धर्म की पताका फहरा रहे विदेशी
वृन्दावन (DJ 2010.07.13)। वृन्दावन राधे-कृष्ण जुबां पर और रग-रग में बस रही भारतीय संस्कृति। मथुरा-वृंदावन में सैकड़ों विदेशी भक्त अपना वतन, धर्म और संस्कृति छोड़कर सड़कों पर धर्म की पताका फहरा रहे हैं।
ऐसे एक नहीं अनेकों विदेशी कृष्ण भक्त श्रीधाम वृन्दावन में बस गये हैं जिनके लिए अब सिर्फ हरिनाम संकीर्तन ही जीवन का एकमात्र लक्ष्य रह गया है। हालांकि सद्कर्म कर जगत कल्याण के लिए भगवान श्रीकृष्ण के संदेश पर चलकर ये कृष्ण भक्त अब दूसरों को जीवन मुक्ति का मर्म समझा रहे हैं।
इटली से 1990 में वृन्दावन आये पैट्रो पाओलिनेली शायद नहीं जानते थे कि यहां आकर उनकी जिंदगी इस कदर बदल जायेगी। अपने गुरु शिवराम स्वामी के सम्पर्क में आकर वह अपनी पुरानी जिंदगी को भूल गये और गुरु द्वारा दीक्षित नाम रूपरघुनाथ दास धारण कर हरिनाम संकीर्तन की डोर पकड़ ली।
अपने गुरु से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन सुनकर उनके अंदर भी सेवाभाव जागृत हुआ और उन्होंने जीवन के लिए भोजन का अर्थ समझकर गरीब एवं असहाय लोगों को भोजन वितरित करने के लिए एक संस्था का निर्माण किया जो आज वटवृक्ष बनकर भूखों को रोटी ही नहीं वरन गरीब एवं असहाय लोगों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और जीवन प्रदान कर रही है।
इस सोसाइटी ने समाजसेवा में दिन-प्रतिदिन प्रगति की है। वर्तमान में तीन स्कूल, एक हास्पिटल एवं एक अनाथालय के जरिये यह संस्था निरंतर सेवाभाव का उदाहरण पेश कर रही है। रूपरघुनाथ दास ने तो अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर लिया लेकिन वह नहीं जानते थे कि उनको देखकर भी कोई अपना जीवन सफल बनाने के लिए इस कदर आतुर होगा कि सब कुछ छोड़कर हरिनाम संकीर्तन करने लगेगा। रूपरघुनाथ दास का मानना है कि श्रीकृष्ण से जो उनकी डोर बंधी है वह अब नहीं छूटने वाली। उनकी रग-रग में राधा कृष्ण नाम बस गया है।
रूस के रहने वाले आइगौलसुरेन भी पिछले आठ वर्षो में पाश्चात्य संस्कृति को पूरी तरह छोड़ चुके हैं। अपने गुरुदेव भक्तिभृंग गोविंद स्वामी से दीक्षा लेकर चैतन्य निताई बन गये। पेशे से कम्प्यूटर इंजीनियर चैतन्य निताई आज संदीपनि मुनि स्कूल में गरीब बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उनमें खोई हुई भारतीय संस्कृति का संवर्धन करना चाहते हैं। चैतन्य निताई का कहना है कि उन्हें यहां आत्मिक शांति मिली है। गुरू की शरण में आकर उन्हें जीवन का सही मूल्य पता चला।
Food for Life Vrindavan
वृंदावन में ब्राडगेज लाइन ही नहीं
रेल बजट में तीन तीर्थ स्पेशल ट्रेन की योजना पर असमंजस
रेलवे स्टेशन है नगर से ११ किमी दूर
लाइन डलवाने में लगेगा पांच साल
वृंदावन (AU 2010.07.13) । बजट में घोषित तीन तीर्थ स्पेशल ट्रेनों का लाभ वृंदावन आने वाले तीर्थ यात्री आखिर कैसे उठाएं? वृंदावन के लिए न तो ब्रॉड गेज लाइन है न कोई स्टेशन ही। वृंदावन रोड (छटीकरा) स्टेशन जरूर है जो वृंदावन से ११ किमी दूर है। लाइन डालने और स्टेशन बनाने में कम से कम पंच वर्षीय योजना का समय चाहिए।
