Saturday, June 5, 2010

2010-06-05 ब्रज का समाचार

वनों से पेड़ कटान, खनन बरकरार

ब्रज में पतित पावनी यमुना का प्रदूषण और भी बढ़ गया
सूरत-ए-हाल : प्रदूषण मुक्ति अभियान कागजों तक ही सीमित
गहवर वन के अस्तित्व पर संकट के बादल

पर्यावरण दिवस पर विशेष


मथुरा (AU, June 5, 2010)। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पांच जून को ‘पर्यावरण असंतुलन एवं ग्लोबल वार्मिंग’ पर मंथन किया जाएगा। जिले में बढ़ती प्रदूषण की समस्या गंभीर बनती जा रही है। यमुना समेत ब्रज के अनेक स्थल प्रदूषण युक्त हैं। पतित पावनी यमुना का प्रदूषण निरंतर बढ़ता ही जा रहा है।

ब्रज के ज्यादातर ऐतिहासिक स्थल पर्यावरण असंतुलन का दंश झेल रहे हैं। पौराणिक गाथाओं में वर्णित राधारानी के हाथों लगाया गया गहवर वन खत्म होता जा रहा है। इस वन की पहाड़ियों में लाखों ढ़ोंक, पीलू, गोदी, हींस के वृक्ष हुआ करते थे। इस क्षेत्र में ५००० मोर, १००० नील गाय, ५०० हिरण और २५० खरगोश थे किंतु पेड़ काटे जाने से उप्र और राजस्थान में फैले इस जंगल में जीव जंतु नगण्य रह गए हैं। लाख बंदिश के बावजूद अवैध खनन हो रहा है। डायनामाइट के प्रयोग ने पत्थर काटे जा रहे हैं और वन का अस्तित्व खतरे में है।

यही नहीं वन विभाग के जंगल नष्ट हो रहे हैं। यह बात अलग है कि सेटेलाइट सर्वे में वन विभाग का दावा है कि मथुरा में हरियाली बढ़ी है। इसके अलावा यमुना कार्य योजना और अन्य प्रदूषण मुक्ति अभियानों का दावा महज कागजों तक सीमित है। यमुना कार्य योजना के तहत यमुना को प्रदूषण मुक्त करने के करोड़ों रुपये मिल रहे हैं। परंतु नतीजा वही ढाक के तीन पात है। वन विभाग द्वारा पौधे रोपण के मुहैया आंकड़े मात्र कागजी साबित होते हैं।

पर्यावरण के प्रति सक्रिय वंशीधर अग्रवाल "गहवर वन बचाओ आंदोलन" चला रहे हैं। उनका कहना है कि वन का कुछ हिस्सा वह संरक्षित करा चुके हैं। अब बारी सेंचुरी घोषित कराने की है।

यमुना भक्त मनोज चतुर्वेदी कहते हैं कि वर्ष १९९३ से अरबों की योजना के बावजूद यमुना में गिरने वाले नाले-नालियों का दूषित और मल युक्त जल लगातार यमुना में गिर रहा है।



एसटीपी का क्रियान्वयन सही नहीं


मथुरा (AU, June 5, 2010)। औद्योगिक इकाइयों और एसटीपी (Silver treatment) प्लांट के सही क्रियान्वयन नहीं होने से गंदा और रासायनिक पानी तेजी से यमुना में घुलता जा रहा है। इससे पानी में अल्फा बीटा आइसोमर्स, कारसिनोजैनिक, गनोक्लोराइड एवं पाली न्यूक्लियर एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन, पाइरीन, डाई बैंजो, एंथ्रेसिन जैसे केमिकलों यमुना में समावेश हो गया हैं।
  • ध्वनि प्रदूषण के हालात
  • स्थान एरिया स्थिति
  • कैंट सेंसिटिव ५६.५
  • होली गेट कामर्शियल ७८.४
  • कॉमप्लेक्स इंडस्ट्रियल ७९.३
  • डैंपियर नगर रेजिडेंशियल ५८ .४
  • इं.साइट ए इंडस्ट्रियल ७७.४
  • (सभी स्थिति डेसीबल में)


