प्रशासन उदासीन, फिर शुरू करेंगे सत्याग्रह
संत मोहनानंद बाबा ने चेतावनी दीगुस्सा : प्रदूषण मुक्ति के लिए सीएम को लिखा पत्र
प्रशासन के कोरे आश्वासन से क्षुब्ध हुए संत
वृंदावन (AU, 2010.06.10) । यमुना प्रदूषण मुक्ति के लिए प्रशासन से मिले कोरे आश्वासन से क्षुब्ध संत मोहनानंद लाल बाबा पुनः सत्याग्रह करेंगे। बाबा ने प्रशासनिक रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि शासन और प्रशासन स्वयं यमुना को प्रदूषण से मुक्त कराने के प्रति गंभीर नहीं है।
प्रशासन के इस रवैये से नाराज लालबाबा ने इस संबंध में प्रदेश की मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यमुना प्रदूषण मुक्ति की मांग की है। उन्होंने कहा कि उनका यमुना को स्वच्छ कराने के लिए पत्राचार तकरीबन छह मास से चल रहा है, पर प्रशासनिक अमले द्वारा यमुना शुद्धि को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि नगर पालिका एवं एनजीओ द्वारा यमुना के नाम पर लाभ लिया जा रहा है, लेकिन यमुना की कोई सेवा नहीं की जा रही है।
उन्होंने बताया कि वह शृंगार वट के बनाए जा रहे नाला एवं वहां लगे गंदगी के ढेर पर ही बैठकर आंदोलन किया जाएगा। बाबा का कहना है कि विगत दिनों यमुना शुद्धीकरण के लिए संत लालबाबा आंदोलन पर बैठे थे। बाबा के आंदोलन से घबराकर प्रशासन ने आनन-फानन में रात्रि के समय आंदोलन समाप्त कराया और आश्वासन दिया गया कि वह जल्द ही अधिकारियों की एक टीम भेजकर यहां निरीक्षण करवाएंगे। साथ ही यमुना को प्रदूषण रहित करने में सहयोग देंगे। लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी एडीएम कोई टीम जांच के लिए नहीं भेजी।
अधिक मास में 1.91 करोड़ कमा ले गये भिखारी
मथुरा (DJ 2010.06.10)। अगले माह जुलाई में मुड़िया पूर्णिमा मेला पर गोवर्धन में एक बार फिर श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा, पर एक महीने पहले अधिक मास में करोड़ों परिक्रमार्थियों ने गिरिराज जी के प्रति जिस श्रद्धा का इजहार किया वह गोवर्धन ही नहीं बल्कि जनपदवासियों के जेहन पर अमिट छाप छोड़ गया। उनके आगमन से गेस्ट हाउस एवं धर्मशालाओं को नौ करोड़ 60 लाख से अधिक आय हुई तो खाद्य वस्तुओं की बिक्री भी 17 करोड़ 60 लाख रुपये से ऊपर पहुंच गई। और तो और, भिखारी भी श्रद्धालुओं से करीब एक करोड़ 91 लाख कमा ले गये।बंगलोर के नामी गिरामी एमबीए संस्थान के मार्केटिंग स्टूडेंट्स के पूरे महीने के सर्वे पर यदि यकीन किया जाए तो अधिक मास में दो से तीन करोड़ श्रद्धालुओं ने गिरिराजजी की परिक्रमा लगाई। उक्त संस्थान के करीब 80 एमबीए स्टूडेंट 14 अप्रैल से 10 मई तक गोवर्धन परिक्रमा मार्ग के चप्पे-चप्पे पर बिखरे रहे। इतना ही नहीं, उन्होंने गिरिराज की दो बार परिक्रमा भी लगाई। इस दौरान उन्होंने गोवर्धन आने वाले श्रद्धालु-पर्यटकों से लेकर बसों, टेम्पो एवं दोपहिया वाहनों की गिनती की। श्रद्धालुओं से मंदिरों, धर्मशाला-गेस्ट हाउस की आय, उनके जूते चप्पलों को सुरक्षित रखने के ऐवज में कमाई, खाद्य वस्तुओं, खिलौने, ठाकुरजी की पोशाक, तस्वीरों एवं चंदन-इत्र आदि की बिक्री का भी सर्वे किया। एमबीए स्टूडेंट्स मेला दौरान प्रशासन की व्यवस्थाओं से निराश हुए बताए गए।
उनके सर्वे के निचोड़ पर यदि नजर डाली जाए तो पता चलता है कि अधिक मास में गोवर्धन में दो करोड़ 15 लाख 44 हजार नौ सौ श्रद्धालु विभिन्न साधनों से गिरिराज की परिक्रमा लगाने पहुंचे। इन साधनों में आठ लाख 32 हजार 867 चार पहिया वाहन, दो लाख 85 हजार तिपहिया वाहन एवं 35 हजार टूरिस्ट बस बताई गई। इनमें अनाधिकृत वाहनों से लेकर यूपी एवं राजस्थान रोडवेज की बसें भी शामिल रहीं। श्रद्धालुओं के दो पहिया वाहनों
