66.58 करोड़ की योजना से सुधरेंगे हालात!
मथुरा (DJ 2010.07.02)। जरूरत सिर्फ प्रशासन की इच्छा शक्ति की है। शासन की भू-गर्भ जल संरक्षण की मंशा पूरी करने के लिए जनपद में वाटर रिचार्जिग की पंच वर्षीय कार्य-योजना तैयार कर ली गई है। करीब 66.58 करोड़ रुपये की यह कार्य-योजना क्रिटिकल ब्लॉक नौहझील समेत सेमी क्रिटिकल ब्लॉकों मथुरा, छाता, मांट, राया एवं बलदेव में लागू की जाएगी।
इसमें सर्वाधिक 18.81 करोड़ रुपये नौहझील ब्लॉक में खर्च किये जाएंगे तो छाता में करीब 18 करोड़, बलदेव 9.36 करोड़, राया 8.82 करोड़, मथुरा 6.81 करोड़ एवं मांट ब्लॉक में 4.75 करोड़ रुपये व्यय किये जाना प्रस्तावित है।
कार्य-योजना में तालाब-पोखरों के जीर्णोद्धार के साथ-साथ मेंड़बंदी एवं पिट्स बनाया जाना शुमार किया गया है। ये काम ब्लॉकों के साथ ही लघु सिंचाई एवं भूमि संरक्षण विभाग करेंगे। कार्य-योजना में फिलहाल चेक डेम को शामिल नहीं किया बताया गया है।
मुडिया पूर्णिमा मेले के दबाव से अफसर ठंडे
मथुरा (DJ 2010.07.02)। योगेश्वर की लीलाओं का साक्षी रहे गिरिराज धाम में मुडिया पूर्णिमा पर लगने वाले विश्व प्रसिद्ध मेले का दबाव प्रशासन के सिर चढ़कर बोलने लगा है।
मेले की व्यवस्थाओं के लिये जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों के साथ रोडवेज एवं परिवहन महकमे में भीड़ का प्रभाव अभी से दिखाई देने लगा है। एक अफसर की कुर्सी खाली हो गई है तो दूसरे ने सामान की आपूर्ति शुरु कर असर का संकेत दे दिया है। नये माहौल ने यात्रियों के साथ दलालों की खुशी बढ़ा दी है।
धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण और इसी माह की 25 तारीख को गोवर्धन में लगने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। जन संख्या का अनुपात भले कम रहे मगर मेले में प्रति वर्ष भक्तों की तादात बढ़ जाती है।
अपने वाहनों से आये या फिर भाडे़ से दोनों तरह के धर्मावलंवियों की सेवा का प्रमुख दायित्व रोडवेज एवं परिवहन महकमे का रहता है। इन दोनों पर ही मेला और लाखों की भीड़ का असर प्रत्यक्ष होने लगा है।
एक तरह जहां सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन राजेश कुमार वर्मा एक माह के लिये अवकाश पर चले गये हैं तो वहीं रोडवेज के क्षेत्रीय अफसरों ने मथुरा डिपो को जरूरी सामान की आपूर्ति करना शुरु कर दिया है। रोडवेज के मथुरा डिपो तथा यात्रियों को इससे लाभ हुआ है वहीं एआरटीओ के घर जाते ही दलालों का दफ्तर में दखल बढ़ गया है।
रोडवेज मथुरा डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक राकेश कुमार ने बताया कि 16 बैटरी मिल गई हैं। इनसे 10-12 बसें शेल्फ स्टार्ट हो जाएंगी। टायरों की कमी नहीं रह गई है। अन्य जरूरी यांत्रिक सामान भी मिल गया है। श्री कुमार ने बताया कि इनके अलावा अभी 10 और बसें धक्का स्टार्ट हैं। उनका कहना है कि मेले से पूर्व ये बसें भी शेल्फ स्टार्ट हो जाएंगी। और बैटरी देने का भरोसा क्षेत्रीय अधिकारियों ने दिया है।
पेट्रो मूल्य वृद्धि पर भाजपाइयों ने किया पुतला दहन
मथुरा (DJ 2010.07.02)। केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर नगर भाजपा ने निर्णायक लड़ाई का ऐलान करते हुए शहर में दो जगह पुतला दहन किया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने जयसिंह पुरा एवं चौक बाजार में विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री और पेट्रोलियम मंत्री का पुतला दहन किया। इन मौकों पर नगर अध्यक्ष राजेश गुप्ता और महामंत्री हरीश शर्मा ने कहा कि मूल्य वृद्धि करते केंद्र सरकार आम जनता की कमर तोड़ दी है। महंगाई के कारण गरीब लोग आत्महत्या कर रहे हैं, जो देश और समाज के लिए घातक स्थिति है। इसके लिए कांग्रेस जिम्मेवार है।
