वृक्षों को काटने से बिगड़ रहा पर्यावरण
यमुना को प्रदूषण से बचाने की मांग
गुस्सा : पंडा सभा केशीघाट पर श्राद्ध कर्म रोक से नाराज
वृंदावन (AU 2010.06.07)। ब्रजवासी पंडा सभा की रविवार को आयोजित बैठक में यमुना शुद्धीकरण के साथ केशीघाट पर श्राद्धकर्म करने पर कुछ लोगों द्वारा रोक लगाने पर चर्चा की गई। सभी के सदस्यों ने पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए विचार भी रखे।
सभा के अध्यक्ष महेशचंद्र शर्मा ने कहा कि केशीघाट पर आदिकाल से श्राद्धकर्म नगरवासी करते आ रहे हैं। इस पर कुछ लोगों द्वारा कब्जा करके रोक लगाई जा रही है। योगेंद्र ब्रजवासी, कृष्णचंद्र गौतम, जगदीश शर्मा गुरुजी ने कहा कि यहां श्राद्ध कर्म से नगरवासियों को रोकना पंडा सभा सफल नहीं होने देगी।
रामनारायण ब्रजवासी, मोनी शुक्ला, नंदकुमार पाठक, गिरधारी ब्रजवासी और दीनानाथ पाठक ने कहा कि रोड चौड़ीकरण के नाम पर वृक्ष काटना यहां की पर्यावरण के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने कड़े तेवरों में कहा कि यमुना में प्रदूषण बढ़ता ही जा रहा है। इसके लिए न तो सरकारी तंत्र कुछ कर रहा है और न ही स्वयंसेवी संस्थाएं। उन्होंने कहा कि यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए ब्रजवासियों को ही आगे आना होगा।
इस अवसर पर वंशी शुक्ला, मुरारी, श्यामबिहारी व्यास, देवेंद्र शास्त्री, दिनेशचंद्र, राजेंद्र द्विवेदी, मोहन शर्मा, श्यामसुंदर, सुरेश शुक्ला, कन्हैया, नन्नी गौड़ आदि थे।
‘ब्रज को पहचानो’ योजना पर कार्य शुरू किया
ब्रज संस्कृति से जुड़े तथ्यों को संकलित करेंगे
अनुकरणीय : सीडीओ ने फील्ड वर्कर्स को लगाया योजना पर
मथुरा (AU 2010.06.07)। सीडीओ ने ‘ब्रज को पहचानो’ नाम से एक नई योजना पर कार्य शुरू कराया है। उन्होंने अपने अधीनस्थ ग्राम स्तरीय कर्मचारी और अधिकारियों को इस स्कीम पर लगाया है। वे विकास कार्यों के साथ फील्ड में रहकर ब्रज की संस्कृति, कृष्णकालीन सभ्यता और उसके तथ्य, पौराणिक स्थल का पता लगाकर मुहैया कराएंगे।
इस योजना का जो खाका सीडीओ अजय शंकर पांडेय ने खींचा है, इसे लेकर तैयारी में लगे तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों में उत्साह है। उन्होंने विकास खंड स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक करके इस योजना के लिए प्रथम चरण में खाका तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सीडीओ का मानना है कि ब्रज संस्कृति यहां के एक-एक गांव में फैली है। इस संस्कृति से जुड़ी कोई न कोई कहानी कहीं न कहीं अनछुई उपलब्ध है। भगवान कृष्ण से जुड़े हुए तमाम ऐसे पौराणिक स्थल और कहानियों की खोज हो सकती है। इस बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। जानकारियों के अभाव में दूर-दराज से आने वाले लोग वहां पहुंचने से भी वंचित रह जाते है।
ऐसे सुदूरवर्ती, अंजान, छिपे हुए ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व और तमाम जानकारियां संजोए हुए स्थलों की खोज एवं सूचीबद्ध करने का काम सीडीओ ने खंड विकास अधिकारी, ग्राम पंचायत अधिकारी और पंचायत सचिव को सौंपा है।
