Sunday, June 20, 2010

2010-06-21 ब्रज का समाचार

यमुना का पान और गंगे में स्नान एक समान


श्रद्धा और उल्लास के साथ आज मनाया जाएगा ‘गंगा दशहरा पर्व’

त्योहार : सोरों स्थित विश्राम घाट पर उमड़ेगा भक्तों का रेला
सतरंगी पतंगों से रंगीन आसमान में होंगे अद्भुत नजारे


मथुरा (AU 2010.06.21)। गंगा दशहरा पर्व सोमवार को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इस दिन ब्रज में सोरों स्थित गंगा और यमुना के विश्राम घाट पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का रेला उमड़ेगा। सतरंगी पतंगों से रंगीन आसमान के अद्भुत नजारे आकर्षण का केंद्र होंगे। बाजारों में जलेबी-कचौड़ी, खरबूजे और तरबूजों की बिक्री चरम पर रहेगी।

कहावत है गंगा स्नान और यमुना का पान एक समान। मतलब यह है कि जो फल गंगा में स्नान करने से प्राप्त होता है, वही यमुना का पान करने से प्राप्त हो जाता है।

किवदंति है कि भगवान विष्णु ने जब वामन अवतार में राजा बली से तीन पैर भूमि मांगी थी तो नापने के दौरान दूसरा पग सत्यलोक में पहुंचा। इस पर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल निकाल कर भगवान के पग धोए थे। यह जल पृथ्वी पर गिरा और गंगा का अवतरण हुआ।

धरती पर हिमालय की गोद से तीन भागों में भागीरथी, अलखनंदा और मंदाकिनी नदियों का संगम गढ़वाल स्थित देवप्रयाग में होता है। मथुरा में गंगा की सहचरी कृष्ण गंगा को गंगा ही माना जाता है। वर्तमान में इस नाम से मात्र घाट ही मौजूद है, वहीं ब्रज में गंगा सोरों तक आती है। यहां ब्रजघाट पर श्रद्धालुओं में स्नान की होड़ सी मचती है।

पतंगबाजी का दंगल आज

गंगा दशहरा पर पतंगबाजी को लेकर शहर में गजब का उत्साह है। बाजारों में भी पतंगों की दुकानें सजी हुई हैं। सुबह से जमकर पतंगबाजी की योजना है। त्यौहार पर पतंग से पेच लड़ाने का मौका कोई भी छोड़ना नहीं चाह रहा। यही नहीं बाजार भी पतंग के इस पर्व के लिए तैयार बैठा है। रंग-बिरंगी पतंगे सभी को लुभा रही हैं। चाइनीज पतंगों का क्रेज सबसे अधिक देखा जा रहा है। इसके अलावा परंपरागत रूप से बासी कागज से तैयार पतंगे भी खूब बिक रही हैं। मार्केट में पतंगे दो रुपये से लेकर ३० रुपये तक में उपलब्ध हैं।

बजेंगे यह गाने

दशहरा पर छत्तों पर पतंगबाजी के साथ डेक भी खूब बजते हैं। चिरपरिचित पतंगों से जुड़े गाने बजाना सभी को पसंद आता है। इस बार भी पतंगबाजी के गीत जमकर बजेंगे। इन गानों की रहेगी धूम।

  • चली चली रे पतंग मेरी चली रे
  • ढ़ील दे दे ढील दे रे भैया
  • आजा-आज नीले आसमान के तले जय हो

बच्चों का रखें ध्यान

पतंगों के इस पर्व पर जरा सी चूक बड़ी दुर्घटना को जन्म भी दे सकती है खासतौर पर बच्चों के मामले में सतर्कता बरतना बेहद आवश्यक है। छत्तों पर पतंगों के पीछे भागते बच्चे किसी न किसी हादसे का शिकार होते आए हैं। थोड़ी सी सावधानी अपनाने से त्योहार का मजा दोगुना हो सकता है।



गंगा दशहरा का पर्व आज, तैयारी पूरी


यमुना पर होंगे सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
प्रबंध : नगर पालिका, पुलिस और निजी संस्थाएं सतर्क
हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है गंगा दशहरा