नगर उपाध्यक्ष योगेश आवा एवं मंत्री रामकिशन पाठक ने कहा कि महंगाई के लिए यूपीए की गलत आर्थिक नीतियां जिम्मेवार हैं। प्रधानमंत्री को महंगाई पर लगाम न लगा पाने के एवज में इस्तीफा दे देना चाहिए। कहा कि बसपा और सपा का विरोध धोखा है। मंत्री अनीस वर्मा, शैलेष चौहान, प्रेम बाबू सैनी व सतीश चंद्र विसाबर वालों ने कहा कि विरोध जारी रहेगा।
करंट से भैंस मरी, गुस्साए ग्रामीणों ने बिजली घर घेरा
मथुरा (DJ 2010.07.02)। गांव रैपुरा जाट में बिजली करंट से भैंस मरने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा बिजली घर पर उतरा। ग्रामीणों ने प्रदर्शन और नारेबाजी करते हुए कई फीडरों की बिजली बंद करा दी।
गांव में ग्रामीण की भैंस उस समय करंट की चपेट में आ गई जब पानी में खड़े बिजली पोल में करंट आ गया। इस पोल में पूर्व में भी करंट आने के कारण पशु मरे चुके हैं।
गुरुवार को भैंस मरने के बाद ग्रामीणों में गुस्सा और बढ़ गया। ग्रामीण एकत्र होकर बिजली घर फरह पर पहुंच गये। उन्होंने विद्युत अफसरों के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की।
गुस्साए ग्रामीणों ने विद्युत कर्मियों पर कई फीडरों की बिजली आपूर्ति को काफी देर के लिए बंद करा दिया। काफी देर समझाने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा शांत हो सका। ग्रामीणों ने कहा कि विद्युत करंट से कई पशु मर चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी लापरवाही थम नहीं रही है। उन्होंने कार्यवाही की मांग करने और मृत भैंस का मुआवजा दिलाने की मांग की है।
ड्रेन न होती तो प्यासे मर जाते बाइस गांव
मथुरा (DJ 2010.07.02)। अगर चार किलोमीटर दूर गोवर्धन ड्रेन न होती तो मगोर्रा क्षेत्र के बड़े गांवों में शुमार फौंडर बाइसी की जनता प्यासी मर जाती या फिर गांव खाली हो जाते। जी हां “नीर की पीर” का देखना हो तो गोवर्धन विकास खंड के गांव फौंडर की जनता के बीच पहुंचकर उनकी जुबान से ही दर्द को समझा जा सकता है। जनपद मुख्यालय से बीस किलोमीटर दूर फौंडर बाइसी गांव में मीठे पानी का जबर्दस्त संकट है।
फौंडर और उससे सटे गांव अड़ीग रजवाह और गोवर्धन ड्रेन की टेल पर बसे हैं। गांव में 1965 तक पानी की कोई कमी नहीं थी। जल स्तर भी ऊंचा था। कुएं भरे रहते थे। खैंचू यानी हैंडपम्प खूब चलते और पानी देते थे।
अब हालात इतने खराब हो चुके हैं कि फौंडर के गांव धाम में जनता महज एक कुएं पर निर्भर रह गई है। कुएं पर सुबह और शाम महिला, बच्चों के बीच पानी भरने को लेकर किचकिच आम बात है। पानी भरने के लिए भीड़ रहने से महिलाओं को अपनी-अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। ज्यादा खिंचाई होने के कारण कुएं के पानी का स्वाद बदल कर हल्का खारी हो रहा है।
यहां अगर बरसात के दिनों में पास की ड्रेन में पानी न आए तो प्यासे मरने को मजबूर होना पड़ जाए। यहां से चार किलोमीटर दूर फौंडर गांव के लोग भी यहां से पानी मंगवाते हैं। फौंडर गांव की हालत और भी खराब है।