मुख्य विकास अधिकारी ने प्रत्येक गांव के लिए जारी प्रपत्र में डाटा-बेस तैयार करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें ब्लाक का नाम, गांव का नाम, गांव में उपलब्ध टीलों, सरोवर, खंडहर और धार्मिक स्थलों को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। उस तीर्थ स्थल की भौगोलिक स्थिति का विवरण भी अंकित किया जाना है।
डाटाबेस के तैयार हो जाने के उपरांत उसकी प्रमाणिकता के लिए अभिलेखीय और पुरातात्विक प्रमाणों को मान्यता प्राप्त अथवा उस क्षेत्र के विद्वानों द्वारा सत्यापित कराया जाएगा। अगले चरण में इनकों पर्यटन मानचित्र में स्थापित करने की कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्रों में विकसित इन स्थलों को पर्यटन सर्किट के रूप में चिह्नांकित किया जाएगा। अंतिम चरण में यहां पर लोगों के आवागमन को सुविधाजनक बनाने के लिए आधारभूत संरचना स्थापित करने का प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा।
अब जनगणना की सभी शंकाओं का समाधान
मुख्यालय ने हेल्प लाइन की घोषणा की
व्यवस्था : जनगणना आयुक्त कार्यालय ने कॉल सेंटर स्थापित
अतिरिक्त शिकायतें दर्ज करने के लिए इंटरनेट पोर्टल भी
मथुरा (AU 2010.06.07)। जनगणना २०११ में आने वाली तमाम समस्याओं से निपटने के लिए जनगणना कार्य निदेशालय ने जनगणना हेल्प लाइन की घोषणा की है। दिशानिर्देशों के आधार पर हेल्प लाइन संबंधी कार्यों की शुरुआत सोमवार से हो जाएगी।
हेल्प लाइन के अलावा महारजिस्ट्रार एवं जनगणना आयुक्त कार्यालय ने एक कॉल सेंटर भी स्थापित किया है। अतिरिक्त शिकायतें दर्ज करने के लिए इंटरनेट पोर्टल भी बनाया गया है। जनपद में जनगणना की व्यवस्थाओं के मद्देनजर कलक्ट्रेट स्थित नागरिक सुरक्षा कार्यालय जनगणना कंट्रोल रूम की स्थापना भी की गई है।
जनगणना २०११ पर कार्य शुरू होते ही अधिकारियों के सामने समस्याओं का अंबार खड़ा हो गया है। दो चरण में चलने वाले इस अभियान के प्रथम चरण हाल में शुरू हुआ है कि वास्तविक आंकड़े जुटाने में भी कर्मचारियों के पसीने छूट रहे हैं। इसके अलावा जागरूक लोग भी जनगणना संबधित नवीन जानकारियों से अनभिज्ञ हैं।
जनगणना के नवीन प्रारूप समझने में भी लोगों को दिक्कतें आ रही हैं। इन सब हालातों को समझते हुए और इसके निपटने के लिए जनगणना कार्य निदेशालय ने सूझबूझ भरा कदम उठाते हुए हेल्प लाइन, कॉल सेंटर व इंटरनेट पोर्टल स्थापित किया गया है। डीएम कार्यालय को इस बाबत सूचित कर दिया गया है।
सहायक सूचना निदेशक की जानकारी के अनुसार हेल्प लाइन पर सोमवार से शुक्रवार तक सुबह आठ बजे से सांय आठ बजे तक और शनिवार, रविवार तथा अवकाश के दिनों में सुबह १० बजे से शाम छह बजे तक प्रथम चरण कार्य संबधित सूचना प्राप्ति एवं शंका समाधान के लिए संपर्क साधा जा सकता है। शिकायतें दर्ज करवाने के लिए इंटरनेट पोर्टल की मदद ली जा सकती है।
यहां कर सकते हैं संपर्क—
- जनगणना हेल्प लाइन ---- ०५२२२३४३६७३
- कॉल सेंटर टोल फ्री नंबर --- १८००११०१११