रेल बजट में घोषित की गई १६ तीर्थ स्पेशल ट्रेनों में से तीन वृंदावन से चलनी हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इन ट्रेनों के संचालन संभव नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण वृंदावन शहर में ब्रॉड गेज का स्टेशन और लाइन न होना है। हालांकि मथुरा से वृंदावन के मध्य रेल लाइन बिछी हुई है, लेकिन मीटर गेज लाइन होने के कारण यह प्रयोग में आ नहीं सकती।
इस मसले को कांग्रेस विधानमंडल दल के उपनेता प्रदीप माथुर रेल मंत्री के समक्ष उठा चुके हैं। हाल ही में उन्होंने नवागत चेयरमैन रेलवे बोर्ड विवेक सहाय के सामने भी यह मुद्दा उठाया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। हालांकि वृंदावन रोड नाम से बड़ी लाइन का एक स्टेशन है। यह शहर से करीब दस किलोमीटर दूर छटीकरा गांव में है।
ये भी सुबह नौ बजे से रात्रि आठ बजे तक ही उपलब्ध हो पाते हैं। ऐसे में यदि इस स्टेशन को भी तीर्थ स्पेशल ट्रेनों के लिए प्रयोग किया जाय तो तीर्थ यात्री इसका लाभ सीमित समय में ही उठा सकेंगे। मंडलीय जनसंपर्क अधिकारी भूपेंद्र ढिल्लन ने कहा कि इस समस्या पर विचार किया जा रहा है।
बजट में घोषित तीर्थ स्पेशल ट्रेनें--
- हावड़ा-गया-आगरा-मथुरा-वृंदावन-नई दिल्ली-हरिद्वार-वाराणसी-हावड़ा
- हावड़ा-वाराणसी-जम्मूतवी-अमृतसर-हरिद्वार-मथुरा-वृंदावन-इलाहाबाद-हावड़ा
- भोपाल-द्वारिका-सोमनाथ-उदयपुर-अजमेर-जोधपुर-जयपुर-मथुरा-वृंदावन-अमृतसर-जम्मूतवी-भोपाल
गेज कन्वर्जन है एकमात्र विकल्प
मथुरा। मथुरा-वृंदावन के मध्य दस किलोमीटर की दूरी है। इसमें मीटर गेज लाइन बिछी है। इस पर होकर रेल बस संचालित की जाती है। यदि इस लाइन को ब्राडगेज कर दिया जाए तो तीर्थयात्रियों की मुश्किलों का अंत हो सकता है। यही नहीं, घाटे में चल रहे इस सेक्शन को ब्राडगेज के जरिये कमाऊ सेक्शनों में तब्दील किया जा सकता है।
शिक्षा का ध्येय परोपकार हो : मोहन भागवत
सर संघचालक ने महावन में विद्यालय लोकार्पित किया
शिक्षा का महत्व संस्कार का विकास : साध्वी ऋतंभरा
मथुरा (AU 2010.07.13) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन जी भागवत ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य परोपकार होना चाहिए। इसका व्यवसायीकरण न हो। शिक्षा का उपयोग समाज के विकास में हो। सही अर्थों में शिक्षा संस्कार प्रदान करने वाली और मानव बनाने वाली होनी चाहिए।
भागवत मंगलवार को मथुरा-बलदेव मार्ग स्थित मदन मोहन कलावती सर्राफ विद्यालय महावन के लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रहे थे। करीब दो घंटे चले इस कार्यक्रम में विशिष्टजनों ने समाज में गुणवत्तापरक शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर हवन, यज्ञ आदि कार्यक्रम भी आयोजित हुए। सर संघचालक ने कहा कि अशिक्षित व्यक्ति भी धनवान, बलवान, सांसद, मंत्री बन सकता है पर बेहतर शिक्षा से ही व्यक्ति परोपकारी बन पाने में सक्षम है। इसलिए आवश्यक है कि शिक्षा से व्यक्ति परोपकारी बने और जो समाज से प्राप्त किया है, उसे वापस करने लायक बन सके।
विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रकाश चंद्र ने कहा कि विद्या भारती ने कारगिल से माना तक, अरुणाचल से कन्याकुमारी तक विद्यालय खोले हैं। समाज द्वारा संस्कारवान गुणवत्ता परक शिक्षा देकर बालकों को ध्येयशाली बनाने का कार्य कर रही है। विद्या भारती के निकले विद्यार्थी समाज में अलग स्थान रखते हैं। वह राष्ट्रीय और सामाजिक विकास की विचारधारा के होते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही दीदी मां साध्वी ऋतंभरा ने शिक्षा के करुणावान पहलू पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का महत्व तभी है, जब उसमें संस्कार हों। इंसान को करुणावान बनाए, मनुष्य का विकास करें और अहिंसा का गुण बालकों में पैदा कर सके। उन्होंने माताओं से संस्कारित बन बच्चे को करुण हृदय बनने की शिक्षा देने की अपील की। विशिष्ट अतिथि संत विश्व चैतन्य जी महाराज कार्ष्णि ने कहा कि शिक्षा ही मानव का विकास कर सकती है। शिक्षा सभी दे रहे हैं, लेकिन शिशु मंदिर की शिक्षा संस्कारयुक्त होने के कारण व्यक्ति का पूर्णरूपेण विकास करती है।
इस अवसर पर विद्यालय अध्यक्ष श्रीनिवास सर्राफ, प्रबंधक गिरीश, डा. रोशन लाल और डा. दीपा अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में क्षेत्र प्रचारक शिवप्रकाश, प्रांत प्रचारक ख्यालीराम, सह प्रांत प्रचारक रामसनेही, क्षेत्र कार्यवाह मनवीर, विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य राकेश चतुर्वेदी, दीपक, डा. कमल कौशिक, कृष्णकांत द्विवेदी, रविकांत गर्ग, मुन्ना भैया, भवश्नी शंकर, डा. डोरीलाल शर्मा आदि मौजूद रहे।
वर्तमान शिक्षा पद्धति व व्यवस्थाएं दूषित: मोहन भागवत
मथुरा (DJ 2010.07.13)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत ने वर्तमान शिक्षा पद्धति व व्यवस्थाओं की खिलाफत करते हुये पूरे देश में ऐसी शिक्षा पद्धति की आवश्यकता जताई है जिससे छात्रों में समाज को कुछ देने की सीख व समझ की भावना बढ़े। उन्होंने कहा कि विद्या व्यापार के लिये नहीं उपकार करने के लिये होनी चाहिये। सर संघ चालक मंगलवार को यहां बल्देव मार्ग पर स्थित विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से संबद्ध मदन मोहन कलावती सर्राफ सरस्वती विद्या मंदिर के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान व्यवस्था में सरकारों में मंत्री बनने के लिये शिक्षित होना जरूरी नहीं है। फुटपाथ पर रात्रि गुजारने वाले बच्चे लड़-भिड़ कर आखिरकार अपना जीवन खड़ा कर लेते हैं, जबकि हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में फेल होने पर तमाम बच्चे आत्महत्या कर लेते हैं। यह अभिभावकों के बढ़ते दबाव का नतीजा है। अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा के व्यापारीकरण का उपयोग करने के लिये ही पढ़ाते हैं। पढ़-लिखने के बाद अधिकांश लोगों के पास समाज को देने के लिये कुछ नहीं होता। समाज को कुछ देने की सीख बढ़ने से ही देश में हिंदू संस्कृति व हिंदू धर्म की रक्षा होगी। आचार्य और अभिभावक बच्चों को पाठय पुस्तकों के साथ हिंदू संस्कृति व हिंदू धर्म की रक्षा करने के तरीके भी