जर्जर परिक्रमा मार्ग से होकर गुजरे श्रद्धालु
श्रावण माह से पूर्व मार्ग दुरुस्त कराने की मांगआस्था : एकादशी पर पंचकोसीय परिक्रमा देने उमड़े भक्त
वृंदावन (AU 2010.06.09)। ज्येष्ठ माह की एकादशी पर्व होने के कारण वृंदावन की पंचकोसीय परिक्रमा देने के लिए जनसमूह उमड़ पड़ा। मगर मार्ग पर चल रहे विकास कार्य, जर्जर सड़कें और फर्राटे से दौड़ते वाहनों से श्रद्धालुओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वृंदावन समग्र विकास योजना के अंतर्गत किए जा रहे विकास कार्यों के अंतर्गत परिक्रमा मार्ग पर सीवर लाइन डालने के साथ नाला निर्माण कार्य भी चल रहा है। इससे मार्ग पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गया है। जगह-जगह पानी भरा होने के कारण परिक्रमा देने वाले श्रद्धालुओं को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा। मार्ग में गड्ढे और जहां-तहां पड़े पाइप के अलावा अतिक्रमण के नाम पर ध्वस्त किए गए मकानों के मलबे के ढेर राहगीरों की राह में रोड़े बने हुए हैं।
संत महेशानंद सरस्वती एवं महंत फूलडोल बिहारी दास महाराज ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि चामुंडा से गोरेदाऊजी तक, रमणरेती से कालीदह तक तथा टटिया स्थान क्षेत्र में परिक्रमा की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने कहा कि प्रशासन को चाहिए कि बरसात प्रारंभ होने से पहले वह परिक्रमा का निर्माण कार्य पूरा करें, जिससे सावन-भादों में परिक्रमार्थी बिना किसी परेशानी के परिक्रमा दे सकें।
सामने आ सकते हैं कुछ नए ऐतिहासिक, पौराणिक तथ्य
वीके शर्मा ने सिक्कों और मूर्तियों के आधार पर तैयार किया शोधमथुरा (AU 2010.06.09)। कई संस्कृतियों का इतिहास समेटे पौराणिक नगरी मथुरा के इतिहास पर इतिहासविदों में तमाम तथ्यों पर मतभेद रहे हैं। अब इतिहासविद डा. वीके शर्मा ने ४० वर्ष तक गहन अध्ययन कर मथुरा का इतिहास तैयार किया है। इसके लिए डॉ. शर्मा ने पुरावशेष, सिक्कों, मूर्तिकला, मंदिरों की स्थापत्य कला का अध्ययन किया है। गौरतलब है कि अभी तक अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउज, कृष्णदत्त बाजपेयी और चिंतामणि शुक्ल द्वारा लिखी पुस्तकें मथुरा का प्रमाणिक इतिहास मानी जाती रही हैं। इनके अलावा अन्य कई ग्रंथ भी हैं। हालांकि सभी में तथ्यात्मक अंतर है।
केआर डिग्री कालेज के इतिहास के विभागाध्यक्ष रहे डा. शर्मा का दावा है कि ऐतिहासिक संदर्भों के बारे में उनकी किताब से प्रमाणिक इतिहास की जानकारी मिलेगी। किताब में मथुरा और ब्रज की उत्पत्ति से लेकर वर्ष, १९४७ तक की संपूर्ण प्रमाणिक जानकारियां होंगी। इसके लिए डा. शर्मा ने मथुरा की स्थापत्य कला, सामाजिक जीवन, नगर एवं भवन निर्माण, कला, दर्शन, धार्मिक जीवन, पोशाक, आभूषणों, अस्त्र-शस्त्रों और आर्थिक जीवन के भी तथ्य जुटाए हैं।
डॉ. शर्मा ने जिले के २५ हजार साल पुराने इतिहास को जानने के लिए हजारों प्राचीन अभिलेखों, पुरावशेषों, मूर्तियों, प्रमाणिक स्रोतों, गैजेटियर, किताबों, प्रमाणिक अनुवाद, भवनों के टूटे हुए अंशों, आकृतियों, आभूषणों, सिक्कों और मुद्राओं पर अध्ययन किया है। यही नहीं, उन्होंने पुरातात्विक वस्तु और अभिलेख, चाहे वो उत्खनन से प्राप्त हुई या देश-विदेश के किसी संग्रहालय में रखी हो, का भी अध्ययन किया है।
गोकुल की गलियों में मुक्ति के अक्षर