जल-यात्री की प्रेरणा से जागा जनजीवन


मथुरा (DJ, June 5, 2010)। छेद आसमान में भी हो सकता है यारो भरपूर प्रयास तो करो। ऐसी ही धुन पर थिरकते हुये लखनऊ का एक शिक्षक मोटर साइकिल से यात्री मथुरा आ पहुंचा। 'जल है तो जहान है' तथा 'पृथ्वी हरी-भरी हो' का संदेश लेकर एक हजार किमी की यात्रा पर निकले यात्री की प्रेरणा से अनेक महिला-पुरुषों ने जल की बचत और संरक्षण करने का संकल्प लिया। पेशे से शिक्षक की मां कालिंदी का जल जी भरकर पीने की हसरत मगर पूरी नहीं हो सकी।

लखनऊ के नामचीन इंटर कालेज में रसायन विज्ञान के शिक्षक कई साल से वर्षा जल संचयन, पृथ्वी पर इसका संरक्षण करने एवं अपव्यय रोकने की सीख दे रहे हैं। जगह-जगह जाकर लोगों को जागरूक करना तथा जीवन की वास्तविकता समझाना शिक्षक नंद किशोर वर्मा का धर्म बन गया है। भावी पीढ़ी के लिये जल बचाने, प्रदूषण भगाने तथा सजल व हरी भरी धरती बनाने के लिये श्री वर्मा ने 27 मई को एक हजार किमी की मोटरसाइकिल यात्रा शुरु की। गुरुवार रात्रि को मथुरा पहुंचे श्री वर्मा ने शहर का भ्रमण किया। यहां की दशा देखी तो व्यथित हो गये।

उन्होंने कहा कि अधिकांश जगहों पर नलों से बेशकीमती जल निरंतर बह रहा है, सीवेज वाटर नालियों से सीधे जीवनदायिनी यमुना में जा रहा है। आया तो था यमुना मां का जी भरकर जल पीने परंतु जल को मात्र मस्तक पर लगाकर संतोष करना पड़ गया। हम सब नारे खूब लगाते हैं मगर खुली टोटियों से जल को बहते हुये देखते अनदेखा कर रहे हैं। देवता कहे गये जल एवं मां कही जाती यमुना को गंदा करना पाप है यह जानते हुये भी व्यक्ति पुण्य व्यवहार में नहीं ला रहे।

श्री वर्मा के यहां पहुंचने पर पालिका के पूर्व चेयरमैन वीरेंद्र अग्रवाल ने जोरदार स्वागत व सम्मान किया। श्री अग्रवाल ने इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का विश्वास दिलाया। आगे की यात्रा के लिये स्वत:स्फूर्त मोटरसाइकिल की टंकी पैट्रोल से फुल कराई। इस मौके पर विक्की अरोड़ा, कपिल अग्रवाल समेत अनेक लोगों ने जल संरक्षण का संकल्प लिया।



आंधी से वन कर्मचारियों की हो रही बल्ले-बल्ले

उखड़े पेड़ों का कोई नहीं हिसाब, बेच देते हैं
हकीकत : हर साल वन विभाग को लगती है लाखों की चपत
जनपद में है ११०० हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र


मथुरा (AU, June 5, 2010)। आंधी-तूफान में जड़ से उखड़े पेड़ों से भले ही वन विभाग को हर साल लाखों की चपत लगती हो। इसका सुचारु हिसाब विभाग के पास भी नहीं है। यही कारण है कि चंद विभागीय कर्मी चंद कागज के टुकड़ों की खातिर बड़े आराम से इनका सौदा कर देते हैं। आसपास के अवसरवादी भी मौका नहीं मानते।

