मथुरा महकी, दिल्ली बहकी
मथुरा (DJ, June 4, 2010)। मथुरा जैसी धार्मिक नगरी में कदम-कदम पर मंदिरों में चढ़ते फूलों से भगवान तो प्रसन्न होते ही हैं, इंसानों को भी अलग आनंद की अनुभूति होती है। हर रोज सुबह से शाम तक फूलों की इसी खुशबू से पूरी नगरी महकती है। लेकिन दिल्ली को यह खुशबू शायद रास नहीं आई और फूलों के चमन का दायरा सिकोड़ दिया है। पुष्प खेती को बढ़ावा देने से हाथ खींच लिये हैं।मथुरा-वृंदावन के अलावा गोवर्धन, गोकुल, बल्देव, बरसाना और नंदगांव के प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालु रोजाना सैकड़ों क्विंटल फूल चढ़ाते हैं। जिले में गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा और ग्लेडियोलस की पैदावार की जा रही है। इसके बावजूद भी दूसरे जनपदों से यहां फूल मंगाने पड़ रहे हैं। किसानों को फूलों के उत्पादन के लिए प्रेरित करने को राष्ट्रीय औद्यानिक मिशन में आर्थिक मदद दी जा रही है।
आर्थिक मदद मिलने से किसानों ने भी फूल उत्पादन में रुचि दिखाई। नतीजतन फूलों की खेती का रकबा बढ़ गया, लेकिन भारत सरकार ने पिछले साल से ही फूलों की खेती को मिलने वाली आर्थिक मदद में कटौती करना शुरू कर दिया। जिला औद्यानिक मिशन में वर्ष 2009-10 में 140 हेक्टेयर में फूलों की खेती करने के लिए किसानों को कृषि निवेश के रूप में कुल लागत में पचास फीसदी की मदद दी गई।
इसमें 40 हेक्टेयर में रजनीगंधा, 30 हेक्टेयर में ग्लेडियोलस और 70 हेक्टेयर में गेंदा की खेती कराई गई। वर्ष 2010-11 में फूलों की खेती का रकबा घटा दिया गया। इस बार कुल 35 हेक्टेयर में ही किसानों से फूलों की खेती जिला औद्यानिक मिशन में कराई जाएगी। इसमें 15 हेक्टेयर में रंजनी गंधा, 10-10 हेक्टेयर में ग्लेडियोलस और गेंदा की खेती कराई जाएगी। इसके लिए किसानों को कुल लागत का अधिकतम पचास फीसदी अनुदान कृषि निवेश के रूप में दिया जाएगा। यह धनराशि करीब दस लाख रुपये होगी।
जलते हुए तन पर गिरी भीगी-भीगी सी शबनम
मथुरा (DJ, June 4, 2010)। आसमान से गिर रहे दहकते लावे के लिए शायद गुरुवार का दिन नियत नहीं था। बूंद-बूंद पानी और ठंडी हवा को तरस रहे लोगों को दोपहर बाद ऐसी राहत मिली कि आसमान से टपकी मुट्ठी भर बूंदें उनके जलते हुए तन पर शबनम का एहसास दे गयीं। देर रात तक बने रहे भीगे-भीगे मौसम में हर एक के चेहरे खिले दिखे।42 से लेकर 46 डिग्री के तापमान में गर्मी कुछ दिनों से जितनी बेदर्दी से तन को झुलसा रही थी, गुरुवार को अंधड़ के साथ आने के बावजूद आसमान में जम गए काले बादलों ने उतने ही शीतलता के साथ प्यार भरा मौसम बख्श दिया। दोपहर बाद धूल भरी आंधी के बाद लग रहा था कि बादलों के रेबड़ कहीं और जाकर बसेरा बनाएंगे, पर उनके मंतव्य का थोड़ी देर में पता लग गया, जब पूरे जनपद में कहीं ज्यादा और कहीं कम बारिश होने लगी।
शहर की पथरीली सड़कों और छतों पर थोड़ी ही बूंदें गिरी, पर यह मौसम में आए अचानक बदलाव के साथ जीवन दायिनी साबित हुई। मकानों के अंदर का तापमान भी एकदम जमीन सूंघ गया। मोहल्लों में महिलाएं व बच्चे छतों पर शोर मचाने लगे तो बहुत जरूरी काम के लिए भी मुश्किल से बाहर निकलने की हिम्मत जुटा रहे लोगों से सड़कों पर यातायात बढ़ गया। अब से पहले तन को ठंडक पहुंचाने के लिए डुबकी लगा रहे बच्चों समेत बड़े भी सूर्यास्त तक यमुना में किलोल करते नजर आए। दूसरी ओर नौका विहार करने वाले भी खूब घरों से निकले।
