Saturday, July 24, 2010

2010-07-25 ब्रज का समाचार

गोवर्धन: आस्था के सागर में भक्ति की डुबकी

गोवर्धन (DJ 2010.07.24)। गोवर्धन के प्रख्यात मुड़िया पूर्णिमा मेला में शनिवार को इस कदर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा कि समूचा गिरिराज धाम “फुल” हो गया। गिरिराज की जय जय कारों से समूचा इलाका रात भर गूंजता रहा। मानसी गंगा में सुरक्षा को धता बताकर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाकर स्नान किया।

अब तक एक अनुमान के मुताबिक देश के कोने-कोने से आकर करीब पचास लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने मानसी गंगा में डुबकी लगाई। फुब्बारे एक तरफ लगे रह गये। यहा के सभी मंदिर, होटल, धर्मशाला, गेस्ट हाऊस और आश्रम पूरी तरह से हाऊस फुल हो गये। भीड़ के दबाव के आगे इंतजाम धरे रह गये। रोडवेज श्रद्धालुओं से लदी जाम में फंसी रहीं। सभी रास्ते छोटे पड़ गये। पुलिस को इस दौरान काफी मशक्कत करनी पड़ी।

गिरिराज धाम में उत्तर भारत के प्रख्यात मुड़िया पूर्णिमा मेला में शनिवार को श्रद्धालुओं के सैलाब दर सैलाब उमड़ते रहे और देखते ही देखते भीड़ इस कदर गिरिराज धाम के चप्पे-चप्पे पर समाई के किलोमीटरों का दायरा छोटा पड़ गया। भक्ति के आगे धूप ताप और भीषण गर्मी भी बेअसर हो गई।

शाम के बाद से दानघाटी, सौंख अड्डा, बिजली घर तिराहा, दसविसा, बड़ा बाजार, आन्यौर, जतीपुरा, राधाकुंड से लेकर मानसी गंगा पर भीड़ के आगे पुलिस-प्रशासन के इंतजाम चरमरा गये। तमाम पुलिस कर्मियों की मनाही के बाद भी श्रद्धालुओं ने मानसी गंगा के फुब्बारों को दरकिनार कर गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाया।

यहां बार-बार मेला के मजिस्ट्रेट पुलिस कर्मियों के जरिए गंगा में जाने से रोकने में लगे थे, लेकिन आस्था के आगे उनकी कोई सुनने को तैयार नहीं था। मेला में अब तक करीब पचास लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह भीड़ विगत मेला से कम आंकी जा रही है।

इस पूर्णिमा की पूर्व संध्या चौदस होने के चलते प्रमुख मंदिर दानघाटी और मुकुट मुखारविंद पर गिरिराज महाराज के विशेष फूल बंगला के दर्शन कराए गये। इससे पहले दिन भर गिरिराज महाराज पर श्रद्धालुओं ने दूध चढ़ाकर अभिषेक कर पूजा अर्चना की।

इधर मेला में शाम से ही उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल के तमाम इलाकों के अलावा देश के दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, कर्नाटक, केरल, मिजोरम, त्रिपुरा सहित तमाम राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचे।

मेला में भीड़ के चलते सुविधाएं इस तरह लड़खड़ाई कि यहां के प्रमुख मंदिरों में इंच भर पैर रखने को जगह नहीं थी। मेला में करीब तीन सैकड़ा श्रद्धालुओं के अपनों से बिछुड़ने की खबर हैं, जिन्हें खोया पाया केन्द्र के जरिए आपस में मिलाने का कार्य तेजी से चल रहा था।



गिरिराज भक्तों की सेवा को बढ़े हाथ


गोवर्धन (DJ 2010.07.24)। देश-विदेश से गिरि परिक्रमा करने तथा अपने गुरु चरणों में सिर झुकाने आये लाखों श्रद्धालुओं की सेवा में गिरिराज मित्र मंडल ने शनिवार को पलक पांवड़े बिछा दिये। सम्पन्न-विपन्न और बड़े-छोटे का भेद त्याग सेवक समुदाय प्रसाद एवं शीतल जल वितरण में लग गया।