एक सप्ताह में दो बार आए तेज आंधी-तूफान से छाता, बरसाना, कोसीकलां, शेरगढ़ समेत अन्य क्षेत्रों में सैकड़ों पेड़ उखड़ गए। इसके बावजूद वन अफसर नहीं चेते। उन्हें ही नहीं मालूम कि हर साल पौधारोपण के बाद कितने पौधे जीवित हैं और कितने रखरखाव के अभाव में मर गए। जनपद में सड़क किनारे करीब २२०० हेक्टेयर संरक्षित वन तथा ११०० हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र है।

इसमें प्लांटेशन के हिसाब से रक्षकों का हिसाब मात्र एक रेंज में उपलब्ध कर्मचारियों की संख्या से लगाया जा सकता है। मसलन फरह और मथुरा को मिलाकर बनी मथुरा रेंज में कुल १४ कर्मचारी हैं। ये लोग करीब १०७ हेक्टेयर वन भूमि का पोषण और रक्षा करते हैं। कुल मिलाकर दस हेक्टेयर में लगे ११ हजार पेड़ों पर एक रक्षक तैनात रहता है। ऐसे में यदि आंधी तूफान से पेड़ उखड़ जाएं तो उनकी गिनती कैसे होगी। इसका फायदा चंद मौकापरस्त कर्मचारी उठाते हैं।

आंधी में गिरे पेड़ों को वे वर्तमान लकड़ी के रेटों में आरा मशीनों में कटवाकर मुनाफा कमाते हैं। आसपास के लोग भी स्थिति का फायदा उठाकर ईधन एवं बिक्री के लिए भारी मात्रा में लकड़ी एकत्र कर देते हैं। प्रभागीय वन निदेशक केएल मीना ने स्वीकार किया कि हर साल करीब १५-२० प्रतिशत उखड़े पेड़ चोरी हो जाते हैं।



दशहरा पर तरबूज-खरबूज को तरसेंगे लोग

मथुरा (DJ, June 5, 2010)। इस बार दशहरा पर खरबूज और तरबूज खाने की परम्परा निभा पाना मुश्किल लगती है। इस बार पर्व से पहले ही खेतों में बारियां उजड़ जाने से दशहरा पर लोग खरबूज-तरबूज के लिए तरस जायेंगे।

गंगा दशहरा के दिन तरबूज और खरबूज खाने का महत्व काफी समय से चला आ रहा है। नदी, नहर किनारे इस पर्व पर लोग बड़ी संख्या में स्नान करते हैं और उसके बाद तरबूज-खरबूज खाने की परंपरा निभाते हैं। लेकिन इस बार गंगा दशहरा आने से पहले ही खेत की बारियां उजड़ जाने के कारण लोगो को शायद ही इस परंपरा को निभाने का मौका मिले।

यमुना किनारे गांव बेगमपुर के किसान धनीराम जो अपने खेतों में हर वर्ष खरबूज-तरबूज की फसल करते हैं का कहना है कि अबकी बार दशहरा से पहले ही खरबूज-तरबूज की बारियां उजड़ गयी हैं। इसका मुख्य कारण बढ़ते तापमान के कारण बिगड़े मौसम के मिजाज से जड़ें एवं फल सूख गये हैं।

इसी तरह गांव डांगौली के किसान राम सिंह ने कहा कि इस बार दशहरा तक शायद ही किसी को तरबूज-खरबूज का स्वाद चखने को मिले, क्योंकि हर जगह बारियां उजड़ गयी हैं। मांट के किसान गोवर्धन सिंह ने बताया कि मौसम के अलावा अधिकमास के कारण दशहरा तक खरबूज-तरबूज की फसल चलना संभव ही नहीं है।

इस कारण दशहरा पर लोगों को इनका स्वाद चखने का मौका शायद ही मिल सके। उल्लेखनीय है कि दशहरा पर्व पर तरबूज-खरबूज खाने का महत्व एवं परंपरा वर्षो से चली आर रही है, लेकिन इस बार यह परंपरा टूटती नजर आ रही है।