यहां से चार किलोमीटर दूर गोवर्धन ड्रेन ही फौंडर वासियों के लिए जीवन धारा है। यह ड्रेन भी साल में अधिकांश समय सूखी रहती है पर गांव के एक दर्जन सम्पन्न लोगों ने इसी ड्रेन में बोरिंग करा ली है। ड्रेन में ही कुछ लोगों ने कुएं जैसे बना रखे हैं। बोरिंग का पानी चार किलोमीटर दूर पाइप लाइन से गांव में लाया जाता है। जिन लोगों ने यह व्यवस्था की है उन्होंने व्यक्तिगत लाखों रुपया खर्च किया है। गांव में पानी के अलावा सिंचाई की व्यवस्था भी खराब है। यहां सिंचाई गोवर्धन ड्रेन से लायी गई पाइप लाइन से ही होती है। यही कारण है कि गांवों के लोग साल में गेहूं या सरसों की एक ही फसल ले पाते हैं। जितनी पैदावार अन्य इलाके में होती उतनी पैदावार भी नहीं मिल पाती। गांव में पानी की विकराल समस्या पैदा हो गई है। गांव के बहुत परिवार मगोर्रा, जाजन पट्टी और इससे भी आगे रारह कस्बा तक से टैंकरों से पानी मंगवाते हैं। टैंकरों के ही पानी से यहां कई-कई दिन पानी का इस्तेमाल होता है। हैंडपम्प गांव में लगे तो हैं पर सभी का पानी खारी हैं। इनमें से भी कई खराब पड़े हैं। गांव में कोई साइकिल पर कैन बांध कर पानी लाता है तो कोई बग्गी पर ड्रम लादकर पानी ढोता है। लोगों की सुबह और शाम पानी की चिंता में निकल जाती है।
फौंडर से जुड़े बाइस गांवों में गांव धाम, खारी, बर, छोटा धाम, घरू, भान, जलफा, आंधू, दाड़ी, गोला, खनापुर, भूच, सपेरा, नगला श्रीचंद, गांव घड़ी सहित गांवों में खारी पानी है। इनमें से भी सड़क के पार के गांवों में लोग पानी के इंतजाम के लिए सोन और पाली गांव के पास से भी लेकर आते हैं। अड़ीग रजवाहा से भी काफी राहत सिंचाई के मामले में है, लेकिन इसका फायदा तभी मिलता है जब पानी टेल तक आए, वैसे पानी को पहले ही रोक कर लोग अपने खेतों में ले जाते हैं और टेल के गांव फौंडर तक आते-आते पानी कम हो जाता है। गांव में तमाम छोटे परिवार तो पानी से भरी कैन खरीदाने को मजबूर हैं। यदि हालात ऐसे ही रहे तो वे दिन दूर नहीं या तो गांवों को छोड़ना पड़ जाएगा या फिर पानी के लिए संघर्ष करना पड़ जाएगा।
दिनभर गर्मी, शाम को बूंदाबांदी
अंधड़ आने से टीन शेड और छप्पर उड़े
अधिकतम तापमान ३८ डिग्री सेल्सियस
मथुरा/बलदेव/छाता (AU 2010.07.02)। गुरुवार को दिनभर गर्मी के बाद शाम को मौसम ने करवट ली। हल्की बूंदाबांदी के साथ ही ठंडी हवा से लोगों ने राहत की सांस ली। तापमान में भी दो डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई।
गुरुवार को दिन में आसमान पर हल्के बादल छा गए थे। इस बीच बादलों की ओट से सूर्य की तपिश भी लोगों को सताती रही। शाम को बूंदे पड़ने के कारण गर्मी से परेशान लोगों को राहत मिली। अधिकतम तापमान ३८ डिग्री सेल्सियस पर आ गया, जो बीते दिन के मुकाबले दो डिग्री कम था। छाता संवाददाता के अनुसार शाम को आंधी और तेज हवा से घरों पर पड़े टीन और छप्पर उड़ गए। उसके बाद हल्की बरसात से मौसम खुशनुमा हो गया।
बलदेव संवाददाता के अनुसार शाम पांच बजे से अचानक मौसम ने करवट ली और काले बादल घिर आए। तेज अंधड़ के साथ आई वर्षा ने मौसम को सुहावना कर दिया। अंधड़ से कई स्थानों पर पेड़ उखड़ गए और होर्डिंग्स, टिन शेड हवा में उड़ गए।
कमिश्नर ने गांवों की व्यवस्थाएं परखीं
राल सामुदायिक अस्पताल का भी निरीक्षण, ड्रेन सिस्टम जांचा
सिस्टम में रुकावट नहीं आने देने के निर्देश
बाजना, नगला मेव के लोगों का हाला जाना
मथुरा (AU 2010.07.02)। कमिश्नर एसएम बोवड़े ने गुरुवार को राल, बाजना तथा नगला मेव का अचानक दौरा कर ग्रामीणों की समस्याओं की परख की। इस दौरान उन्होंने तीनों गांवों के ड्रेनेज सिस्टम को देखा। ड्रेनेज में रुकावट मामले में उन्होंने आरईएस अफसरों को इसे ठीक करने की नसीहत दी। उन्होंने राल में सामुदायिक अस्पताल का भी निरीक्षण किया।
