आरोप लगाकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अलीगढ़ से शिकायत की। इस पर एसएसपी अलीगढ़ ने सीएमओ से लड़की के नाबालिग होने की जाँच करायी। सीएमओ ने जाँच में लड़की को बालिग पाया। पिता के आरोपों को लेकर पुत्री व उसके पति को थाना प्रभारी बलदेव ने भी जाँच हेतु बुलाया जिस पर पुत्री प्रीति व उसका पति नौनिहाल शर्मा व प्रीति की माँ ममता अपने मायके वालों के साथ थाना बलदेव आयी।

प्रीति ने अपने पति के साथ रहने की बात कही तथा अपने पिता पर बेचने का आरोप लगाया, जिस पर लड़की का पिता थाना बलदेव से मुँह छिपाकर भाग गया।


विवाहिता को जिंदा जलाने का प्रयास

सास, ससुर सहित आधा दर्जन नामजद
दुस्साहस : ससुरालीजनों ने कमरे में बंद कर उस पर केरोसिन डाला
५० हजार, फ्रिज और वाशिंग मशीन की कर रहे थे मांग


कोसीकलां (AU June 3, 2010)। दहेज में ५० हजार रुपये, फ्रिज, वाशिंग मशीन न लाने पर ससुराली जनों ने विवाहिता को मिट्टी का तेल छिड़ककर जलाकर मारने का प्रयास किया। इसकी रिपोर्ट सास-ससुर, पति सहित पांच के खिलाफ दहेज एक्ट के तहत दर्ज कराई है।

बुखरारी निवासी गंगा श्याम का आरोप है कि उसने बेटी इंदिरा की शादी २७ फरवरी २००९ को सैलोठी पलवल निवासी लालाराम के पुत्र चंद्रपाल के साथ की थी। शादी में सामर्थ्य के अनुसार दान-दहेज दिया था। ससुराली जन लगातार ५० हजार रुपये नकद, फ्रिज, कपड़ा धोने की मशीन आदि की मांग करते हुए उसका उत्पीड़न करते रहे। कुछ समय तक तो इंदिरा सब कुछ सहती रही। बाद में यह बात उसने पिता को बताई तो पंचायत के माध्यम से मामले को सुलह कराने का प्रयास किया गया। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इस पर ससुरालीजन उसे मायके छोड़ गए।

पांच-छह दिन पूर्व खबर मिली कि उसके पति चंद्रपाल एक दुर्घटना में घायल हो गया है। उसको देखने के लिए वह पलवल पहुंची तो वहां उसके ससुरालीजनों ने काफी दुर्व्यवहार किया। इसके बाद भी इंदिरा वहीं रुक गई। ३१ मई को ससुरालीजनों ने इंदिरा को एक कमरे में बंद कर दिया और उस पर मिट्टी का तेल छिड़ककर जलाकर मारने का प्रयास किया। किसी तरह इंदिरा बच निकली। विवाहिता के पिता ने घटना की रिपोर्ट पति चंद्रपाल, ससुर लालाराम, सास लक्ष्मी, देवर परवीन, नंद मुन्नी के खिलाफ आईपीसी की धारा ४९८ ए, ३२३, ५०६, ५/४ दहेज एक्ट के खिलाफ दर्ज कराई है। पुलिस मामले की जांच में जुट गई।


एडीएम प्रशासन पद से वर्मा का तबादला

मथुरा (DJ June 3, 2010)। करीब साढ़े तीन माह पहले ही यहां अपर जिलाधिकारी प्रशासन बनाकर भेजे गये श्रीश चन्द वर्मा का तबादला एक बार फिर नोएडा विकास प्राधिकरण के सचिव पद पर होने की चर्चा है। पुलिस-प्रशासन के कई अफसरों द्वारा उनके कार्यालय में जाकर मुलाकात करने से भी इस चर्चा को बल मिल रहा है। श्री वर्मा ने बताया कि अभी उनके पास तबादला आदेश नहीं आया है।