- कलक्टे्रट जनगणना कंट्रोल रूम -- २४७०२१८
- इंटनेट पोर्टल------
२४ घंटे में २० मिमी हुई बरसात, गर्मी से राहत
मौसम खुशगवार : अधिकतम तापमान ३५, न्यूनतम २२ डिग्री दर्ज मथुरा (AU 2010.06.07)। पिछले २४ घंटे में २० मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। अगले ४८ घंटों में बादल छाए रहने और बारिश की संभावना है। राया कृषि शोध केंद्र के मौसम विज्ञानी डा. श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि अब तक २० मिमी बरसात दर्ज की गई है। अगले ४८ घंटों में और बारिश की संभावना है। अधिकतम तापमान ३५ डिग्री व न्यूनतम २२ डिग्री दर्ज किया गया है, जो बीते दिन के मुकाबले दो डिग्री कम है। रविवार को दिन भर आसमान पर बादल बने रहे। लोगों को तेज धूप से राहत मिली। दिन में हवा चलने से मौसम खुशगवार रहा। साप्ताहिक छुट्टी के दिन लोगों को पसीना से मुक्ति मिली। सायंकाल आंधी आई और हल्की बूंदें पड़ीं। दोपहर उमस भी रही। दिनभर बादल छाए रहने और सायंकाल कुछ देर के लिए आंधी चलने से लोगों को गर्मी में राहत मिली।कहर बनकर टूटी जरा सी बारिश
निचले इलाकों में घर डूबने से लाखों रुपये का नुकसान, रोष प्री मानसून : कंकाली के सामने सड़क पानी से लबालब सड़कों पर कीचड़-जलभराव से जूझे लोग पालिका, जिला प्रशासन की हीलाहवाली रेलवे पुल लबालब, सड़कें रहीं जाम मथुरा (AU 2010.06.07)। जरा सी बारिश शहर पर कहर बनकर टूट पड़ी। शहर के रेलवे पुलों के नीचे पानी भर गया। कंकाली के सामने सड़क ताल तलैया बन गयी। बीएसए कालेज रोड पर जलभराव के कारण चार और दुपहिया वाहन चालकों को होलीगेट के रास्ते से गुजरना पड़ा। कई स्थानों पर निचले इलाकों के मकानों में पानी भरने से रात भर लोग काफी परेशान रहे। जगह-जगह जलभराव और कीचड़ से लोगों को दो-चार होना पड़ा। बारिश से रेलवे पुलों के नीचे भरे पानी से रविवार सायं तक निजात नहीं मिल सकी। शनिवार सायं जरा सी बारिश ने शहर को नरक में तब्दील करके रख दिया। रात में घर लौटने वाले लोगों को जगह-जगह जलभराव से जूझना पड़ा, वहीं सड़क पर कीचड़ के कारण कई वाहन भी फिसले। अंबेडकर नगर कालोनी, अंबाखार, अंतापाड़ा, जयसिंहपुरा, राधेश्याम कालोनी, सुभाष नगर आदि निचले इलाकों में बने मकानों में पानी घुस गया। इससे लोगों का लाखों रुपये का नुकसान हुआ। बीएसए कालेज के सामने बन रहे नाले से पानी आगे न बह पाने से जलभराव हो गया। पानी कंकाली के सामने सड़क पर भर गया। सड़क टूट गई। शनिवार रात हुई वर्षा के बाद लोग नगरपालिका प्रशासन को कोसते रहे। रविवार को जिला प्रशासन एवं पालिका प्रशासन ने जलभराव के पीड़ित लोगों की सुध तक नहीं ली। शहर के होलीगेट, कोतवाली रोड, डीगगेट, भरतपुरगेट, भैंस बहोरा, क्वालिटी चौराहा, सदर बाजार, मसानी चौराहा, भूतेश्वर तिराहे पर कीचड़ ने हर किसी को बेहाल किया। शहर के हृदय स्थल होलीगेट से भरतपुर गेट (मछली मंडी) तक वाहनों की लंबी-लंबी कतारें लगी रही। जाम को खुलवाने को पुलिस एवं यातायात सिपाही ने खुलवाने की हिमाकत तक नहीं की।नाले के लिए खोदी जमीन!