कमिश्नर शंकर महादेव बोवड़े गुरुवार को आकस्मिक निरीक्षण पर मथुरा आए थे। उन्होंने डीडीओ रामधनीराम के साथ पूर्व में अंबेडकर गांव रहे गांव राल, बाजना एवं नगला मेव का दौरा किया। उन्होंने तीनों गांवों के ड्रेनेज सिस्टम की बारीकी से जांच की। इस दौरान मिली शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए आरईएस अफसरों को इन्हें दूर कराने के निर्देश दिए। हैंडपंप, मनरेगा के कामकाज तथा शुष्क शौचालयों की स्थिति भी परखी।
उन्होंने अफसरों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसके बाद वह टीम के साथ राल के सामुदायिक अस्पताल पहुंच गए। दरअसल उन्हें शिकायत मिली थी कि इस सामुदायिक केंद्र पर चिकित्सक नहीं आते। एक्सरे तकनीशियन नहीं है और मशीन लंबे समय से खराब पड़ी है। निरीक्षण में अस्पताल में भीषण गंदगी मिली। इस पर कमिश्नर ने अस्पताल की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने के निर्देश दिए।
उन्होंने विभिन्न सरकारी योजनाओं की समीक्षा की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि किसी भी मामले में शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। इस दौरान ग्रामीणों ने उन्हें तमाम समस्याओं की जानकारी दी। भ्रमण के दौरान जिला विकास अधिकारी रामधनी राम समेत अन्य अफसर मौजूद थे।
किसान नेत्रियों ने महिला अधिवक्ता को पीटा
वकीलों ने मथुरा-आगरा हाइवे जाम किया
झगड़ा करने वाली नेत्रियों के विरुद्ध रिपोर्ट
वकील से एडवांस रुपये लौटाने की मांग
मथुरा (DJ 2010.07.02)। तहसील से कचहरी के लिए लौटती एक महिला वकील के साथ किसान सभा की महिला नेत्री और कार्यकर्ताओं ने मारपीट कर दी। विरोध में वकीलों ने हंगामा काटा और सिविल लाइन पुलिस चौकी के सामने मथुरा-आगरा हाइवे जाम कर दिया। यह देख इंचार्ज चौकी छोड़ कर भाग निकला।
गुरुवार को महिला अधिवक्ता बबीता सिंह को जिला पंचायत कार्यालय के गेट के समीप किसान सभा की महिलाओं ने घेर लिया और मारपीट शुरू कर दी। किसान सभा की नेता राधा चौहान और लीलावती सहित अन्य महिलाएं महिला वकील को नजदीक स्थित सिविल लाइन चौकी ले गई।
इस बीच काफी संख्या में अधिवक्ता पुलिस चौकी पर आ गए और जमकर नारेबाजी करने लगे। वकील और किसान सभा की महिलाओं में फिर गुत्थमगुत्था शुरू हो गई। किसान सभा की महिलाओं का कहना था कि लड़की की शादी के लिए अनुदान दिलवाने के लिए ली एडवांस राशि वकील से लौटवाई जाए। चौकी इंचार्ज और अन्य पुलिसकर्मी इस घटना को मूक दर्शक बने देखते रहे, उन्होंने हस्तक्षेप करने की जहमत तक नहीं उठाई।
कड़े विरोध के चलते किसान सभा की महिलाएं वहां से खिसक गईं। पुलिस द्वारा कार्रवाई न किए जाने से आक्रोशित अधिवक्ताओं ने हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी की मांग करते हुए चौकी का सामने सड़क पर बैठ गए।
बार के उपाध्यक्ष अधिवक्ता हरीहरनाथ ने इस घटना का पुरजोर विरोध करते हुए जाम कर रहे वकीलों का साथ दिया। बार के अध्यक्ष आलोक सिंह ने इंस्पेक्टर सदर बाजार से मिलकर बबीता सिंह की तहरीर पर मारपीट करने वाली महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। आलोक सिंह ने कहा कि कचहरी पर किसी भी व्यक्ति की गुंडागर्दी सहन नहीं की जाएगी।
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