मंडल के कार्यकर्ताओं ने गिरि परिक्रमा के लिये जाने के प्रमुख गोवर्धन चौराहे पर दोपहर भंडारा तथा शीतल पेयजल सेवा शुरु कर दी। इसका आरंभ बसपा के मथुरा-वृंदावन विधान सभा क्षेत्र कोर्डिनेटर डा. अशोक अग्रवाल ने किया।

इसमें दर्जनों ऐसे भक्त भी जुटे जिन्होंने अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद कर सेवा को महत्व दिया। इस पुण्य कार्य में कृष्ण नगर पुलिस चौकी एवं हाईवे पुलिस बल के अनेक कर्मियों ने व्यवस्था संबंधी सहयोग दिया।



गिर्राजजी के हवाले जिंदगी का सफर


मथुरा (DJ 2010.07.24)। पार्थ सारथी की भूमि पर चारों दिशाओं से भीड़ उमड़ रही है। कोई गोवर्धन गिरि परिक्रमा को जा रहा है तो कोई बाबा जयगुरुदेव आश्रम पर। न गाड़ियों में कदम रखने को जगह है और न ही बसों में।

मथुरा जंक्शन के प्लेटफार्म और प्रतीक्षालय सब भरे हुए हैं। टीन शेड और पेड़ों के नीचे भी लोग बेसुध पड़े हुए हैं। हालात यह हैं कि भीड़ के दबाव के आगे खाकी लाचार और बेवश हो गई तो भक्तों ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी है।

सैकड़ों लोग रेल की पटरियों पर बैठकर गाड़ियों के आने का इंतजार कर रहे हैं। यहां तक कि उल्टी दिशा से गाड़ियों में चढ़ने को मारामारी मची हुई है। डिब्बे के गेट पर यात्री लटके हुए हैं तो ज्वाइंट पर खड़े होकर भी उनको सफर करने में डर नहीं लग रहा है। बस और रेल गाड़ियों की छत पर बैठकर भी यात्रा पूरी की जा रही है। कुल मिलाकर यही है कि श्रद्धालुओं ने अपनी जिदंगी का सफर गिर्राजी के हवाले कर दिया है।

गुरु पूर्णिमा पर हर साल की तरह इस वर्ष भी चारो दिशाओं से उमड़ रही भीड़ से कान्हा की नगरी में लघु भारत के दर्शन हो रहे हैं। गोवर्धन में गिरि परिक्रमा लगाई जा रही है तो बाबा जयगुरुदेव आश्रम पर मेला लगा हुआ है।

मथुरा-वृंदावन में भी गुरु आश्रमों पर शिष्य पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं। ब्रज भूमि पर कदम रखने और वापस लौटने के बीच के सफर में श्रद्धालुओं को खतरा मोल लेना पड़ रहा है। मजबूरी में श्रद्धालुओं द्वारा उठाए जा रहे नादानी भरे कदम को रोकने में खाकी पूरी तरह से लाचार और बेवश ही दिखाई पड़ रही हैं।

मथुरा जंक्शन पर यह तस्वीर पूरी तरह से साफ ही नजर आ रही है। प्लेटफार्म और प्रतीक्षालय भरे हुए हैं। सैकड़ों यात्री पटरियों पर बैठ कर गाड़ियों का इंतजार कर रहे हैं। यहां तक कि गाड़ी आते ही चढ़ने के लिए भीड़ स्टेशन और उसकी विपरीत दिशा से टूट रही है। कोई गेट पर लटका हुआ तो कोई दो डिब्बों के बीच के ज्वाइंट पर खड़ा हुआ है।