की पार्किंग से एक करोड़ 70 लाख की आय हुई।
अधिक मास में श्रद्धालुओं के आगमन से गेस्ट हाउस-धर्मशालाओं की नौ करोड़ 60 लाख आठ हजार साठ रुपये की इंकम हुई। गिरिराज की परिक्रमा दौरान विभिन्न मंदिरों में दर्शन आदि मौकों पर जूते-चप्पल सुरक्षित रखने के ऐवज में तीन करोड़ 22 लाख 90 हजार 780 रुपये की कमाई हो गई। गोवर्धन के मंदिरों में चढ़ावे से 11 करोड़ 52 लाख 32 हजार सात सौ रुपये की आय हुई। मेला दौरान विभिन्न खाद्य वस्तुओं की बिक्री से दुकानदारों, रेहड़ी वालों एवं रेस्टोरेंट संचालकों आदि की 17 करोड़ 60 लाख आठ हजार साठ रुपये की कमाई हो गई।
अधिक मास में खिलौने, कपड़े, ठाकुरजी की पोशाक एवं तस्वीरों आदि की बिक्री से तीन करोड़ 54 लाख 860 रुपये की आय हुई। मिनरल वाटर की बोतलों एवं पैकेज्ड पानी के पाउचों ने श्रद्धालुओं की एक लाख 45 हजार सात सौ रुपये से जेब ढीली कर दी। और तो और, मेला दौरान भिखारी भी मेला दौरान श्रद्धालुओं से एक करोड़ 90 लाख अस्सी हजार साठ रुपये कमा ले गये। श्रद्धालुओं ने गोवर्धन के अलावा दानघाटी और जतीपुरा के मंदिरों में 50 हजार छह सौ लीटर दूध चढ़ाया। इसमें शुद्ध और सिंथेटिक दूध की पहचान करना मुश्किल था। बहरहाल दूधियों की जेब में 12 लाख 65 हजार रुपये आ गये।
बंगाली विधवाओं का होगा सर्वे
मथुरा (DJ 2010.06.10)। जिला प्रशासन बंगाली विधवाओं का जल्द ही सर्वे कराने जा रहा है। सर्वे में वृंदावन के अलावा राधाकुंड की बंगाली विधवाएं भी शुमार की जा सकती हैं।सुप्रीम कोर्ट व मानवाधिकार आयोग के आदेशों के बाद वृंदावन की बंगाली विधवाओं के जीवन यापन से जुड़े इस मुद्दे पर जिला प्रशासन गंभीरता तो दिखा ही रहा है, पर जिस तरह का फीड बैक उसके पास है, उसके परिप्रेक्ष्य में वह राधाकुंड की विधवाओं को भी सर्वे में शामिल कर सकता है।
बताया गया है कि राधाकुंड की बंगाली विधवाएं वृंदावन के मुकाबले ज्यादा उपेक्षित हैं। इन पर पहले कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि केंद्र व प्रदेश सरकार के अलावा सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग में वृंदावन की बंगाली विधवाओं का मुद्दा ही हाईलाइट होता रहा है।
जानकारों का कहना है कि वृंदावन की विधवाओं के लिए महिला आश्रय सदन के अलावा मीरा सहभागिनी जैसी प्रदेश सरकार की योजनाएं भी चल रही हैं, जबकि राधाकुंड की विधवाएं निजी स्तर पर ही जीवन के संघर्षो का सामना कर रही हैं। स्वयंसेवी संस्थाएं यहां न तो ज्यादा आर्थिक स्तर पर सुदृढ़ हैं और न ही इन विधवाओं के लिए ज्यादा कुछ हो पा रहा है।
प्रशासनिक अधिकारियों को पता है कि राधाकुंड में बंगाली विधवाएं परिक्रमा मार्ग में अक्सर भीख मांगती दिख जाती हैं, जबकि वृंदावन में उनका कोई न कोई ठौर-ठिकाना तो है। राधा कुंड के अलावा गोवर्धन में भी कुछ विधवाएं निवास कर रही हैं।
इस संबंध में संयुक्त निदेशक पदेन व अपर जिलाधिकारी कानून व्यवस्था अवधेश तिवारी ने बीते दिनों वृंदावन स्थित योजनाओं का निरीक्षण भी किया और संबंधित एनजीओ को काम पर भी लगाया है। बताया गया है कि मीरा आश्रय सदन की 320 विधवाओं के जीवन यापन के लिए सरकार से बजट भी आना है। श्री तिवारी ने कहा है कि सर्वे से वास्तविक स्थिति पता लगाई जाएगी।
प्री-मानसून बारिश से किसान उत्साहित
कृषि विभाग ने लक्ष्य को पूरा करने के लिए तैयारी कीसमीकरण : ४४९२८ से बढ़ाकर ५० हजार हेक्टेयर लक्ष्य
बीज और खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध
मथुरा (AU, 2010.06.10) । शासन द्वारा धान की रोपाई का लक्ष्य बढ़ाने के बाद से कृषि विभाग इसके अनुपालन में जुट गया है। विभाग ने गत् वर्ष सूखे के चलते मूल तक गंवाने वाले किसानों को उत्साहित करने के लिए बीज विक्रेताओं पर शिकंजा कस दिया है। जिंस की कमी वाले खेतों की उर्वरा क्षमता को बढ़ाने के लिए जिंक सल्फेट उपलब्ध कराया जा रहा है वहीं, ऊसर भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए ९० फीसदी की सब्सिडी पर जिप्सम की भी कमी नहीं है।
शासन ने इस वित्तीय वर्ष में जनपद में धान उत्पादन का लक्ष्य ४४९२८ हेक्टेयर से बढ़ाकर ५० हजार हेक्टेयर कर दिया है। इसे पाने के लिए कृषि विभाग ने कसरत शुरू कर दी है। नर्सरी डालने के लिए बीज की विभिन्न किस्मों का भंडारण कर लिया है। इस समय विभाग के पास साढ़े तीन सौ कुंतल बीज उपलब्ध है। जिंस की कमी वाले खेतों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए जिंक सल्फेट भी प्रचुर मात्रा में मंगा लिया गया है।
इसके बावजूद ऊसर इलाकों के खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को ९० फीसदी सब्सिडी पर जिप्सम दिया जा रहा है। इधर, जोरदार मानसून की आस में किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम तेजी से शुरू कर दिया है। धान के लिए उपयुक्त माने जाने वाले छाता, चौमुहां और नंदगांव ब्लाक में किसान विशेष रूप से सक्रिय नजर आ रहा हैं। तराई इलाकों में भी नर्सरी डालने का काम तेज हो गया है।
लंबी अवधि की किस्म से दूर रहें किसान
मथुरा। सहायक विकास कृषि रक्षा अधिकारी केएल वर्मा ने बताया कि नर्सरी डालने का उपयुक्त समय शुरू हो गया है। इस समय डाली गई नर्सरी से जुलाई की शुरूआत तक पौधा तैयार हो जाएगा। उन्होंने किसानों को लंबी अवधि की किस्मों (वैरायटी) को नहीं बोने की सलाह दी है। दरअसल इनकी पौध तैयार होने में १५० दिन लगते हैं। ऐसे में अन्य फसलें लेट हो जाएंगी।
गड्ढे में पानी भरने से मकानों को हुई क्षति
सीवर लाइन, नाला निर्माण के दौरान खोदे गड्ढेकोताही : अफसरों से की जा चुकी है शिकायत
बाशिंदों ने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा
वृंदावन (AU, 2010.06.10)। अटल्ला चुंगी क्षेत्र में सीवर और नाला निर्माण के दौरान लोगों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। नाला निर्माण के दौरान क्षेत्र की सीवर और पानी की लाइन क्षतिग्रस्त हो गई। इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा गया है। मकानों में पानी रिसने से क्षेत्र के कई मकानों को नुकसान पहुंचा है। विभागीय लापरवाही से लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
स्थानीय निवासी योगेश यादव, संजय जादौन, घनश्याम जादौन ने कहा कि परिक्रमा मार्ग स्थित अटलवन और कैमारवन क्षेत्र में सीवर लाइन और नाला निर्माण कराया जा रहा है। इसके अंतर्गत अटल्ला चुंगी से रेलवे लाइन तक सीवर कार्य पूरा कराया गया। इस रोड से लिंक सभी गलियों में सीवर लाइन डालने के लिए गड्ढे खोदे गए हैं और पानी की पाइप लाइन टूट गई हैं। इससे क्षेत्र में लगभग दो महीने से पेयजल संकट गहरा गया।
उन्होंने बताया कि खुद लोगों ने पानी की पाइप लाइन को नए सिरे से डाला। इसके बाद जलनिगम द्वारा नाले का निर्माण किया गया और दोबारा पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया। इससे पानी गड्ढों में भरकर मकानों की दीवारों में रिस रहा है। पानी के रिसने से क्षेत्र के कई मकानों को नुकसान हुआ है।
इस संबंध में क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समस्या के समाधान की मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कौशल वर्मा, रामकुमार, गोपाल शर्मा, हनुमान दास, रामचरण, सीतारामबाबा, कमलनैन दास, रामपुरिया, जमुना दास, प्रह्लाद दास, शांतिपुरी आदि ने पाइप लाइन को क्षतिग्रस्त पहुंचाने पर रोष जताया है।
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