मथुरा (DJ 2010.06.07)। शहर में जेनर्म से बनने वाला सबसे पहला अंबाखार नाला चयनित किया गया था। जलनिगम के अधिकारी इस नाले को देखकर घबड़ा गए। इस नाले का निर्माण आजतक पूरा नहीं किया गया। वहीं शहर में आसानी से बनाए जाने वाले इंडस्ट्रियल एरिया, गोविंदपुर, आजमपुर, मसानी मार्ग, महोली रोड आदि स्थानों पर नालों का निर्माण शुरू कर दिया और जगह-जगह नालों के लिए जमीन खोदकर पटक दी गई। आठ माह बीतने के बाद भी जलनिगम एक भी नाले का निर्माण पूरा नहीं कर सका हैं, जबकि अभी तक नाला निर्माण के लिए २२ करोड़ २० लाख रुपये की धनराशि मिल चुकी हैं। भाजपा सभासद दल के नेता हेमंत अग्रवाल का कहना है कि जेनर्म नाले में विधायक प्रदीप माथुर एवं पालिकाध्यक्ष श्याम सुंदर उपाध्याय की जलनिगम से मिलीभगत नाला निर्माण में बाधा बन रही हैं।नाले साफ न होने से भरा पानी : पालिकाध्यक्ष
मथुरा (AU 2010.06.07)। पालिकाध्यक्ष श्याम सुंदर उपाध्याय बिट्टू ने कहा कि नालों की सफाई न होने से शहर में जलभराव हुआ। कुछ लोगों के घरों में पानी भर गया है। जेनर्म में निर्माणाधीन नालों का निर्माण अनुभवहीन ठेकेदार कर रहे हैं। शहर बरसात में डूब सकता है। पालिका में सफाई कर्मचारियों की कमी है। प्रशासन ने यमुना में सिल्ट निकालने के लिए ५० सफाई कर्मचारियों की गैंग लगा रखी है। स्वीकारा कि गत तीन साल से नाला सफाई का ठेका भी नहीं उठा है। इससे शहर का हाल ऐसा हो रहा है।बेमौसम में जमकर बरसे मेघा
दस वर्ष में जून में हुई कम और जुलाई में ज्यादा बारिश हकीकत : रेगिस्तान में तब्दील हो रही कान्हा की नगरी २००१ में सबसे कम २०२ एमएम वर्षा हुई मथुरा (AU 2010.06.07)। कम वर्षा के चलते लगातार रेगिस्तान में तब्दील होते जा रहे ब्रज में वर्षा का मिजाज बनता-बिगड़ता रहा है। पिछले दस वर्ष के आंकड़ाें पर नजर डालें तो जून में कम तथा जुलाई में अधिक वर्षा हुई है। ऑफ सीजन में भी इंद्र देव ने खूब कृपा बरसाई है। इस अवधि में सबसे अच्छी वर्षा वर्ष २००८ में हुई। इसने कई वर्षों के रिकार्ड धूल धुसरित कर दिए। विशेषज्ञों की माने तो इस सीजन में पिछले वर्ष की तुलना में करीब १०० एमएम वर्षा अधिक होने की संभावना है। कम पानी के चलते रुख बदलती यमुना और वर्ष के चलते कान्हा की नगरी रेगिस्तान में तब्दील होती जा रही है। पिछले दस वर्ष के आंकड़ों पर नजर डाले तो स्थिति अत्यंत भयावह नजर आती है। इस दौरान वर्ष २००८ में सर्वाधिक १०८७ एमएम तथा वर्ष २००१ में सबसे कम मात्र २०२ एमएम वर्षा हुई है।इस बार अच्छी वर्षा की उम्मीद