अलवर और कासगंज की गाड़ियों की छत पर भी यात्री बैठकर आ जा रहे हैं। बसों की छतें भी यात्रियों से भरी हुई हैं। रेलवे के हाइडेंट खोल कर यात्री पटरी पर खड़े होकर स्नान कर रहे हैं। टिकट लेने को बुकिंग खिड़कियों पर मारामारी मची हुई है। यही हाल पूछताछ केंद्र का है। लाइन लगाकर यात्रियों को टिकट दिलाने वाले भी नजर नहीं आ रहे हैं। इस मारामारी में सैकड़ों यात्रियों से उनकी गाड़ी छूट गई। अगले दिन गाड़ी आने के इंतजार में वे प्लेटफार्म पर डेरा डाले हुए हैं।



हाइवे पर रेंगती रहीं गाड़ियां


मथुरा (DJ 2010.07.24)। मुड़िया पूर्णिमा से एक दिन पहले शनिवार को शहर अंदर की यातायात व्यवस्था में तो सुधार नजर आया, मगर हाइवे पर अव्यवस्था और भीड़ के कारण गाड़ियां रैंगती रहीं। खासकर गोवर्धन चौराहा और सौंख चौराहा के आसपास भारी जाम की स्थिति बनी रही।

गुरु पूर्णिमा को गिरिराज परिक्रमा लगाने के लिए शनिवार को श्रद्धालुओं का रैला टूट पड़ा। रेल, बस और निजी वाहनों से आने वाले श्रद्धालुओं को गोवर्धन पहुंचाने के लिए रोडवेज की गाड़ियां तो तत्पर रहीं, पर अव्यवस्था दूर नहीं की जा सकी। नए बस स्टेंड, महोली रोड और भूतेश्वर समेत कृष्णा नगर मार्गो पर भीड़ तो भारी रही, पर जाम नहीं लगने दिया गया।

गाड़ियां आसानी से पास हो रही थीं, पर श्री कृष्ण जन्मस्थान के आसपास पैदल यात्रियों के कारण दिन में कई बार जाम लगा। होली गेट व मसानी से पहुंचने वाले वाहन यहां फंसे रहे। जबकि महोली रोड पर यातायात व्यवस्था में सुधार दिखा। कृष्णा नगर में केवल भूतेश्वर तिराहे और गोवर्धन चौराहे के आसपास जाम लग रहा था, जिसे यातायात पुलिस संभाल रही थी। पुलिस ने नए बस स्टेंड के पास गोवर्धन की तरफ से लौटने वाली बसों के कारण कई घंटे तक गाड़ियां रेंग-रेंग कर चलीं।

इस बीच गोवर्धन चौराहा और सौंख मार्ग चौराहा पर स्थिति एकदम विपरीत रही। सुबह से तो यहां जाम लगा ही रहा, सायं होते ही जैसे ही यात्रियों की भीड़ ज्यादा बढ़ी, यहां ट्रैफिक निकल नहीं पाया। गोवर्धन की ओर जाने वाले मार्ग पर बसों के अलावा निजी वाहन देर रात तक जाम में फंसे रहे। जबकि डग्गेमार वाहनों ने भी व्यवस्था बिगाड़ी रखी थी। इस वजह से हाइवे पर दिल्ली और आगरा की ओर पास होने वाला यातायात भी प्रभावित रहा।

जयगुरु देव मंदिर के पास बैरीकेटिंग लगायी गयी है, लेकिन यहां संस्था के स्वयंसेवक ही यातायात व्यवस्था संभाल रहे हैं। मंदिर के बाहर भारी संख्या में वाहन खड़े हुए हैं, लेकिन इन्हें तरतीब से खड़ा करवाया गया है, जबकि यातायात पुलिस हाइवे के दो प्वाइंट्स पर भीड़ और जाम को काबू नहीं कर पायी।