समझाएं। जरूरत है कि हम सबके प्रति संवेदनशील बनें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि अब यह सोचने की जरूरत है कि आजादी के बाद अपना देश कहां से कहां जा पहुंचा। करूणा की बजाय क्रूरता बढ़ती जा रही है, समर्पण की भावना गायब होती जा रही। शिक्षा, चिकित्सा के बाद अब कोख का भी व्यापारीकरण हो रहा है। पथ-प्रकाश तो है लेकिन दृष्टि गायब है। दृष्टि और नजरिया ठीक हो तो परिस्थितियां बदली जा सकती हैं। परिस्थितियां कैसी भी हों, उन्हें देखने-समझने का नजरिया ठीक होना चाहिये। नैराश्य के इस वातावरण में बच्चों को अच्छी शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विद्या वो है जो परिस्थितियों से तोड़ना नहीं, जूझना सिखाए।
वृंदावन में परिक्रमा लगाने में कुछ दिन और दिक्कतें
वृंदावन (DJ 2010.07.13)। वृंदावन में श्रद्धालुओं को परिक्रमा लगाने में अभी कुछ दिन और दिक्कतें झेलनी पड़ेगी। ड्रेनेज-सीवर लाइन का काम पूरा हो जाने के बाद ही पूरे परिक्रमा मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। फिलहाल परिक्रमा मार्ग के डेढ़ किलोमीटर हिस्से को ही पूरा कराया जा रहा है।
वृंदावन में केसी घाट से लेकर टटिया स्थान तक के परिक्रमा मार्ग को छोड़ दिए जाए, तो शेष मार्ग बदहाल पड़ा हुआ है। जगह-जगह गहरे गड्ढे और जलभराव की स्थिति दुखदायी बनी हुई है। करीब दस किलोमीटर लंबे परिक्रमा का निर्माण कराया जाना है। पूरे मार्ग का निर्माण तभी संभव है, जब ड्रेनेज और सीवेज लाइन का काम पूरा हो जाएगा। अभी तक जल निगम और विद्युत निगम ने डेढ़ किलोमीटर हिस्से में ही कोई कार्य न कराए जाने की बात कही है। पीडब्ल्यूडी इसी हिस्से का निर्माण करा रहा है।
बताया गया है कि शेष परिक्रमा मार्ग पर सावन भादों में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानियां ही झेलनी पड़ेगी। निर्माण खंड पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता विवेकानंद शर्मा ने बताया कि जल निगम और विद्युत निगम जब यह लिखकर दे देगा कि अब परिक्रमा मार्ग पर कोई काम नहीं कराया जाएगा, तभी निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा।
श्री विधि से कराई जा रही धान की रोपाई
मथुरा (DJ 2010.07.13)। धान में पानी की बचत के लिए किसानों को श्री विधि से नर्सरी तैयार कर रोपाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जिले में पहली बार पचास हेक्टेयर में इसी तकनीकी से नर्सरी तैयार कराई गई है। आईसीटी परियोजना से जुड़े कर्मचारी पौधों की रोपाई अपनी मौजूदगी में करा रहे हैं।
अभी तक किसान परंपरागत तरीके से ही धान की नर्सरी तैयार करते रहे हैं। इसमें पानी की अधिक खपत होती और लागत भी अधिक आती है। नर्सरी तैयार करने में पानी बचत और लागत कम करने के लिए पहली बार धान उत्पादक किसानों के खेतों पर श्री विधि से धान की नर्सरी तैयार कराई गई है।
आईसीटी परियोजना के जिला प्रभारी ओम प्रकाश सिंह ने बताया कि गांव हकीमपुर, मुकंदपुर, जुगसना, नगला बेर, बछांबदी, नगला संजय, खायरा, हसनपुर, चौकड़ा, नगला दानी, नगला इमाम खां, लालपुर, सिहोर, कारब, नगला नहर, नगला ढहर, नरी बलरई, बेगमपुर, धाना शमशाबाद, बेरी के किसानों के यहां श्री विधि से धान की नर्सरी तैयार कराई गई थी।