वृंदावन (AU 2010.06.21)। हिंदुओं की आस्था का प्रतीक गंगा दशहरा का पर्व सोमवार को मनाया जाएगा। इस पावन पर्व पर यमुना स्न्नान के लिए उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के दृष्टिगत नगर पालिका, निजी संस्थाओं और पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए हैं।

वृंदावन में भले ही ज्यादातर मां यमुना के भक्त हों लेकिन यहां गंगा भक्तों की भी कमी नहीं है। प्रातःकाल से सुदूर क्षेत्रों से आए श्रद्धालु स्नानकर पुण्यलाभ अर्जित करते हैं। कोतवाली प्रभारी ने बताया कि लोगों की सुरक्षा के लिए बांके बिहारी पुलिस चौकी और रंगजी चौकी की पुलिस को केशीघाट, शृंगारवट, जुगलघाट एवं चीरघाट पर तैनात किया जाएगा। वहीं गोताखोरों भी मुस्तैद किए गए हैं।

मंदिरों में फूल बंगले सजेंगे

गंगा दशहरा के पावन पर्व पर नगर के विभिन्न मंदिरों में भव्य फूल बंगले, छप्पन भोग और भजन संध्याओं का आयोजन किया जाएगा। गंगा दशहरा के अवसर पर जहां श्रद्धालु दान कर पुण्य अर्जित करेंगे, वहीं बच्चे और युवा पतंगबाजी कर अपने शौक को पूरा करेंगे। दशहरा के कारण नगर में पतंगों की दुकानों पर भीड़ देखी जा सकती है।

इस पावन पर्व पर नगर के अठखंभा स्थित गंगा मंदिर में श्री गंगा लोक कल्याण सेवा संस्थान के तत्वावधान में भव्य फूल बंगले का आयोजन किया जाएगा। सेवायत विनय गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में प्रातः वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य पूजन अर्चन सायंकाल विशेष शृंगार दर्शन एवं फूल बंगले का आयोजन होगा। उधर, नगर के ठाकुर राधावल्लभ मंदिर, राधा रमण मंदिर, ठाकुर श्रीबांके बिहारी मंदिर, यशोदा नंदन आदि मंदिरों में भी भव्य फूल बंगला और भजन संध्या के आयोजन होगा।



रेत और कीचड़ लगाकर विरोध प्रदर्शन किया


यमुना में गंदगी देख नाराजगी जताई
गंगा दशहरा : पर्याप्त मात्रा में स्नान योग्य जल नहीं होने से रोष
जिला मनरेगा निगरानी समिति ने किया प्रदर्शन


वृंदावन (AU 2010.06.21)। गंगा दशहरा पर्व होने के बावजूद यमुना नदी में पर्याप्त मात्रा स्नान योग्य जल न होने से नगर के विभिन्न संगठनों में रोष व्याप्त है। शुक्रवार की सुबह जिला मनरेगा निगरानी समिति के कार्यकर्ताओं ने यमुना में जल न होने के अभाव में यमुना में व्याप्त गंदगी को शरीर पर लगाकर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।

समिति के चेयरमैन ताराचंद गोस्वामी ने कहा कि वृंदावन की विश्व पटल पर विशिष्ट पहचान है। नगर को उसकी पहचान दिलाने में यमुना का योगदान है। इन दिनों प्रशासन के उदासीन रवैये से यमुना की स्थिति दयनीय बनी हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारी यमुना प्रदूषण को दूर करने की आड़ में करोड़ों रुपये हड़प रहे हैं। उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा में अब एक दिन ही शेष रह गया है, इसके बावजूद यमुना में पर्याप्त जल ने होने से स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है।

लोकेश शर्मा ने कहा कि यमुना में व्याप्त प्रदूषण को देखकर श्रद्धालु उसमें स्नान तो दूर आचमन करने में भी करता रहा है। ऐसे में दशहरा पर्व पर यमुना स्नान कैसे होगा। इस अवसर पर धर्म सिंह, श्यामसुंदर, बिजली बघेल, फकीरा आदि ने भी नाराजगी जताई।