बच्चों के बाल, दांत व विकास हो रहा प्रभावित


मथुरा (DJ, June 5, 2010)। बाल सफेद होना अब आयु के अधीन नहीं रहा है। प्रदूषित पर्यावरण ने इस मामले में सभी आयु वर्ग में एक समानता पैदा कर दी है।

पर्यावरण में तमाम तरह के कीटनाशक व आबोहवा खराब होने से अब तो बच्चों के भी बाल सफेद होने लगे हैं। बाल झड़ने के अलावा आंखों पर चश्मा भी लगने लगा है। इसके साथ ही उनके दांतों में बीमारियां पनप रही हैं, जबकि पैरों में दर्द की शिकायतें भी लेकर बच्चे चिकित्सकों के यहां पहुंच रहे हैं।

खराब पानी के कारण पेट व लीवर के रोग भी पनप रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डा. अशोक अग्रवाल कहते हैं कि बच्चों में तमाम तरह के रोग पनप रहे हैं। उनकी संख्या में इजाफा हो रहा है। स्वस्थ न रहने का रोग भी इनमें से एक है।



मौसम की मेहरबानी अच्छी होगी किसानी

मथुरा (DJ, June 5, 2010)। मौसम एक बार फिर किसानों पर मेहरबान हो गया है। पिछले तीन दिन में हुई बूंदाबांदी से पारा सात डिग्री नीचे लुढ़क गया है। आने वाले 72 घंटे में और बारिश होने की संभावनाएं हैं। शुक्रवार को भी गोवर्धन क्षेत्र में बारिश हुई।

खरीफ सीजन शुरू होते ही मौसम ने अपने तेवर बदल लिए हैं। तीन दिन पहले तक तापक्रम धान की नर्सरी डालने की इजाजत किसानों को नहीं दे रहा था। इस अवधि में हुई बारिश से तापक्रम सात डिग्री नीचे लुढ़क गया।

कृषि संभागीय परीक्षण एवं प्रदर्शन केंद्र राया पर तीन दिन पहले न्यूनतम तापमान 25 और अधिकतम 42 डिग्री सेल्सियस बना हुआ था। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 24 और अधिकतम 35 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। सुबह गोवर्धन क्षेत्र में पानी गिरा तो अन्य हिस्सों में बादल छाए रहे। मौसम के बदले मिजाज ने किसानों को खुश कर दिया है। धान उत्पादक किसानों की तो मानो उड़ कर लग गई है। अब नि:संकोच धान की नर्सरी डाली जा सकती है।

ठीक-ठीक बारिश वाले क्षेत्रों में हरी खाद के लिए ढैंचा, सनई और लोबिया की बुवाई भी हो जाएगी। दलहनी फसलों में अरहर की बुवाई किसान कर सकते हैं। सब्जियों की फसलों के लिए तो बारिश अमृत बनकर बरसी है। खाली खेतों की जुताई करके किसान आगमी फसलों की तैयारी भी कर लेंगे। मौसम के जानकार वरिष्ठ शोध सहायक डॉ. श्याम सुंदर शर्मा के मुताबिक आने वाले 72 घंटे में बारिश की संभावनाएं हैं।



पानी फेर रहा किसानों की किस्मत पर पानी


मथुरा (DJ, June 5, 2010)। खारा पानी ग्राम पंचायत सुरीर कलां के मजरा नगला बरी, नगला मौजी और नगला फौंदा के सैंकड़ों किसानों की बर्बादी की कहानी लिख रहा है। उपजाऊ भूमि पर लगातार जम रहा सफेद दाग उत्पादन को कम कर रहा है। वर्षा पर निर्भर यहां के किसान सभी फसलें नहीं ले पा रहे हैं। भू-गर्भ जल की सिंचाई से फसलें नहीं हो पा रही हैं।