विकास भवन में होगा विकास

मथुरा (DJ June 3, 2010)। यदि सब कुछ सीडीओ की मंशा के अनुसार चला तो निकट भविष्य में विकास (राजीव) भवन का कायाकल्प होता दिखाई देगा। विकास भवन के केन्द्रीय कक्ष एवं दफ्तरों में आधुनिक सुविधाओं के लिए शासन को 50 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके प्रोजेक्ट जिला ग्राम्य विकास अभिकरण एवं आरईएस ने तैयार किये हैं।

पिछले दिनों सरकारी कार्य से लखनऊ गये सीडीओ अजय शंकर पाण्डेय ने इस संबंध में प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास से भेंट की थी। उनकी सोच है कि जिले में ग्राम्य विकास योजनाओं के संचालन के प्रमुख केन्द्र विकास भवन को खुद इस मामले में मॉडल दिखना चाहिए। प्रमुख सचिव, ग्राम्य विकास ने सीडीओ की भावना को ध्यान में रखते हुए उन्हें मौखिक रूप से इसके लिए आश्वस्त कर दिया बताया गया।

यहां यह तथ्य काबिले गौर है कि दो दशक पहले अस्तित्व में आए विकास भवन के अनुरक्षण के लिए शासन से हर साल एक लाख रुपया जिला प्रशासन को मिलता रहा है। इसका समुचित उपयोग नहीं किया गया।


फील्ड में कुल 115 प्रगणक

मथुरा (DJ June 3, 2010)। नगर में जनगणना का कार्य अधिशासी अधिकारी के बदले जाने से भी प्रभावित हुआ है। गणना को गति देने के लिए एडीएम वित्त एवं प्रभारी जिलाधिकारी ज्ञानेश कुमार ने मीटिंग लेकर जरूरी निर्देश दिए।

सायं कलक्ट्रेट सभागार में हुई मीटिंग में प्रभारी जिलाधिकारी ने नवागत अधिशासी अधिकारी शिव कुमार शर्मा को जल्द ब्लाक बनाकर नक्शे तैयार कराने के निर्देश दिए और निर्धारित तिथि तक कार्य पूरा करने को कहा।

अधिशासी अधिकारी ने 28 मई को चार्ज संभालने के बाद ब्लाक बनाए जाने के निर्देश कर निरीक्षकों को दिए थे। ईओ श्री शर्मा ने बताया है कि उनके चार्ज लेने से पहले तो जनगणना ठीक से शुरू ही नहीं हुई थी। ब्लाक व नक्शा नहीं बने थे। गत छह दिन में पचास फीसदी ब्लाक बना दिए गए हैं और 115 कर्मचारियों को फील्ड में रवाना कर दिया गया है।


नगर में शिथिल पड़ा जनगणना

मथुरा (DJ June 3, 2010)। शहर में जनगणना कागजों पर ज्यादा और फील्ड में कम हो रही है। एक पखवाड़े से प्रगणक आधा-अधूरा काम ही कर पा रहे हैं। वजह है ब्लाक और नक्शा नहीं दिया जाना।

जनगणना 2011 के अंतर्गत शहर में तीस जून तक मकानों की गणना होनी है। एक-एक बस्ती के एक-एक मकान को गणना में शामिल किया जाना है। इसके लिए 765 प्रगणक से गिनती करायी जानी थी, लेकिन इतनी संख्या तो जनगणना अधिकारी अभी तक हासिल नहीं कर पाए हैं, उल्टे जितने कर्मचारी गणना में लगे हुए हैं, वे लक्ष्य के मुताबिक कार्य नहीं कर पा रहे।

नगर पालिका परिषद जनगणना के लिए प्रगणक को केवल स्टेशनरी वितरण तो एक पखवाड़े से कर रही है, लेकिन कर्मचारियों को किन दिशा में कौन से मोहल्ले लेने हैं, यह उन्हें ठीक से पता ही नहीं है। दरअसल उन्हें ब्लाक क्षेत्र और मोहल्लों का नक्शा बनाकर नहीं दिया गया है।