मथुरा (AU 2010.06.07)। राया कृषि शोध केंद्र के मौसम विशेषज्ञ डा. श्याम सुंदर शर्मा का मानना है कि इस सीजन में अब तक मिले संकेतों के अनुसार पिछले सीजन से अच्छी वर्षा की उम्मीद है। पिछले वर्ष मात्र ६६३ एमएम वर्षा हुई थी इस सीजन में करीब ७८० एमएम वर्षा होने की संभावना है। यही आंकलन शासन की जानकारी में लाया गया है। दस वर्षों का ब्यौरा वर्ष कुल वर्षा जून जुलाई- १९९९ ३६६ ५४ ७४.५
- २००० ४७८ ७७ १७१
- २००१ २०२ ७८ ५०
- २००२ ५७३ ०४ ३१
- २००३ ८४७ ३१ ५३५.५
- २००४ ७३९ ३६ १४८
- २००५ ६८० ०४ ४५४
- २००६ ३७९ १८ २३७.५
- २००७ ४९४ ३१.५ १८३
- २००८ १०८७ २१४ ३०८
- २००९ ६६३ ०५ १५७
जरा सी बारिश में उफन कर यमुना में गिरे नाले
नासूर बनती जा रही गंदगी गिरने की समस्या मुसीबत : गंदगी देख आहत हो रहे तीर्थयात्री मथुरा (AU 2010.06.07)। एक ओर दशहरा पर्व से पूर्व यमुना प्रदूषण मुक्ति के लाख दावे किए जा रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर जरा सी बरसात ने कालिंदी को स्वच्छ रखने के प्रयासों की पोल खोल दी है। शनिवार को हुई बारिश के कारण लबालब गंदगी से भरे नाले यमुना में गिरते रहे। इससे नारकीय हालात उत्पन्न हो गए। यमुना की गंदगी देख तीर्थयात्रियों ने इससे दूरी बनाए रखी। यमुना कार्य योजना हो या पतित पावनी कालिंदी को प्रदूषण मुक्त करने के तमाम प्रशासनिक प्रयास, यमुना शुद्धि के लिए यह कितने कटिबद्ध हैं, इसकी पुष्टि शनिवार को हो गई। दशहरा तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा चलाए जा रहे सिल्ट हटाओ अभियान को भी गंदे नालों के वेग ने फीका साबित कर दिया। एसटीपी प्लाटों के सुचारु संचालन में कोताही और गंदे नालों का यमुना में गिरना पहले से ही नहीं रुक रहा था उस पर बरसात ने कोढ़ में खाज का काम कर दिया। बरसात के कारण कई नाले उफन कर यमुना में गिरने लगे और गंदगी को कालिंदी में समावेशित कर दिया। बंगाली घाट, असकुंडा घाट, यमुना बाग जैसे बड़े नाले धु्रत वेग के साथ यमुना में जा गिरे। बड़े-बड़े नालों से गंदगी का अंबार यमुना में मिलते देख श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हुई और लोगों ने आचमन से दूरी बनाए रखी।रोजगार न ले डूबे गंदगी!