तपते तारों पर बारिश से कई जगह फाल्ट और आतिशबाजी भी हुई, पर पारे में गिरावट की वजह से लोगों को विद्युत समस्या का उतना एहसास भी नहीं हुआ। इस बीच शहर भर में बन रहे नालों और जमी सिल्ट के कारण जलभराव सतह पर आ गया। बिन बारिश पानी से लबालब रहने वाली नए बस स्टैंड रेलवे पुलिया के नीचे तो जैसे बाढ़ ही आ गयी। यहां आवागमन रात बाद तक प्रभावित रहा। पैदल यात्री रेल पटरी क्रास करने को विवश हुए। यही हाल भूतेश्वर रेलवे पुलिया का था तो भूतेश्वर से लेकर बीएसए कालेज तक महीनों से बना जलभराव इतना बढ़ गया कि एक साइड की सड़क ही सूनी हो गयी।
राया स्थित कृषि फार्म से मिले आंकड़े के अनुसार बीते दिन न्यूनतम पारा 25 डिग्री सेल्सियस, उच्चतम 42 डिग्री और आर्द्रता 40 थी तो गुरुवार को न्यूनतम 27, अधिकतम 38 हो गया। आर्द्रता बढ़कर 66 पर पहुंच गयी।
अंधड़ ने निगलीं दो और जिंदगी
पेड़ गिरने से वृद्धा, दीवार गिरने से गृहस्वामी की मौतआपदा : आकाशीय बिजली से छाता में गाय और भैंस मरीं, बच्चे बचे
गोवर्धन में गौशाला की दीवार ढही, चार गाय काल कवलित
कई जगह बिजली के खंभे और पेड़ गिरे, फिर छाया अंधेरा
मथुरा (AU, June 4, 2010)। गुरुवार दोपहर बाद एक बार फिर मौसम ने करवट ली। तेज अंधड़ के बाद बरसात ने मौसम खुशगवार बना दिया। वहीं अंधड़ ने देहात में मुसीबतें खड़ी कर दीं। टैंटीगांव के समीप लक्ष्मणपुरा में दीवार गिरने से गृहस्वामी की और गोवर्धन के कुंजेरा में पेड़ गिरने से वृद्धा की मौत हो गई। आकाशीय बिजली व दीवार गिरने से आधा दर्जन पशु काल के गाल में समा गए। जगह-जगह बिजली के खंभे, दीवार, पेड़, होर्डिंग्स गिरने से आफत खड़ी हो गई।
२९ मई को आए अंधड़ से लोग उबरे भी नहीं थे कि ठीक पांच दिन बाद आंधी ने लोगों को एक बार फिर से हिला कर रख दिया। गोवर्धन संवाददाता के अनुसार क्षेत्र के गांव कुंजेरा में अंधड़ के दौरान पेड़ गिरने से चमेली देवी (५५) की मृत्यु हो गई। इसी मार्ग पर समर्पण गौशाला की दीवार गिरने से चार गाय मर गईं। बरसात के चलते हाथी दरवाजा क्षेत्र में दो दर्जन दुकानों में पानी घुसने से लाखों का सामान बर्बाद हो गया।
टैंटीगांव के गांव लक्ष्मण पुरा हरनौल में बुधवार रात आए तूफान में दीवार गिरने से साबू सक्का पुत्र लीला बुरी तरह घायल हो गया और भैंस दबकर मर गई। साबू की अलीगढ़ में उपचार के दौरान मौत हो गई।
छाता के चंद्रकुंड में आकाशीय बिजली गिरने से रामसिंह पहलवान की नौहरे में बंधी एक भैंस और गाय की मौत हो गई। पास ही खेल रहे छह बच्चे बाल-बाल बच गए। कई स्थानों पर अंधड़ के चलते पेड़, होर्डिग्स, टीन शेड उड़ गए। एसडीएम कार्यालय एवं आवास के पास के चार पेड़ उखड़ जाने से रास्ता बंद हो गया। आंधी के बाद आई तेज वर्षा से जीटी रोड, अकू्रर कालोनी, गोरखधाम कालोनी, नांदिया मोहल्ला समेत दर्जनभर स्थानों पर घुटनो-घुटनों पानी भर गया।
बिजली के तार टूटने से भीषण आग
छाता। कस्बे के सींगू थोक में टेलीफोन एक्सचेंज के पास बिजली के तार टूटने से दर्जनभर लोगों की १८ बुर्जियां और रनवीर का छप्पर जलकर खाक हो गया। पैगांव में भी गोपालकुंड पर वीरी सिंह और टेकन के गौख में आग लगने से दो बुर्जियां और एक छप्पर जलकर खाक हो गया। मथुरा, छाता एवं कोसी की दमकलों ने बमुश्किल आग बुझाई।
पारा लुढ़का, गर्मी से मिली राहत
मथुरा। गुरुवार को तेज अंधड़ के साथ हुई बरसात से पारा दो डिग्री और लुढ़क गया। राया शोध केंद्र पर अधिकतम तापमान ३८ डिग्री मापा गया। इधर सोंख, गोवर्धन, बरसाना, राया आदि क्षेत्र में बरसात से मौसम खुशगवार हो गया। देर सायं तक कभी तेज तो कभी रिमझिम बरसात का सिलसिला जारी था।
बने नर से नारायण का विमोचन
