हेरिटेज स्थलों पर लगाए जाएंगे बोर्ड
विप्रा ने प्रोजेक्ट शासन के पास भेजा
५० स्थलों को कर लिया गया है चयनित
बोर्डों पर लिखा जाएगी पुरातात्विक इतिहास
मथुरा (AU 2010.07.03)। ब्रज की सभी हेरिटेज स्थल अब अपना इतिहास खुद बताएंगे। चौंकिए मत, पर्यटन विभाग ने जिले के ५० हेरिटेज स्थलों पर उनके इतिहास को उकेरते हुए शाइनिंग बोर्ड लगवाने की योजना तैयार की है।
यही नहीं, वृंदावन में भी बेतरतीब खड़े होने वाले वाहनों के लिए बड़ी पार्किंग बनाई जाएगी। इन दोनों का दो करोड़ रुपये का एस्टीमेट विप्रा ने तैयार कर शासन को भेज दिया है।
कामनवेल्थ गेम्स को देखते हुए पर्यटन विभाग ने ब्रज में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां के हेरिटेज स्थलों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए विशेष योजना तैयार की है। इसके लिए विभाग ने ब्रज के ५० हेरिटेज स्थल चयनित किए हैं।
इन सभी स्थलों पर शाइनिंग बोर्ड लगाए जाएंगे। इन बोर्डों पर उक्त स्थल का इतिहास दर्ज होगा। रात में भी ये बोर्ड नजर आएंगे। यही नहीं, वृंदावन में पार्किंग की समस्या को देखते हुए यहां एक वृहद पार्किंग बनाने की योजना तैयार की है। विभाग ने विकास प्राधिकरण (विप्रा) को प्रोजेक्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। विप्रा ने इन दोनों कामों को देखते हुए दो करोड़ रुपये का एस्टीमेट तैयार किया है।
इसमें ५० लाख रुपये से शाइनिंग बोर्ड तैयार करवाए जाएंगे, जबकि डेढ़ करोड़ से पार्किंग तैयार होगी। इस एस्टीमेट को स्वीकृति के लिए शासन के पास भेज दिया है।
विप्रा उपाध्यक्ष आरके सिंह ने बताया कि एस्टीमेट तैयार करा लिया गया है। शासन से हेरिटेज स्थलों के अलावा पार्किंग के लिए कुल दो करोड़ की डिमांड भेजी जा रही है।
लेटलतीफी पर कमिश्नर खफा
मथुरा (DJ 2010.07.03)। आगरा कमिश्नर सुधीर महादेव बोवड़े ने मथुरा और छाता ब्लाक के तीन अम्बेडकर गांवों तथा वृंदावन प्रोजेक्ट में शामिल विकास कार्यो की प्रगति मौके पर जानीं। कार्यो को पूरा करने में लेटलतीफी पर उन्होंने साथ चल रहे संबंधित अफसरों को हड़काया। कमिश्नर ने राल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भी निरीक्षण कर व्यवस्थाएं जानीं।
कमिश्नर श्री बोवड़े एडीएम कानून-व्यवस्था और प्रभारी सीडीओ अवधेश तिवारी के साथ प्रात: करीब नौ बजे मथुरा ब्लाक के राल गांव पहुंचे और यहां निर्माणाधीन ड्रेन के कार्य का निरीक्षण किया। गांव में बन रही नाली का लेविल सही न मिलने और ड्रेन के निर्माण कार्य में देरी पर उन्होंने अफसरों को आड़े हाथ लिया।
बाजना में भी करीब-करीब यही हाल रहा। राल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के निरीक्षण में कमिश्नर ने यहां उपस्थिति पंजिका के निरीक्षण के साथ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजीव सिंघल से व्यवस्थाओं को जाना। डॉ. सिंघल ने एक्सरे टेक्नीशियन न होने तथा सर्जन के न होने से आपरेशन थियेटर बंद रहने की जानकारी दी।
कमिश्नर ने वृंदावन परिक्रमा मार्ग में बन रही सड़क और नाले के निर्माण कार्य को भी देखा। कार्य की धीमी गति पर उन्होंने संबंधित अफसरों से नाराजगी जताई। यहां उनके साथ एसडीएम सदर राकेश मालपानी भी थे। यहां से कमिश्नर छाता ब्लाक के नगला मेव गये।
म्यूजियम में लगाई चतुर्मखी शिवलिंग प्रतिमा
सीबीआई ने तस्करों से बरामद की थी मूर्ति
वर्ष २००९ से रखी हुई थी संग्रहालय में
पर्यटक ले रहे हैं प्रतिमा के बारे में जानकारी