मथुरा (AU 2010.06.07)। बढ़ते यमुना प्रदूषण ने नाविकों को संकट में ला दिया है। बरसात के बाद घूमने योग्य हुए मौसम को भी यमुना की गंदगी ने बट्टा लगा दिया। नाले गिरने से यमुना में चारों ओर फैली गंदगी देख लोगों नाव सैर करना भी मुनासिब नहीं समझा। नाविक छैल बिहारी ने बताया कि बरसात बाद बोटिंग का मजा लेने आने वाले लोग गंदगी देख बैरंग वापस हो लिए। नाविक छिद्दीलाल ने बताया कि यमुना की गंदगी अब हमारे रोजगार को ही चोट पहुंचाने लगी है।ओवरफ्लो निर्माणाधीन नाले से मकान ढहा
वृंदावन मार्ग पर राधेश्याम कालोनी में हुआ हादसा वाकया : दो और मकान में आईं दरारें, महिला समेत तीन घायल घटना से गुस्साए लोगों ने सरस्वती कुंड मार्ग किया जाम मथुरा (AU 2010.06.07)। वृंदावन रोड स्थित राधेश्याम कालोनी में शनिवार रात ओवरफ्लो हुए नाले का पानी दीवार में भरने से एक मकान ढह गया। फलतः परिवार के तीन लोग घायल हो गए। चौकी पर शिकायत करने के बाद भी मौके पर पुलिस न पहुंचने से आक्रोशित लोगों ने सरस्वती कुंड मार्ग जाम कर दिया। राधेश्याम कालोनी में जेनर्म में नाले का निर्माण कार्य चल रहा है। शनिवार को हुई वर्षा के चलते यह निर्माणाधीन नाला ओवरफ्लो हो गया। नाले का पानी कालोनी में निवास करने वाले कालीचरन के मकान की नींव में भर गया। इससे रविवार को अपराह्न करीब साढ़े तीन बजे कालीचरन के मकान की दीवार भरभरा कर गिर पड़ी। बाद में पूरा मकान ढह गया। कालीचरन, उसकी पत्नी शांति देवी और उसका ढाई वर्षीय बेटा तपेश घायल हो गया। कालीचरन का मकान गिरने का पता लगते ही आसपास के लोग अपने घरों से निकल आए। लोगों ने घायलों को बाहर निकाला। हादसे की शिकायत करने के लिए कालीचरन लोगों के साथ बिरला मंदिर पुलिस चौकी पहुंचा। शिकायत के कई घंटे बाद भी जब पुलिस मौके पर नहीं पहुंची तो लोगों में आक्रोश बढ़ने लगा। लोगों ने कांग्रेस नेता ताराचंद गोस्वामी के नेतृत्व में सरस्वती कुंड रोड पर घायलों को लेकर रास्ता जाम कर दिया। रास्ता जाम की सूचना पर थाना प्रभारी गोविंद नगर और सीओ सिटी डा. संजय कुमार भी मौके पर पहुंच गए। बताया गया कि इसी बीच नाले का निर्माण करा रहे स्थानीय पेटी ठेकेदार भी वहां आ गए। पुलिस अधिकारियों द्वारा समझाए जाने के बाद लोगों ने रास्ता खोल दिया। घायलों को अस्पताल ले जाया गया। नाले के पानी के कारण बृजभूषण गौतम और उनके पड़ोसी के मकान की दीवारों में दरारें आ गई हैं।पेड़ पर लटका मिला साधु का शव
मृतक की नहीं हो सकी शिनाख्त अपराध : हाथ पर गुदा है ओमप्रकाश गिरी वृंदावन (AU 2010.06.07)। थाना कोतवाली पुलिस ने यमुना किनारे कुंभ मेला स्थल के समीप पेड़ पर फांसी के फंदे पर झूलते साधु का शव बरामद किया है। मृतक की शिनाख्त नहीं हो सकी है। रविवार की सायं करीब पांच बजे कोतवाली पुलिस को यमुना किनारे कुंभ मेला स्थल पर जामुन के पेड़ पर साधु का शव लटके होने की सूचना मिली। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने देखा कि गेरुआ वस्त्रधारी साधु का शव पेड़ पर फांसी के फंदे पर झूल रहा था। पुलिस ने स्थानीय लोगों के सहयोग से शव को पेड़ से उतरवाया और आसपास के लोगों से मृतक की शिनाख्त करने को कहा, लेकिन किसी ने भी उसे पहचानने से इंकार कर दिया। पुलिस के अनुसार लगभग ५० वर्षीय मृतक साधु के दाहिने हाथ पर ओम प्रकाश गिरी गुदा हुआ है। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि सायं शौच को गए कुछ लोगों ने साधु को जामुन के पेड़ पर बैठा देखा था, और जब यह लोग लौटकर आए तो साधु को फांसी के फंदे पर लटका देखा। पुलिस के अनुसार साधु जिस फंदे पर झूलता पाया गया वह दुपट्टा भी उसी का ही मालूम पड़ता है। पुलिस ने शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।बारिश ने किया शहर ब्लाक