फोटो-पी-२, कैप्शन- यमुना में व्याप्त गंदगी पर नदी किनारे की मिट्टी को शरीर पर लगाकर विरोध करते मनरेगा निगरानी समिति के सदस्य।



पारे ने तोड़ा पतंगबाजों का हौसला


मथुरा (DJ 2010.06.21)। दशहरा पर गर्मी तो हर बार रहती है, पर इस बार खिसियाई सी धूप और सर ढक कर सो गयी हवाओं ने पतंगबाजों को भी मुंह छिपाने के लिए मजबूर कर दिया, सो दो महीने पहले से शुरू होने वाली पतंगबाजी शनिवार छोटे दशहरा को भी आसमान नहीं ढक सकी। सोमवार को शायद यह तिलिस्म टूट जाए।

ज्येष्ठ मास के सूरज देव से निकलने वाला पारा पतंगबाजी की परंपरा पर कभी हावी नहीं हो सका है। डेढ़-दो महीने पहले से आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें टीकाटीक दोपहरी को भी मात देती रही हैं, पर इस बार तो नजारा ही बदला हुआ है। रविवार को छोटा दशहरा होने के बावजूद सुबह के समय आसमान खाली हाथ था तो दोपहर में बद कर पेच लड़ाने वाले न छतों पर नजर आ रहे थे और न आसमान से बात करती पतंगें एक-दूसरे को मांजे से अलग कर बेगाना बनाने को बेताब थीं। शाम के समय भी मुट्ठी भर पतंग उड़ीं।

पतंगबाजी के पुराने शौकीन भी थोड़ी संख्या में नजर आते रहे, जबकि हाईस्कूल-इंटर के परीक्षा परिणाम आने के बाद छतों पर दिन भर पतंग उड़ाने में मशगूल रहने वाले बालक गायब दिखे। दशहरा पर एक दिन पहले भी आसमान नापने की उनकी हसरतों ने उड़ान नहीं भरीं।

हालांकि पिछला सीजन अच्छा जाने के कारण इस बार पतंग साजों ने अपनी दुकानें पूरी तरह सजा रखी हैं। कई ने तो दो-दो मीटर चौड़ी पतंगें दुकानों पर सजाकर लोगों को आकर्षित करने का प्रयास भी किया है, लेकिन इस बार उनकी बिक्री पहले की तुलना में काफी गिरी है। अब उन्हें दशहरा से ही उम्मीद है।

इस बीच रविवार को पतंग साजों की दुकानें क्रेताओं से भरी रहीं। बालक और युवाओं ने काफी खरीददारी भी की, लेकिन उनका मानना है कि केवल परंपरा का निर्वहन ही किया जा रहा है। गंगा दशहरा पर पतंगबाजी के लिए मशहूर ब्रज में अब केवल सोमवार का ही मेला रह गया है। शौकीन लोगों का कहना है कि इस बार हवाओं ने भी धोखा दिया है। पारे ने लगातार दबाव बनाए रखा और जैसा मौसम सप्ताह भर पहले तक था, उससे उम्मीद बंधी थी, लेकिन आसमान साफ होने से कइयों को बदे पेच कैंसिल करने पड़े हैं। इसके बावजूद दशहरा पर वे पतंगबाजी जरूर करेंगे। संभंव है कि मौसम ठीक होने पर दशहरा बाद शर्तिया पेच हों।



चिलचिलाती धूप ने लोगों को घरों में कैद किया


पारा ४४ और रात का २८ डिग्री रहा

मथुरा (DJ 2010.06.21)। मौसम ने एक बार फिर तल्खी दिखानी शुरू कर दी है। पारा ४४ डिग्री तक उछल गया है। रविवार को तेज धूप और गर्म हवाओं के चलते लोग घरों में ही कैद होकर रह गये। सड़कों पर सन्नाटा रहा तो बाजार सूने नजर आये। छुट्टी वाले दिन बच्चों ने घरों में टीबी और कंप्यूटर पर गेम खेलकर ही समय बिताया।