जनपद की तहसील मांट की ग्राम पंचायत सुरीर कलां के मजरा नगला बरी, नगला फौंदा व नगला मौजी की करीब पांच हजार की आबादी खेती बाड़ी पर ही निर्भर हैं। लेकिन भू-गर्भ जल खारा होने से धीरे-धीरे खेती-बाड़ी इन तीनों गांवों के किसानों का साथ छोड़ती चली जा रही है।

नहरी जल की कोई व्यवस्था न होने से लगातार खारी पानी से सींची जा रही जमीन पर सफेद रेह की परत सी जमने लगी है। जहां यह परत जम गयी है वहां कोई फसल नहीं हो पा रही है। सभी फसलें वर्षा पर ही निर्भर हैं। वर्षा हो जाए तो इन खेतों में गेहूं, सरसों, जौ के अलावा ज्वार, बाजरा, मक्का आदि की फसल हो जाती है। यदि समय पर बारिश नहीं होती है तो किसानों के खेत खाली ही रह जाते हैं। नगला बरी के किसान बहोरी सिंह एवं हरीसिंह ने बताया कि करीब दौ सौ एकड़ जमीन खारी पानी से प्रभावित है।

बारिश होने पर गेहूं, सरसों व जौ की फसल तो हो जाती है लेकिन दूसरी फसलें नहीं हो पाती हैं। नहर के पानी की व्यवस्था नहीं है। जिससे बुवाई तो बारिश के पानी से हो जाती है लेकिन सिंचाई खारी पानी से करनी पड़ती है जिससे भरपूर लागत के बाद भी उत्पादन पूरा नहीं हो पाता है। नगला मौजी के किसान हरभान सिंह, मोहनश्याम आदि किसानों का कहना है कि खारी पानी की समस्या से उनके खेतों में सफेद रेह की परत सी जमने लगी है। जिससे उपजाऊ भूमि खराब हो रही है। जहां खेतों में अधिक रेह है वहां बीज भी अंकुरित नहीं हो पाते हैं।

नगला फौंदा के किसान वेदपाल सिंह, श्रीचंद राघव आदि का कहना है कि पानी के चलते उपजाऊ भूमि के दिन-प्रतिदिन खराब होने से एक दिन हालात यह हो जाएंगे कि जमीन किसानों का साथ ही छोड़ जाएगी। खारी पानी की समस्या से तमाम फसलें न लेने पर किसानों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती चली जा रही है। लेकिन इस ओर शासन-प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।



जमीन का जल हो रहा जहरीला


मथुरा (DJ, June 5, 2010)। प्रकृति संतुलन बनाने में कामयाब रहती है, पर जल प्रदूषण के मामले में वह भी असहाय साबित हो रही है। जमीन के अंदर का प्रदूषित जल पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। टीडीएस 35 सौ तक पहुंचने पर कैंसर के मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है।

गोकुल बैराज बनने के बाद गत आठ साल में भूमिगत जल की रिचार्जिग प्रभावित हुई है तो दूसरी ओर यमुना के पानी में पाए जाने वाले केमिकल बैराज के जरिए पेयजल में घुलकर लोगों के स्वास्थ्य को खराब कर रहे हैं। यही स्थिति भूमिगत जल की है। शहर में कई स्थानों पर लाल रंग का पानी निकल चुका है तो लगभग हर एरिया में पानी खारा हो गया है। टीडीएस का स्तर ही दो हजार से लेकर 35 सौ तक पहुंच चुका है। पानी की गुणवत्ता लगातार खराब होने से चिकित्सक भी चिंतित हैं।

मानस नगर स्थित रामा पैथोलाजी के डा. अजय शर्मा बताते हैं कि गत वर्षो की तुलना में उनके यहां बायोप्सी के आने वाले रोगियों की संख्या बीस फीसदी तक बढ़ गयी है। शुद्ध पेयजल के लिए संघर्ष कर रही संस्था बृज लाइफ लाइन वैलफेयर के संयोजक महेंद्र नाथ चतुर्वेदी ने प्रदूषित पानी के कारण कैंसर से मृत्यु होने वालों के आंकड़े लिए हैं।