मथुरा (DJ 2010.06.07)। गयी रात की थोड़ी सी झमाझम बारिश ने पूरे शहर को रविवार को भी ताल-तलैया बनाये रखा। तीनों रेलवे पुलियों के नीचे यातायात ठप रहा तो कई इलाकों में नालों का पानी सड़कों पर बहता रहा। भरतपुर गेट पर तो स्थिति और भी बिगड़ गई। यहां घरों में नाले की कीचड़ घुस गई।रात की बारिश का पानी सड़कों से रविवार को भी दूर नहीं हो सका। फलस्वरूप पूरे दिन शहर और बाहरी आबादी के बीच एक लक्ष्मण रेखा खिंची रही। नए बस स्टैण्ड स्थित रेलवे पुलिया के नीचे भारी जलभराव होने से राहगीरों ने जान जोखिम में डालकर रेल पटरियों से रास्ता पार किया, जबकि छोटे-बड़े वाहन अन्य मार्गो से होकर निकले। यहां पहुंचने वाले वाहन वापस मुड़कर भूतेश्वर होकर डीग गेट व भरतपुर गेट होकर शहर की ओर आते-जाते रहे, जिससे पूरे दिन इन मार्गो में जाम बना रहा। जबकि वाहन बाईपास से धौली प्याऊ होकर भी शहर की ओर आए। पुराने बस स्टैण्ड स्थित रेलवे पुलिया व भूतेश्वर पुलिया पर भी पानी भरा रहा। अमरनाथ विद्या आश्रम से होकर केआर इंटर कालेज का मार्ग खराब होने के कारण वाहन यहां भी फंसे रहे। इस बीच नाले-नालियां साफ न होने से भी यातायात प्रभावित रहा। भरतपुर गेट से केआर इंटर कालेज के बीच नालियां चोक होने से एक साइड में नाले का पानी घरों में भर गया। यहां स्वच्छता विभाग की टीम सुबह क्षेत्र में पहुंची, लेकिन सफाई कर्मियों ने सुबह की ड्यूटी दस बजे खत्म होने की कहकर काम बंद कर दिया। इस पर कुछ मकान मालिकों ने दो-दो सौ रुपए देकर सड़क किनारे की नालियां साफ करायीं। केआर इंटर कालेज से भैंस बहोरा के बीच भी नाले का पानी सड़क पर बह रहा था,जबकि बनखंडी से सुभाष नगर के बीच नाला चोक होने से उसका पानी सड़क पर बना रहा। डीग गेट पर नाला व सीवर का कार्य चलने से यहां एक मिठाई विक्रेता के तहखाने में नाले का पानी भर गया, जिससे काफी सामान खराब हो गया। स्थानीय लोगों ने मोबाइल पर चेयरमैन को सूचित भी किया, लेकिन दोपहर तक उन्हें राहत नहीं मिल सकी थी। यही स्थिति अंबाखार नाले पर रही। यहां भी नाले का पानी सड़क किनारे बना रहा, जबकि डलाबघरों की नियमित सफाई न होने से बारिश के कारण पूरी गंदगी से सड़कें खराब बनी रहीं। होली गेट बाहर बाजार में एक साइड की ओर नालियों का पानी सड़क पर जमा देखा गया। बाहरी कालोनियों में स्थिति और भी खराब रही। महोली रोड, अंबेडकर नगर, कृष्णा नगर की कालोनियों में भी जलभराव बना रहा। इस बीच रविवार की सायं हुई थोड़ी सी बारिश ने स्थिति और भयावह कर दी। स्वच्छता विभाग का कहना है कि नालों की सफाई भूतेश्वर तक ही हो पायी थी कि यमुना की सफाई से निकल रही सिल्ट हटाने में गैंग लगाने पड़े हैं, जिससे नाला सफाई पर असर पड़ा है। मुख्य स्वच्छता निरीक्षक नरेश बाबू ने बताया कि स्थिति को काबू में किया जा रहा है।
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