संकेत न समझे तो सतलोक नहीं जा पाओगे- जयगुरुदेव


मथुरा (DJ 2010.07.24)। बाबा जयगुरुदेव ने कहा है कि सुरत सत्तदेश है। किसी प्रकार का मसाला नहीं है। निर्मल, स्थाई, अखंड और अकेली है। उसमें 88 हजार दीपक जलते हैं। उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। बस इशारा ही किया जा सकता है। जो साधक इशारे समझ लेते और चल पड़ते हैं वे निज धाम पहुंच जाते हैं। जो नहीं समझ पाते वे सतलोक नहीं जा पाते।

गुरू पूर्व का पुण्य कमाने आये श्रद्धालुओं को प्रवचन करते बाबा ने आगे कहा कि पहले जब सुरतें आई तो नाम को पकड़े थी। धीरे-धीरे उन पर कर्मो का परदा पड़ गया। मन, बुद्धि, चित्त पर कर्मो का अधिकार हो गया। आप लोग संसारी कामों को थोड़ा ढ़ीला व कम करो। जो करो मेहनत व ईमानदारी से करो। साधकों को बरकत मिलती है। नाम निरंतर और मन लगाकर जपो। तब तक साधना करो जब तक कि शब्द प्रकट हो जाए। जब शब्द आने लगेगा तो मन, बुद्धि, चित्त और सुरत साफ हो जाएंगे।

बाबा ने बताया साधना में विरह-वेदना, तड़प होने पर संसार शून्य हो जाता है। हर चीज का अभाव हो जाता है। महात्मा रोये और विलाप करते रहे वे यहां से पार सतदेश पहुंच गये। उन पर सांसारिकता का असर नहीं पड़ा।

प्रख्यात संत ने बताया कि प्रलय में प्रथ्वी, जल में, जल अग्नि में, अग्नि वायु में वायु आकाश में आकाश माया में, माया ईश्वर में ईश्वर ब्रह्मा में ब्रह्मा पारब्रह्मा और पारब्रह्मा महाकाल पुरुष में विलीन हो जाते हैं। जब उसकी मौज होती है तब फिर विस्तार हो जाता है।

उन्होंने महोली वासियों की सहयोगी भावना की तथा व्यवस्था में संलग्न स्थानीय एवं बाहर से आये लोगों के सराहना करते हुये कहा जो उपदेश मिलता है उसी के अनुसार शांति से चलना उचित रहता है।



जगमगाएंगे यमुना के घाट


मथुरा (DJ 2010.07.24)। बिजली चले जाने के बाद भी यमुना किनारे के घाट अब रात में जगमगाते रहेंगे। सांसद निधि से घाट किनारे सौर ऊर्जा लाइट लगाने की तैयारियां चल रही हैं। नेडा के परियोजना निदेशक ने गत दिवस रालोद कार्यकर्ताओं के साथ घाटों का भ्रमण किया।

बिजली जाते ही यमुना के घाटों पर अब अंधकार नहीं होगा। सांसद जयंत चौधरी ने रालोद नगर अध्यक्ष श्याम चतुर्वेदी की मांग पर यमुना के घाटों पर अपनी निधि से सौर ऊर्जा लाइट लगवाने की मंजूरी दे दी है।

रालोद नगर अध्यक्ष ने बताया कि नेडा के परियोजना निदेशक ने घाटों का निरीक्षण कर स्थल का चयन कर लिया है। इसी के अनुसार योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने बताया कि दाऊजी घाट, श्रृंगार घाट, रामघाट, विश्राम घाट, महाप्रभूजी की बैठक समेत चौधरी चरण सिंह घाट परियोजना अंतर्गत सभी निर्मित घाटों पर करीब तीन लाख रुपये की लागत से पहले चरण में एक दर्जन सौर ऊर्जा लाइट लगाई जाएंगी। इसकी देखभाल नेडा करेगा और सुरक्षा की जिम्मेदारी नगर पालिका को सौंपी जाएगी। उन्होंने बताया कि विश्राम घाट पर ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि रात में पूरा घाट जगमगाता रहे।


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