शहर में अव्यवस्थित रूप से चल रहे उद्योगों चांदी, टोंटी, निकिल, साड़ी, प्रिंटिंग आदि इकाइयों के रसायन तो भूमिगत जल को खराब कर ही रहे हैं, फसलों में अंधाधुंध प्रयोग होने वाला पेस्टीसाइड भी भूमिगत जल को जहरीला बना रहा है।


राजा मानसिंह की हत्या के चर्चित मामले में बहस आज

न्याय : वर्ष ८५ में डीग की चुनावी सभा में हुआ था कत्ल
डीजे कोर्ट में होगी सुनवाई, कड़े इंतजाम किए गए


मथुरा (AU, June 5, 2010)। वर्ष १९८५ में भरतपुर के राजा मानसिंह की हत्या के चर्चित मुकदमे में शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में बहस होगी। मुकदमे में गवाही का दौर खत्म हो चुका है। अब बहस की बारी है। गवाही जारी रखने संबंधी याचिका न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है। इस मुकदमे पर भरतपुर ही नहीं, जाट बिरादरी के इलाकों में निगाहें टिकी हैं।

अभियोजन पक्ष के अनुसार २१ फरवरी १९८५ को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री शिवचरन माथुर की डीग में जनसभा हो रही थी। चुनावी सभा के बगल में हेलीपैड पर उनका हेलीकाप्टर खड़ा था। राजा मानसिंह ने अपनी गाड़ी से उसे तहस-नहस कर दिया था। आरोप है कि तत्कालीन डीएसपी कानसिंह भाटी ने राजा की गोली मारकर हत्या कर दी। यह मुकदमा थाना डीग में दर्ज हुआ।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वर्ष १९९० में सुनवाई मथुरा के जिला न्यायाधीश की अदालत में स्थानांतरित की गई। उस समय से मुकदमे में गवाही का सिलसिला चल रहा है। अभियोजन पक्ष की ओर से ६१ तथा बचाव पक्ष की तरफ से १७ गवाह पेश किए जा चुके हैं। पिछले दिनों जनपद न्यायाधीश सुरेंद्र विक्रम सिंह राठौर ने गवाही की प्रक्रिया बंद कर बहस के लिए पांच जून मुकर्रर की थी।

गौरतलब है कि मुकदमे में राजस्थान की आरएसी एक प्लाटून केस डायरी, अभियुक्तों की कड़ी सुरक्षा के लिए आती है। इधर, न्यायालय परिसर में सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए जाते हैं। शनिवार को कड़ी सुरक्षा में बहस प्रारंभ होगी। दोनों पक्षों की ओर से वरिष्ठ स्थानीय वकील पैरवी कर रहे हैं।



ठुकराए प्रबल की परवरिश आश्रम में

मां की मौत पर पिता जेल में, कोर्ट ने वात्सल्य ग्राम भेजा
लाचारी : मासूम पर टूट पड़ा मुसीबतों का पहाड़
ननिहाल पक्ष ने लेने से किया था इनकार


मथुरा (AU, June 5, 2010)। आठ माह के प्रबल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। मां की मौत ने ममता भरा आंचल छीन लिया। मां की हत्या के आरोप में पिता और परिवार के ज्यादातर लोग जेल में हैं। ननिहाल पक्ष ने उसे लेने से इनकार कर दिया है।अंततः तीन दिन पूर्व उसे ननिहाल पक्ष के लोगों ने पिता के घर के बाहर रोता छोड़ दिया। शुक्रवार को कोर्ट ने बच्चे को वेटा प्रबल पैदा हुआ। इस मासूम के पैदा होने के आठ माह बाद विगत २६ मई की रात अंकिता सिंह की मौत हो गई। राजपूत ने बेटी अंकिता की दहेज के लिए हत्या करने की रिपोर्ट थाना रिफाइनरी में दर्ज कराई। पुलिस ने धर्मेश चौहान, भाई संजय चौहान और मां रानी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