सूर्य नारायण के तेवर एक बार फिर प्रखर हो उठे है। रविवार प्रातः से ही आसमान से सूर्य की किरणें आग बरसाने लगीं। बढ़ती गर्मी और उमस के चलते लोग बिलबिला उठे है। छुट्टी के दिन गर्मी की प्रचंडता के चलते लोग घरों से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सड़कों पर दिन भर सन्नाटा पसरा रहा। बच्चे भी मन मसोस कर घरों में कैद रहे।

रविवार को दिन का तापमान ४४ डिग्री और वहीं रात में २८ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम में आर्द्रता ५५ फीसदी रही।



हैंडपंप का आरक्षण रख रहा प्यासा


मथुरा (DJ 2010.06.21)। सोमवार को गंगा दशहरा है यानि पवित्र स्नान का दिन है और पारा उबल रहा है। यमुना में गंदा पानी बह रहा है तो बस्ती-बस्ती पेयजल के लिए त्राहि मची हुई है। हैंडपंपों की रिबोरिंग और नए हैंडपंपों की स्थापना आरक्षण के झंझट में अटक गयी है।

मथुरा नगर पालिका पेयजल उपलब्ध कराने के भरसक प्रयास कर रही है। आए दिन नए नलकूप वार्डो में लग रहे हैं, पर पेयजल किल्लत अभी काबू में नहीं आ सकी है। डिमांड के अनुरूप सप्लाई देने में अभी दर्जनों नलकूपों की जरूरत तो है ही, पर जिन छोटी बस्तियों में हैंडपंप से गुजारा चल रहा था, वहां आधी से ज्यादा गर्मी पानी की आस में कट गयी है।

शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने निकायों की आवश्यकता अनुसार हैंडपंपों के रिबोर व नयों के लिए डिमांड भेजी थी। डिमांड पर पैसा व स्वीकृति आए हुए एक महीना हो गया है। दावा किया गया था कि दोनों कार्य पंद्रह जून तक हो जाएंगे, पर एक की भी अभी तक शुरूआत नहीं हो सकी है।

बताया गया है कि नगर पालिका ने पचास नए हैंडपंप व 120 रिबोर की सूची जल निगम की निर्माण खंड शाखा को भेजी थी, लेकिन इसमें आरक्षण का लोचा हो गया। शासन का निर्देश है कि रिबोरिंग व नए की स्थापना में दलित व मलिन बस्तियों का ख्याल रखा जाए और पचास फीसदी इन बस्तियों में लगाए जाएं, लेकिन पालिका की लिस्ट में इस कोरम को पूरा नहीं किया गया। फलस्वरूप जल निगम ने उक्त सूची पालिका को लौटा दी।

बताया गया है कि बीस दिन से पालिका स्तर पर ही सूची लंबित है, लेकिन इसका निस्तारण अभी तक नहीं किया गया है। दलित व मलिन बस्तियों में पचास फीसदी का हिस्सा देकर सूची वापस जल निगम को नहीं दी गयी है। इस वजह से एक पुण्य कार्य, जिससे इन बस्तियों के साथ-साथ अन्य इलाकों के नागरिकों को भी पेयजल मिल सकता था, वे भी पानी की प्यास लेकर अभी भी भटक रहे हैं।



नलकूपों से मानसी गंगा को भरने पर मंथन किया


मुड़िया पूर्णिमा मेले से पूर्व विभागों को निर्देश

सभा: अडींग के ऊपर खेतों से रास्ता निकालने पर विचार
गोवर्धन में ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ तेज करें


गोवर्धन (AU 2010.06.21)। प्रशासन ने मुड़िया पूर्णिमा मेले की व्यवस्थाओं पर मंथन शुरू कर दिया है। समस्त संबंधित विभागों से मेले के लिए बजट प्रस्ताव मांगे गए हैं, ताकि शासन से जल्द धन मुहैया हो सके। इस बार श्रद्धालुओं को मानसी गंगा में शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए इसे ट्यूबवेलों के जरिए भरने की योजना तैयार की गई है। इसके लिए जलनिगम की मानसी गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई को आवश्यक इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं।