पचास हेक्टेयर में तैयार कराई गई नर्सरी से पौधे उखाड़ कर खेतों में रोपे जा रहे हैं। रोपाई का काम ब्लॉक स्तरीय कर्मचारी अपनी मौजूदगी में करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्री विधि से दस बारह दिन में ही नर्सरी तैयार हो जाती है, जबकि परंपरागत तरीके से नर्सरी तैयार करने में कम से कम तीस दिन का समय लगता है।
श्री विधि से नर्सरी तैयार करने में पानी की भारी बचत होती है और लागत में भी कमी आ जाती है। उन्होंने दावा किया कि धान की नर्सरी में अपनाई गई श्री विधि से इसके उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
गरीबों और संतों के लाखों रुपये डकारे
वृंदावन (AU 2010.07.13) । नगर के लोगों को जमीन दिखाकर लाखों रुपये हड़पने के आरोप में पुलिस ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है। पकड़े गए व्यक्ति ने स्थानीय लोगों के अलावा संतों का भी लाखो रुपया हड़प लिया।
संत किशोरी शरण ने आरोप लगाया है कि छाता के गांव शिवाल निवासी नरेश चंद्र ने उन्हें परिक्रमा मार्ग पर जमीन दिखाकर लगभग दो लाख रुपये हड़प लिए। मांगने पर झगड़े पर उतारू हो गया। वहीं गौरा नगर कालोनी के विष्णु से भी नरेश ने परिक्रमा मार्ग में जमीन दिखाकर ७० हजार और कानू से ४० हजार रुपये हड़प लिए। लोगों द्वारा रुपये मांगने पर वह टालमटोल करता रहा। लोगों की शिकायत पर पुलिस ने नरेश को हिरासत में लिया है। नरेश का कहना है कि उसने सारा रुपया भंडारे में लगा दिया।
यमुना का जलस्तर फिर गिरा
तीन-चार दिन पूर्व बढ़ा जलस्तर मंगलवार को कम हो गया
बाढ़ का खतरा अभी भी है नगण्य
मथुरा (AU 2010.07.13)। बरसात का प्रकोप भले ही देश के विभिन्न भागों में अभिशाप बना हुआ हो, लेकिन यमुना में इसका कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। तीन चार दिन पूर्व आया मामूली उफान मंगलवार को झाग की तरह बैठ गया। हालांकि गोकुल बैराज के गेट न खुलने से नदी का जलस्तर कुछ बढ़ा अवश्य नजर आ रहा है, लेकिन विशेषज्ञ ने इसे मामूली बढ़ोत्तरी करार दिया है।
अंबाला समेत अन्य स्थानों पर बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इसकी दस्तक अब तक यमुना तक नहीं पहुंच सकी है। यमुना अभी भी खतरे के निशान से काफी नीचे बह रही है। मानसून की शुरूआत में हुई भारी वर्षा से यमुना का जलस्तर तीन चार दिन पहले एकाएक बढ़ गया था। पानी के साथ जलकुंभी के आने से यमुना में गंदे पानी की समस्या से कराह रहे ब्रजवासियों ने राहत महसूस की थी।
गत दिवस और मंगलवार को यमुना का जलस्तर एक बार फिर नीचे चला गया। इसका कारण पीछे से पानी का न आना है। स्थिति की गंभीरता को इसी तथ्य से परखा जा सकता है कि तीन चार रोज पूर्व १५००० क्यूसेक जल दिल्ली में घटकर मात्र २९७० क्यूसेक रह गया है। इसमें ताजेवाला बांध में इस समय मात्र १६० क्यूसेक, ओखला में १७०२ क्यूसेक तथा हिंडन में १२६७ क्यूसेक पानी है।
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