Wednesday, June 2, 2010

यमुना: पतित पावनी या कचरा वाहनी

मथुरा (DJ 2008.04.12) । कभी कलकल कर बहती यमुना अब 'कचरा वाहक' बनकर रह गयी है। निकला केमिकल युक्त कचरा और शहर की सीवर लाइन इसकी पवित्रता को तार-तार in pieces, shreds कर रहे हैं। वह इस असहनीय पीड़ा के बाद भी खामोश है। इसका विस्तृत रूप भी अब छोटा हो गया है। साफ-सफाई पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी यमुना मैली ही दिखाई देती है।

प्रदूषित नदियों में शुमार हो चुकी यमुना यमुनोत्री से दिल्ली तक आते-आते गंदे नालों के पानी को समाहित कर प्रदूषित हो जाती है। यमुना कई शहरों में होते हुए पहले बांध ताजेवाला तक पहुंचती है। ताजेवाला से इसकी दो नहरें पूर्वी और पश्चिमी यमुना नहर निकली हैं। बरसात के दिनों के अलावा यहां यमुना नदी का स्वरूप नजर नहीं आता। राजधानी में दम तोड़ चुकी यमुना अपने बेसिन में फरीदाबाद, बल्लभगढ़, पलवल, कोसी, शेरगढ़, चीरघाट, वृन्दावन के बडे़ नालों को इकट्ठा करके 19 बड़े-बड़े नालों को मथुरा में समाहित करती है। यमुना नदी पूर्वोत्तर की ओर से शाहदरा ड्रेन के बाद खैर टप्पल नौहझील, ईशापुर लक्ष्मी नगर तथा रावल तक की सम्पूर्ण गन्दगी समाहित करती चलती है।

किनारे के शहरों की गंदगी को समेटे यमुना का प्रदूषण मथुरा तक चरम पर पहुंच जाता है।

यहां साड़ी और चांदी उद्योग से साइनाइड और क्रोमियम भी यमुना में ही छोड़ा जा रहा है। छपाई उद्योग में प्रयुक्त केमिकल यमुना को भारी मात्रा में जहरीला बना रहा है तो धातु उद्योग के कारण तेजाबी मात्रा पानी में अत्याधिक बढ़ रही है। बरसात के दिनों में तो पूरे शहर की गंदगी ही यमुना में पहुंच जाती है। भयावह गंदगी व प्रदूषित पानी यमुना में जाने से पतित पावनी की पवित्रता तार-तार हो रही है। हद तो तब पार हो जाती है, जब यमुना में मृत पशुओं को भी फेंक दिया जाता है।

कई बार तो इसमें नर कंकाल भी निकले हैं। ये रिवर पुलिस की लापरवाही को उजागर करते हैं। इससे श्रद्धालुओं की आस्था को चोट पहुंचती है। इस समय यमुना का पानी आचमन के योग्य भी नहीं है। इसके बाद भी पतित पावनी असहनीय पीड़ा को सहते हुए शांत रूप में कचरे को ढो रही है। तमाम समाज सेवी संगठन भी इसको प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आये लेकिन इसके बाद भी स्थिति जस की तस है।

गोकुल बैराज के आगे यमुना शोधन के बाद गाद को आगरा के लिए यमुना में ही छोड़ दिया जाता है। इसके बाद जल संस्थान आगरा द्वारा समस्त पानी सोख लेने के उपरांत यमुना अभी तक के तथाकथित जल से भी मुक्त होकर अपने अस्तित्व को ही समाप्त कर देती है।

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