कलक्ट्रेट सभाकक्ष में एडीएम (कानून व्यवस्था) अवधेश तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुड़िया पूर्णिमा मेले की रूपरेखा पर मंथन किया गया। राजकीय मेले के दौरान सुविधा हो इसके लिए विभागों को गोवर्धन में ‘अतिक्रमण हटाओ अभियान’ में तेजी लाने के निर्देश दिए गए।

यही नहीं, इस बार मानसी गंगा को आगरा कैनाल के बजाए ट्यूबवेलों के माध्यम से भरने की योजना तैयार की गई। इसके लिए तीन ट्यूबवेल लगाने को कहा गया है। बैठक में विधायक पूरन प्रकाश ने अडींग में बाईपास बनाने के प्रस्ताव पर अधिकारियों से जानकारी ली। विधायक ने अधिकारियों से कहा कि वे अडींग के ऊपर होकर खेतों से रास्ता निकालें। उन खेतों को छोड़ दें जिनकी चकबंदी में स्टे लगा हुआ है।

जलनिगम की प्रदूषण नियंत्रण इकाई को मानसी गंगा के शुद्धीकरण का काम तेजी से करने को कहा गया। इस मौके पर रोडवेज बस, विद्युत व्यवस्था, सफाई, कानून व्यवस्था समेत अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर मंथन किया गया।

नगर पंचायत गोवर्धन को परिक्रमा मार्ग में सफाई के विशेष इंतजाम करने को कहा गया। सभी संबंधित अफसरों को कार्ययोजना तैयार कर मेले की व्यवस्थाएं करने की नसीहत दी गई। इस मौके पर पीडब्ल्यूडी, विप्रा, विद्युत, नगर पंचायत ईओ समेत अन्य संबंधित विभागों के अफसर मौजूद थे।



बरसात से पहले नहीं बन पाएंगे ग्रामीण संपर्क मार्ग


मथुरा (DJ 2010.06.21)। ग्रामीणों को अभी टूटी फूटी सड़कों से ही गुजरना पड़ेगा। बरसात से पहले ग्रामीण संपर्क मार्गो की मरम्मत नहीं हो पाएगी। इनकी बदहाली दूर करने को शासन ने पीडब्ल्यूडी को धनराशि नहीं दी है।

ग्रामीण संपर्क बदहाल स्थिति में है। मथुरा-सौंख मार्ग स्थित ऊंचा गांव से नगरी, रामपुर होते हुए भरतपुर मार्ग को जोड़ने वाली सड़क का एक बड़ा हिस्सा पिछले करीब चार-पांच साल से क्षतिग्रस्त पड़ा हुआ है।