मथुरा (DJ 2010.06.09)। 'मुक्ति कहे गोपाल सों मेरी मुक्ति बताय, ब्रजरज उड़ मस्तक लगे तो मुक्ति मुक्त है जाए। इसी रज से अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गोपाल के गांव गोकुल की गलियों में श्रद्घालुओं ने पत्थरों की कतारें बिछा दी हैं। नंद भवन के चबूतरा, घाट किनारे तथा गलियों में बिछे लाखों मार्बल पत्थरों पर नाम गुदे हुए हैं।जिस गांव की माटी में खेल कूद कर कान्हा ने अपने बचपन की यादें जोड़ी, उसी गांव गोकुल से करीब चार किलोमीटर दूर यमुना किनारे के ब्रह्माण्ड घाट की माटी कृष्ण भक्तों के लिए प्रसाद बन गई है।
अपनी मुक्ति के लिए तो वे यहां आ ही रहे हैं, अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए भी गांव की गलियों में मार्बल के पत्थर बिछवा रहे हैं। मान्यता है कि नंद भवन, घाट किनारे, योगमाया मंदिर, दीवाल और गलियों में मार्बल का पत्थर लगाए जाने से उनके पूर्वजों का उद्धार हो जाएगा।
कृष्ण भक्तों को यह भी बताया जा रहा है कि एक मार्बल पत्थर लगाने से माता-पिता और गुरु का ऋण उतर जाएगा। मान्यता यह बताई जा रही है कि जब इन पत्थरों पर संत महात्मा के पांव पड़ेंगे तो पूर्वजों का कल्याण हो जाएगा।
इसमें भी श्रद्धालुओं के साथ छल किए जाने की बात गोकुलवासी दबे सुर में कह रहे हैं। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर गोकुलवासी कहते हैं कि पत्थर लगवाने के नाम पर भक्तों की भावना से खेलने का खेल खेला जा रहा है। पत्थर लगवाने की कीमत तो वसूली ही जा रही है साथ ही अधिक धनराशि लेने पर उसको गरीब और गौशालाओं पर खर्च किए जाने की बात कही जा रही है।
छलिया के गांव में छल रहे बाल गोपाल
मथुरा (DJ 2010.06.09)। छलिया के गांव गोकुल में बाल गोपाल ही श्रद्धालुओं को छल रहे हैं। गोकुल में कदम रखने से पहले ही श्रद्धालुओं को रोक कर मंदिर घुमाने का सौदा किया जा रहा है। इसमें गांव के एक सैकड़ा से ज्यादा किशोर लगे हुए हैं।करीब डेढ़ सौ किशोर श्रद्धालुओं के इंतजार में गोकुल बैराज मोड़, बैराज, टाउनशिप आदि स्थानों पर बैठे रहते हैं। यहां से गुजरने वाली यात्रियों की गाड़ी को दूर से नम्बर देख कर पहचान लिया जाता है। गाड़ी को रोक अपनी मासूमियत का हवाला देते गोकुल घुमाने के लिए उनको राजी कर लिया जाता है।
सौदेबाजी होते ही किशोर वाहन में बैठ कर गोकुल आ जाते हैं। यही से श्रद्धालुओं की जेब हल्की करने का काम शुरू हो जाता है। कुछ किशोर तो श्रद्धालुओं को गोकुल लाकर बड़ों के हवाले कर अपना हिस्सा ले रहे हैं तो कुछ मंदिरों में श्रद्धालुओं को ले जाकर चढ़ावा आदि की रकम से अपना हिस्सा ले रहे हैं। बताया गया है कि श्रद्धालुओं से मिलने वाली रकम में सभी का हिस्सा निर्धारित है। रास्ते से श्रद्धालु को ले जाने वाले किशोर को रास्ते में रहने वाले अन्य किशोरों से दस फीसदी ज्यादा हिस्सा मिलता है। बताया गया है कि कुछ मंदिरों का हिस्सा भी निर्धारित है।
मंदिर से सात घंटों को चोरों ने चुरा लिया
मथुरा (DJ 2010.06.09)। फरह के बनखंडी महादेव मंदिर के सभी सात घंटों को चोरों ने रात में खोल लिया। जब चोर घंटों को बेचने आगरा जा रहे थे तभी कस्बा वासियों ने उनको पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया।फरह कस्बा स्थित बनखंडी महादेव मंदिर से सोमवार की रात में चोरों ने सात पीतल के घंटों को चोरी कर लिया था। चोरों ने रात में ही इन घंटों को जंगल में एक खेत में गाड़ दिया। मंगलवार सुबह जब लोग मंदिर में पूजा अर्चना करने गए तो सभी घंटा गायब थे। इससे कस्बा वासियों में आक्रोश व्याप्त हो गया।