मथुरा (DJ, June 4, 2010)। पूर्व परगना मजिस्ट्रेट एवं ब्रह्मा कुमारी-ब्रह्मा कुमार सेव अभियान से जुड़े सेवक एचआर सगर की पुस्तक बने नर से नारायण का विमोचन समारोह पूर्वक हो गया। केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, उत्तराखंड विधान परिषद अध्यक्ष हरवंश कपूर ने पुस्तक को लोकार्पित किया।नहीं हो पाती मथुरा आने वाले पर्यटकों की गणना
असमंजस : कैसे पता चले धर्मनगरी में कितने पर्यटक आएपर्यटन विभाग श्रद्धालुओं को नही मानता पर्यटक
मथुरा (AU, June 4, 2010)। धर्मनगरी में कितने पर्यटक आए। इसकी वास्तविक संख्या उपलब्ध नहीं हो पा रही। पर्यटन विभाग परेशान है। वह शासन को कैसे बताए कि कितने पर्यटक यहां आए। पर्यटन विभाग का मानना है कि शहर में बाहर के लोग तीर्थाटन को तो आते हैं, किंतु उन्हें पर्यटक नहीं माना जा सकता। ऐसे लोग होटल के बजाय धर्मशालाओं में रुकते हैं।
पर्यटकों के सही आंकड़े नहीं मिल पाना पर्यटक विभाग की बड़ी समस्या है। शहर में वर्ष पर्यंत बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है। सावन से लेकर कार्तिक तक तो श्रद्धालुओं का तांता यहां लगा रहता है। उनकी संख्या लाखों का आंकड़ा पार कर जाती है। इतने लोगों के बाहर से यहां आने के बावजूद आंकड़े यहां एकत्रित नहीं हो पाते।
सांख्यिकी विभाग भी गाहे-बगाहे आंकड़े मांग लेता है। उस समय बड़ी भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। एक मात्र राजकीय संग्रहालय ही पर्यटक स्थल के रूप में जाना जाता है। इसी के आंकड़ों को पर्यटक संख्या का आधार माना जाता है। हकीकत में पर्यटक संख्या का पता लगाने के लिए म्यूजियम का सहारा लेना पर्यटन विभाग के अफसरों को ज्यादा सटीक नहीं बैठता।
पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा कहते हैं कि पर्यटकों के वास्तविक आंकड़े जुटा पाना यहां एक बड़ी समस्या है। विभाग द्वारा मांगने पर संग्रहालय की पर्यटक संख्या का ब्यौरा ही देना पड़ता है। आगरा में ताजमहल आने वाले ही पर्यटक माने जाते हैं। मथुरा के मंदिरों में दर्शन करने आने वाले लोग पर्यटक नहीं माने जाते, जबकि कुछ विभाग इन लोगों को पर्यटक मानकर अपनी स्कीम संचालित करते चले आ रहे हैं।
हरिदास बिहारी वृद्ध आश्रम की शिला रखी
धार्मिक अनुष्ठान के साथ हुआ समारोह
वृंदावन (AU, June 4, 2010)। बांकेबिहारी सेवक संगठन के तत्वावधान में हरिदास बिहारी वृद्ध आश्रम का भूमि पूजन एवं शिलान्यास समारोह गुरुवार की शाम धार्मिक अनुष्ठान के मध्य किया। मोतीझील स्थित वृद्धा आश्रम का भूमि पूजन ललित वल्लभ गोस्वामी एवं प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने मंत्रोच्चारण के मध्य वैदिक रीति-रिवाजों के मध्य किया।
समारोह में पूर्व मंत्री रविकांत गर्ग और गौ-सेवा आयोग के सदस्य राधा कृष्ण पाठक ने इस पहल को सराहनीय बताते हुए कहा कि वृद्धजनों का एक आशियाना होना बहुत आवश्यक है। महेश खंडेलवाल ने कहा कि यह वृद्धाश्रम भक्तिमय वातावरण के साथ ही वृद्ध भक्तों को वृंदावन से जोड़ेगा। बिहारीलाल वशिष्ठ ने कहा कि जब तक हम अपने बुजुर्गों का सम्मान नहीं करेंगे, तब तक हर सेवा व्यर्थ ही है। आयोजक प्रह्लाद वल्लभ गोस्वामी ने बताया कि बांकेबिहारी महाराज और स्वामी हरिदास की प्रेरणा से ही हरिदास बिहारी वृद्ध आश्रम के निर्माण कराया जा रहा है।
इस अवसर पर पूर्व सभासद मुकेश गौतम, केजी गुप्ता, प्रह्लाद दास अग्रवाल, छगनलाल, नवलबिहारी गोस्वामी, स्वामी आनंदानंद, स्वामी नरेंद्राचार्य, अवधेश उपाध्याय, गोविंद सिंह गहलोत, अशोक चकलेश्वर, रमेश शर्मा, बिट्ठल चौहान आदि उपस्थित थे।
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