दूसरी तरफ ऊंचागांव, बोरपा, शाहपुर और आगरा कैनाल के किनारे होकर मथुरा-गोवर्धन मार्ग को जोड़ने वाला संपर्क मार्ग गड्ढों में तब्दील हो गया है। गांव उस्फार से तारसी होकर भरतपुर को जोड़ने वाला मार्ग भी वर्षो से टूटा फूटा पड़ा हुआ है। इस मार्ग पर तो दो से तीन फीट तक गहरे गड्ढे हो गए हैं। मथुरा-राया मार्ग से गांव दूधाधारिन होकर पानी गांव तक जाने वाला संपर्क मार्ग का हाल बेहाल है।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हरेश ठैनुआ और महासचिव बच्चू सिंह ने बताया कि मार्ग का निर्माण पिछले साल कराया गया था, लेकिन घटिया सामग्री का इस्तेमाल किए जाने से उम्र से पहले ही मार्ग बदहाल हो गया। औहवा, विधौनी, सिंहावन, जरारा, सिंकदरपुर, भदनवार को सुरीर से जोड़ने वाले संपर्क मार्ग भी अब चलने के काबिल नहीं रहे। टैंटीगांव से सुरखुरू, खायरा से बदन पुर, लोहई, झंडा तिराहे से भालई, खायरा से मोदीपुर संपर्क मार्ग की बदहाल हो गए हैं। इनके अलावा सैकड़ों गांवों को जोड़ने वाले संपर्क मार्गो की भी यही स्थिति बताई जा रही है। इन सड़कों पर निकलने में ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दस बीस मिनट का रास्ता भी एक-एक घंटे में तय हो पा रहा है। पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड और निर्माण खंड में पड़ने वाले बदहाल ग्रामीण संपर्क मार्गो की मरम्मत का रास्ता अभी साफ नहीं हुआ है। बताया गया है कि सात साल पुरानी इक्कीस सड़कों की मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी ने 237 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर शासन को पिछले महीने भेजा था। शासन ने धनराशि तो स्वीकृत कर दी, लेकिन अभी तक उसका आवंटन नहीं किया है। पीडब्ल्यूडी के अधीक्षण अभियंता संतराम ने बताया कि अभी धनराशि नहीं मिली है। धनराशि आने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू हो पाएगा। मगर जानकारों का मानना है कि धनराशि हफ्ता दस दिन देर से मिली तो बरसात से पहले ग्रामीण संपर्क मार्गो की बदहाली दूर नहीं हो पाएगी। बारिश शुरू होते ही निर्माण कार्य भी नहीं होगा। इससे साफ जाहिर है कि ग्रामीणों को अभी टूटी-फूटी सड़कों से ही गुजरना पड़ेगा।



प्यास बुझाने को दांव पर लगाई जिंदगी


PIC2 मथुरा (DJ 2010.06.21)। रामपुर ग्राम पंचायत के मजरा नगरी के ग्रामीणों ने प्यास बुझाने के लिए अपनी जिंदगी को ही दांव कर लगा दिया है। अंडर ग्राउंड वाटर टैंक में स्टोरेज किए जा रहे पानी से आठ-दस दिन तक प्यास बुझाई जा रही है। लंबे समय तक इस पानी का इस्तेमाल पेट संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकता है।

जनपद के ब्लॉक मथुरा की ग्राम पंचायत रामपुर के मजरा नगरी में खारी पानी है। ग्रामीणों ने मीठे पानी की व्यवस्था के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक के दरवाजों पर दस्तक दी। तब कहीं जाकर पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह ने गांव से करीब तीन किलोमीटर दूर मीठे पानी में एक नलकूप की स्थापना कराई, लेकिन पाइप लाइन डालने के लिए आज तक धनराशि आवंटित नहीं हो सकी।

चारों तरफ से जब ग्रामीणों की उम्मीद टूट गई तो उन्होंने अपनी प्यास बुझाने के लिए नया तरीका निकला लिया। गांव में अंडर ग्राउंड वाटर टैंकों का ग्रामीणों ने अपने घरों में निर्माण करना शुरू कर दिया। करीब पचास से ज्यादा परिवारों ने गांव में अंडर ग्राउंड टैंक बना लिए हैं। सात-आठ हजार रुपये खर्च कर बनाए गए अंडर ग्राउंड वाटर टैंकों को तीन सौ रुपये में एक बार टैंकर से भरा जा रहा है। इसी पानी को ग्रामीण आठ-दस दिन तक पी रहे हैं। लगातार टैंक में स्टोरेज किए गए पानी से ग्रामीणों को क्या बीमारियां लग जाएंगी। इसका उनको कतई ज्ञान नहीं है।

ग्राम प्रधान मंगल सिंह ने बताया कि गांव और उसके आसपास खारी पानी है। पीने के लिए पानी की किल्लत तो बनी हुई है साथ ही सिंचाई के लिए भी नहरी पानी नहीं मिल पा रहा है। खरीफ की फसल बारिश पर निर्भर है। यदि सितम्बर-अक्टूबर में बारिश हो जाए तो रबी की फसल बोई जा सकती है। गोकुल सिंह ने बताया कि स्कूली छात्रों के लिए करीब तीन किलोमीटर दूर से पाइप लाइन डालकर मीठे पानी की व्यवस्था की जा रही है। कुछ लोगों ने निजी पाइप लाइन भी डाल रखी है। इनसे पीने के पानी के साथ-साथ खेतों की सिंचाई भी की जा रही है।