जैसी कि आशंका दैनिक जागरण ने शुरू में जतायी थी, उसी ढर्रे पर गणना का काम आ गया है। मकानों की गिनती का काम पालिका कर्मचारियों के अलावा अन्य विभागों के कर्मचारियों, शिक्षकों और सिविल डिफेंस के कार्यकर्ताओं से भी लिया जा रहा है। मकान वार सर्वे में पालिका के रिकार्ड पर जनगणना आधारित होने से नयी बस्तियों के पूरी तरह शामिल हो पाने में संदेह जताया जाता रहा है।

अब फिर से निर्देश जारी हुए हैं कि नगर पालिका का गृह कर व जलकर देने वाले मकानों की गिनती प्राथमिकता से की जाएगी। नगर पालिका के इंजीनियर ने ब्लाक के जो नक्शे बनाए हैं, वे प्रगणकों के पहचान में नहीं आए, जबकि इस कार्य पर तीस हजार का व्यय हो चुका है। छह दिन पहले नए ईओ ने पालिका के समस्त कर निरीक्षकों से अपने-अपने क्षेत्रों के नक्शे बनाने को कहा है, लेकिन अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हो पायी है। नियमानुसार एक ब्लाक में डेढ़ सौ मकान लिए जाने हैं, लेकिन ब्लाक वार नक्शा न होने से गिनती लक्ष्य के हिसाब से नहीं हो रही।


12 महीने, तीन मेले और पांच को नौकरी

मथुरा (DJ June 3, 2010)। बेरोजगार हताश और निराश हैं। केंद्र, प्रदेश सरकार एवं उनसे संबद्ध संस्थान रोजगार देने में असफल साबित हो गये हैं। जिले के तीस हजार से अधिक रजिस्टर्ड युवक नौकरी की तलाश में है। इनमें से तीन हजार से अधिक दस साल से काम की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 12 महीने में तीन रोजगार मेले आयोजित होने के बाद मात्र पांच का समायोजन हो सका है, जबकि जिले में 565 पंजीकृत नियोजक मौजूद हैं।

जनपद में सरकारी नियम-कानून के अंतर्गत सेवायोजन कार्यालय कार्यरत है। कई प्रकार की रोजगार परक शिक्षा-दीक्षा देता है। सरकारी व गैर सरकारी पंजीकृत 565 नियोजन संस्थान हैं किंतु उनमें से करीब 14 प्रतिशत ने अपने यहां पदों की रिक्तियों की सूचना देना जरूरी नहीं समझा है। यह हालात तब हैं जबकि कानून में सूचना न देने वालों को दंडित करने का विधान है। कानून की अवहेलना करने वालों में सबसे अधिक सरकारी संस्थान हैं, किंतु उनके अधिकारी किसी प्रकार के दंड से बेखौफ हैं।

आकड़े दिखा रहे आइना?

सरकारी आकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्र में हाई स्कूल से कम 116, हाई स्कूल 678, इंटर 550, स्नातक 1306, स्नातकोत्तर 414, आईटीआई 101, डिप्लोमाधारी 33, प्रशिक्षित बीटीसी 1, बीएड, एलटी 314, अनुसूचित 480, अनुसूचित जन जाति 2 अन्य पिछड़ा वर्ग 261 महिला 251 पिछले पांच साल से, हाई स्कूल से कम 73, हाई स्कूल 395, इंटर 339, स्नातक 711, स्नातकोत्तर 73, आईटीआई 49, डिप्लोमा 18, बीटीसी 2, बीएड 173, अनुसूचित 264, अनु.ज.जा. 3, अन्य पिछड़ा 142, महिला 113 दस वर्ष तक के तथा योग्यता क्रम से 22, 119, 46, 105, 24, 8, 2, 1, 34, 45, 37, 1, 19, 11 दस साल से अधिक समय से रोजगार की तलाश में सेवायोजन विभाग पर भरोसा कर रहे हैं।


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