मंदिर से पीतल के घंटा चोरी होने की जानकारी थाना प्रभारी भगवत सिंह गुर्जर को दी गई। पुलिस चोरों का अपने स्तर से भी पता लगाने में जुटी थी। अपरान्ह कस्बा निवासी वकील पुत्र सलीम अपने तीन साथियों के साथ मिलकर खेत से घंटा निकाल कर आगरा बेचने जा रहा था। खेत से घंटा निकालते किसी ग्रामीण ने युवकों को देख लिया। इसके बाद युवकों का पीछा करके तीनों किशोरों को भीमनगर के समीप पकड़ लिया गया।
इनके पास मिले बोरा को खोलकर देखा तो उसमें मंदिर के घंटा निकले। इन किशोरों को कस्बावासियों ने पुलिस को सौंप दिया है। पूछताछ में किशोरों ने अन्य कई चोरी की घटनाओं का खुलासा किया है।
जेठ में सावन के बादल, मौसम सुहावना रहा
वृंदावन (DJ 2010.06.09)। कान्हा की नगरी के ऊपर जेठ के महीने में सावन के बादल छाए हुए हैं। मंगलवार को अपरान्ह बाद तक सूरज बादलों की गोद में छिपा रहा। सुबह हल्की बौछार भी पड़ी। इसके बाद दिन भर मौसम सुहावना बना रहा।कान्हा की नगरी के ऊपर के जेठ के महीने में काले बादल सावन के महीने की तरह से उमड़-घुमड़ रहे हैं। कभी बादलों की सेना सूरज को ढक लेती है तो कभी बादलों का सीना चीर कर सूरज चमक उठता है। पिछले कई दिनों से चल रहे लुकाछिपी के इस खेल में कभी आंधी-तूफान तो कभी बदरा बरस रहे हैं। मौसम खुशगवार हो गया है।
मंगलवार की अल सुबह फुहार पड़ी और इस बीच चली शीतल हवाओं ने इंसानों के चेहरे खिला दिए। पक्षी भी आकाश में पंख फैला कर तैर गए। आकाश में कलरव करते पक्षियों के झुंड के झुंड मौसम की मस्ती में डूबे नजर आए। ग्रीष्मकालीन अवकाश के दिनों में बदले मौसम के इस मिजाज ने बच्चों की खुशियों में चार चांद लगा दिए।
सुबह चाय नाश्ते के बाद बच्चों की टोलियां हाथ में गेंद बल्ला लेकर खुले स्थानों पर निकल आई। शहरी क्षेत्रों में बालक पार्को में चौका-छक्का उड़ रहे थे तो गांव देहात में खेतों में बच्चे कुलांच भरते नजर आए। युवा भी अपने आप को इस मौसम में नहीं रोक पाए। वे भी मौज मस्ती करने के लिए अपने दोस्तों के साथ निकल पड़े। किसी ने कार ड्राइविंग की तो किसी ने बाइक की सवारी कर मौसम का लुत्फ उठाया।
मौसम के परिवर्तन का असर रसोई में भी देखा गया। लोगों ने मौसमी व्यंजनों का स्वाद चखा। किसान भी मौसम के मिजाज से फूले नहीं समा रहे हैं। धान उत्पादकों ने नर्सरी डालने का काम शुरू कर दिया है। बारिश से नम हुए खेतों की जुताई भी किसान कर रहे हैं। मौसम के जानकारों का अनुमान है कि आने वाले दो तीन दिन मौसम में खास बदलाव नहीं आएगा।
ननद ने कराया भाभी का विवाह
मथुरा (DJ 2010.06.09)। दो भाईयों की मौत के बाद भाभी की पीड़ा ननद से सहन नहीं हुई। ससुराल के ही एक युवक से पहले भाभी की मुलाकात कराई, जब दोनों की बीच 'प्रेम' पनप गया तो कोर्ट में शादी करा दी। पिता की शिकायत पर पुलिस प्रेमी-प्रेमिका को पकड़ लायी। कई घंटे थाने में चली पंचायत में कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। यहां तक की प्रेमिका ने अपने मां-बाप को भी पहचानने से इंकार कर दिया। दोनों बेटों को ससुर के पास छोड़कर प्रेमी संग चली गई।अंधे प्रेम की दास्तान मांट तहसील के गांव नगला सिरिया की है। भरतपुर के सुनारी गांव की रामवती की शादी नगला सिरिया में वर्ष 1999 में रामसिंह से हुई। उसके दो पुत्र हुए। अचानक घर में भूचाल आ गया। प्रेमसिंह ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली। छोटा भाई उसे बचाने आया तो उसे भी बुरी तरह से जकड़ लिया। दोनों भाईयों ने दम तोड़ दिया। रामवती एक बार फिर अकेली पड़ गई।