उन्होंने बताया कि पाइप लाइन का पानी भी कई-कई दिन तक पीने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पीतम सिंह ने बताया कि गरीबों के लिए पानी की सबसे बड़ी समस्या है। उनको पानी के स्टोरेज के लिए टैंकर बनाने पड़े हैं और वासी पानी पी कर प्यास बुझानी पड़ रही है। ग्रामीणों ने बताया कि प्राइमरी स्कूल में भी मीठे पानी की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। छात्र अपने घर से ही पानी लेकर स्कूल जाते हैं।

फिजीशियन डॉ. वीके गर्ग का मानना है कि कई-कई दिन तक वाटर टैंक में पानी स्टोरेज किए जाने से उसमें बैक्टीरिया पनप जाएंगे। काई भी पानी में लग जाएगी। खुले टैंक में कीड़े भी गिर सकते हैं। इस स्थिति में टैंक का पानी दूषित हो जाएगा। यदि ग्रामीण लगातार इस पानी को पीते रहे तो वे उल्टी, दस्त, पेचिश और टाइफाइड जैसी बीमारियों के शिकार हो जाएंगे। इन बीमारियों से बचने के लिए बिना बिजली से चलने वाले वाटर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। इससे पानी शुद्ध हो जाएगा।



गोकुल बर्बाद कर रहे गोकुल वासी


मथुरा (DJ 2010.06.21) । नागरिक सभ्यता की जानकारी न होना भी किसी शहर व कस्बे के लिए दुखदायी होता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि गोकुल जैसे तीर्थ की छवि नहीं सुधर पा रही है तो इसके लिए स्थानीय लोग भी दोषी हैं।

ऐसी ही कुछ शिकायतों को लेकर जिलाधिकारी को अवगत कराया गया है। कुछ जागरुक लोगों ने अवगत कराया है कि गोकुल का ड्रेनेज सिस्टम ठीक हो सकता है, बशर्ते कि इसे अवरोधित न किया जाए। कुछ असरदार लोगों ने गोकुल बस स्टेंड से नगर पंचायत कार्यालय तक बने नए नाले व नगर पंचायत से बॉस फाटक तक अतिक्रमण कर लिए हैं, जबकि कुछ ने स्थायी निर्माण करा लिया है। अगर उक्त अतिक्रमण हटवा लिए जाएं तो कस्बे के ड्रेनेज सिस्टम में काफी सुधार हो सकता है।

बताया गया है कि गोकुल बैराज पर निजी संस्था द्वारा प्रवेश द्वार का निर्माण मानकों के खिलाफ एवं संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त किए बगैर ही किया जा रहा है। मानक विपरीत इसके पूरा होने पर कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। इसी प्रकार गोकुल पेयजल पुनर्गठन योजना में अनियमितता बरती जा रही है।

बताया है कि गोकुल स्थित प्राचीन एवं धार्मिक कुंड पतित पावन कुंड पर स्थानीय दबंग द्वारा साठ फीसदी अतिक्रमण किया जा चुका है। इस वजह से इसकी सुंदरता नष्ट हो रही है। इस कुंड पर शासन 22 लाख रुपए का व्यय कर सुंदरीकरण करा चुका है, लेकिन यह किसी काम का नहीं रह गया है।

इसी प्रकार गोकुल परिक्रमा मार्ग अतिक्रमण से घेर लिया गया है और घाटों पर भी अवैध कब्जे बढ़ते जा रहे हैं। गोकुल नगर पंचायत के विकास कार्य नेताओं व अधिकारियों के संबंधित लोग करा रहे हैं, जो मानकों का ख्याल नहीं रख रहे। बैंक आफ बड़ौदा के सामने मंदिर मुख्य मार्ग पर छोटे वाहनों का जमावड़ा रहता है, इससे यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


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