इसके बाद मासूम प्रबल की ननिहाल और ददिहाल वालों में से किसी ने भी सुध नहीं ली। रिफाइनरी का एक कर्मचारी उसे अपने घर ले गया। कर्मचारी के परिवारीजन उसका लालन-पालन भी नहीं कर पाए थे कि ननिहाल पक्ष ने विरोध कर दिया और पालने पर धमकी दी। भयभीत कर्मचारी बच्चे को २८ मई को धर्मेश चौहान के रिफाइनरी नगर स्थित आवास संख्या २/६६ के सामने दोपहरी में रख आया। गर्मी और धूप से निढाल इस अबोध पर पड़ोसियों के साथ सुरक्षाकर्मियों की नजर पड़ी। बच्चे को धूप से उठाकर छांव में रखा गया। थाना प्रभारी रिफाइनरी को बुलाया गया। एसओ ने तुरंत उसे रिफाइनरी के अस्पताल में भर्ती करा दिया। इस तरह बच्चे की जान बच गई।

एसओ ने इस बीच बच्चे के पिता और दादी से उससे लेने के लिए जेल में बातचीत की, लेकिन उन्होंने शायद उसे इसलिए लेने से इनकार कर दिया कि जेल में बिना मां के किस तरह उसका पालन हो पाता। पुलिस ने बच्चे के नाना से भी उसे लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने भी उसे नहीं अपनाया। हार कर पुलिस ने शुक्रवार को सीजेएम कोर्ट में बच्चे को कहां रखा जाए, इसके लिए प्रार्थना पत्र दिया। सीजेएम ने सीओ रिफाइनरी प्रीतीबाला गुप्ता को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सीओ ने प्रबल को वात्सल्य ग्राम को सौंप दिया। अब उसकी परवरिश साध्वी ऋतंभरा करेंगी।



वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हुआ भूमि पूजन

माहेश्वरी सेवा सदन का शिलान्यास समारोह
आयोजन : संस्था असहायों की सेवा के प्रति दृढ़ संकल्पित
असहायों की मदद ही ईश्वर सेवा : गिरीशानंद


वृंदावन (AU, June 5, 2010)। अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन के राधा-कृष्ण भवन का शुक्रवार को भूमि पूजन और शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया। इसमें वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य संत गिरीशानंद महाराज और संस्था के पदाधिकारियों ने भूमि पूजन किया।

समारोह में माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर के अध्यक्ष रामकुमार भूतड़ा ने कहा कि वृंदावन भवन के भाग-२ में राधा-कृष्ण भवन का निर्माण शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में संस्था की शाखाएं हैं, जो असहायों की सेवा के प्रति दृढ़ संकल्पित है। कार्यक्रम के अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति रमेशचंद्र लाहौटी ने कहा कि यह भवन ब्रज धाम में असहायों की सेवा का प्रमुख स्थान होगा।

स्वामी गिरीशानंद सरस्वती ने कहा कि जन सेवा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आगे आकर कार्य करने चाहिए। उन्होंने कहा कि असहायों की सेवा ही सच्ची ईश्वर की सेवा है। क्षेत्रीय विधायक प्रदीप माथुर ने कहा कि यह संस्था अन्नक्षेत्र, वृद्धाश्रम, बाढ़ राहत सेवा, असहाय एवं विधवा सहायता, औषधालय, छात्रवृत्ति आदि में जो सहायता प्रदान कर रही है, वह सराहनीय है।

समारोह के अंतर्गत सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रमों के क्रम में समाज के बालक-बालिकाओं द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां दी गईं। इस अवसर पर श्याम जी जाजू, दामोदर दास मूंदड़ा, श्यामसुंदर, राधा मोहन सोनी, सीताराम तपाड़िया, विनोद कुमार माहेश्वरी आदि थे।


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