वृद्ध ससुर को लगा कि अब उसके दोनों पुत्रों की भरपाई नातियों से हो जायेगी। बहू अकेले रहने को तैयार नहीं थी। एक बार भरतपुर से उसके माता-पिता आए तो उसने साफ कह दिया था कि उसके लिये जीवन साथी ढूंढा जाए। इस इशारे का माता-पिता ने अनदेखा कर दिया।
इस पर बहू ने अपनी ननद को इस काम में लगाया। ननद धर्मसिंह का नगला पाली खेड़ा में ब्याही थी। ननद ने भाभी की मुलाकात गांव के ही उदयवीर से करा दी। इसके बाद रामवती अपने ससुराल कम रहने लगी और अपनी ननद के पास अधिक समय बिताने लगी। दोनों की मुलाकात प्यार में बदल गई। ननद ने दोनों की कोर्ट मैरिज करा दी।
कोर्ट मैरिज होने पर दोनों खुल कर एक दूसरे के साथ आने-जाने लगे। दोनों बच्चों की परवरिश का जिम्मा ससुर पर आ गया। बहू को हाथ से निकलता देख ससुर ने उसके माता-पिता को गांव बुलाया। वे पुत्री के इस निर्णय से नाखुश हुए। इसके बाद दोनों ने मिलकर थाना मांट में शिकायत दर्ज करा दी। उसके दोनों पुत्रों को हवाला दिया। पुलिस सोमवार को दोनों प्रेमी-प्रेमिका को मथुरा से पकड़कर थाने ले गई। इस बीच रामवती के माता-पिता व ससुराल पक्ष के लोग भी आ गए।
दोनों ने शादी करने के निर्णय पर आक्रोश जताया। थाने में ही रामवती ने अपने माता-पिता को पहचानने से इंकार कर दिया। इस पर पूरे दिन थाने में करीब तीन-चार सौ लोगों की पंचायत होती रही। रात को थाना प्रभारी अनिल शर्मा ने रामवती से उसकी राय जानी तो उसने उदयवीर के साथ ही रहने की बात कही। अब दोनों पुत्र वृद्ध ससुर के पास ही रहेंगे।
बारिश ने रोका नाला सफाई अभियान
मथुरा (DJ 2010.06.09)। नगर पालिका का विलंब से शुरू हुआ नाला सफाई अभियान अभी शुरू ही हुआ था कि आए दिन हो रही बारिश ने इसमें ब्रेक लगा दिए हैं। आउटर की कालोनियों और प्रमुख मार्गो पर जलभराव से यातायात प्रभावित हो रहा है।नगर के नालों की सफाई अक्सर फरवरी-मार्च में शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार यह मई के अंतिम सप्ताह में शुरू हो पायी थी। सफाई कार्य सबसे पहले भूतेश्वर से लेकर श्री कृष्ण जन्मस्थान तक कराया गया। साथ ही सौंख रोड के कुछ हिस्से में भी सफाई करायी जा सकी। इसी बीच यमुना के विश्राम घाट व आसपास के घाटों पर सफाई अभियान छिड़ा तो इससे भी नाला सफाई प्रभावित हुई। पालिका को करीब तीन दर्जन कर्मचारियों के गैंग लगाने पड़े हैं।
चार दिन से हो रही बारिश के कारण अब नाला सफाई बिल्कुल रुक गयी है। बीते दिन जरूर घरों में पानी घुसने से केआर इंटर कालेज के पास जेसीबी से नाला साफ कराया गया है।
नए बस स्टेंड स्थित रेलवे पुलिया के नीचे का जलभराव भी सौंख अड्डा व ब्रज नगर नाले के सिल्ट के अटे होने के कारण बना हुआ है। इसी तरह बीएसए कालेज से लेकर भूतेश्वर तिराहे तक की एक साइड सड़क पर पानी भरा हुआ है। यहां भी पालिका ने जेसीबी से नाली निकलवाई है, लेकिन इससे ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
एल एंड टी का नाला निर्माण भी जगह-जगह रुका हुआ है, जिससे इस बार बारिश ठीकठाक भी हुई तो जलभराव की स्थिति और विकराल हो सकती है। सुभाष नगर में ही ठेकेदार द्वारा बीच में कार्य छोड़ देने से नाला जाम होने की स्थिति में है। ठेकेदार को कार्य छोड़े एक माह से ज्यादा हो गया है, लेकिन न तो नाले के बंध खोले गए हैं और न ही अन्य सामान हटाया गया है।
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