मथुरा (AU 2010.07.03)। भरतपुर की कामां तहसील से सीबीआई द्वारा वर्ष २००९ में बरामद प्राचीन चतुर्मुखी शिवलिंग की प्रतिमा इन दिनों राजकीय संग्रहालय (म्यूजियम) में पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। स्थानीय लोगों में भी प्रतिमा को लेकर उत्साह है।
वर्ष २००९ में जून माह में भरतपुर की कामां तहसील से तस्कर द्वारा छिपाई गई प्रतिमा का सौदा करने से पूर्व दिल्ली से आई सीबीआई अधिकारियों की टीम ने इसे कब्जे में ले लिया था। मूर्ति डीलर बनकर सीबीआई टीम तस्कर से मिली थी। आरोपी ने प्रतिमा को गोबर में दबा रखा था। मूर्ति तस्कर से १.५० लाख रुपये के सौदे का लालच दे प्रतिमा को चार्ज में लिया गया था।
यह प्रकरण स्थानीय लोगों के लिए चर्चा का विषय रहा था। बाद में प्रतिमा यहां राजकीय संग्रहालय के सुपुर्द कर दी गई। संग्रहालय में स्थापित नवीन वीथिकाओं में अब जाकर इस मूर्ति को लगाया गया। संग्रहालय के सहायक निदेशक और गैलरी इंचार्ज डा. शत्रुघ्न शर्मा बताते हैं कि स्थानीय आगंतुकों के साथ-साथ पर्यटक भी इस प्रतिमा को लेकर उत्साहित हैं। इसकी जानकारी एकत्रित कर रहे हैं।
बेहद रेयर है प्रतिमा
प्रतिमा के प्रति इतिहास के जानकारों का अलग ही क्रेज है। संग्रहालय में चतुर्मुखी शिवलिंग की यह पहली प्रतिमा है, जो बेहद रेयर है। इसकी प्रमुखता लाल पत्थर में शिवलिंग का होना। शिव की प्रतिमा की जटा के चारों ओर नरमुंड माला का होना, चारों देवताओं के बीच शिवलिंग का होना और सभी देवताओं के वाहन एक साथ किसी प्रतिमा में दिखाए जाना है।
किसान ने बदला जल स्रोत
मथुरा (DJ 2010.07.03)। रेत में भले ही नाव नहीं चलाई जा सकती हो, लेकिन एक प्रगतिशील किसान ने ऐसे ही असंभव कार्य को संभव करके दिखा दिया। आवश्यकता आविष्कार की जननी के तर्ज पर प्रगतिशील किसान ने ऐसी तकनीकी ईजाद की कि खारी पानी का जल स्रोत बदल गया और नलकूप का जल स्तर पांच साल में भी नीचे नहीं खिसका। जिस नलकूप के पानी से कभी कोई फसल नहीं होती थीं, आज उसीका पानी पीकर फसलें लहलहा रही हैं।
जनपद के ब्लॉक मथुरा की ग्राम पंचायत वाटी के प्रगतिशील किसान मोती सिंह कुशवाह ने खारी पानी के जल स्रोत को बदलने के लिए लगातार सोलह साल तक कड़ी मेहनत कर एक प्रोजेक्ट तैयार किया था।
इस प्रोजेक्ट को पास कराने के लिए किसान ने मंत्रियों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक के दरवाजों पर दस्तक दी। प्रशासनिक और कृषि विभाग के अधिकारियों ने प्रोजेक्ट के नक्शे को देखा और मौके पर जाकर निरीक्षण भी किया।
सभी ने पहली ही नजर में मान लिया था कि प्रोजेक्ट कामयाब हुआ तो वाटर रिचार्ज तो होगा ही साथ ही नलकूप का जल स्तर भी स्थिर बना रहेगा। करीब पांच साल पहले शासन ने इसकी स्वीकृति दे दी।
लघु सिंचाई विभाग से किसान को 85 हजार रुपये का अनुदान मिला। कांग्रेस विधायक प्रदीप माथुर ने एक लाख रुपये पाइप लाइन बिछाने के लिए अपनी निधि से दिए। शेष खर्चा किसान ने स्वयं वहन किया। इस पर करीब आठ लाख रुपये का खर्चा हुआ। तब जाकर किसान को कामयाबी मिली।
प्रगतिशील किसान मोती सिंह ने बताया कि राल नाले के किनारे तीन वाई पांच मीटर चौड़ा और पांच मीटर गहरा पक्का टैंक बनाया गया। इसको पाइप लाइन डालकर नाले से जोड़ दिया गया। दूसरा टैंक बालू और गिट्टी डालकर बनाया गया। इससे पहले टैंक का पानी दूसरे टैंक मे छनकर पहुंच रहा है।
टैंक के पास ही एक छह इंच का बोरिंग की गई और इसका व्यास 18 इंच रखा गया। इसमें गिट्टी भर दी गई हैं। इसको पाइप लाइन से जोड़ दिया गया है। जोड़ पर एक चूड़ीदार वाल्व लगाया गया है, जो तली से तीन फीट ऊंचा है।
बारिश का पानी सीधे बोरिंग में डालकर रीचार्ज किया जा रहा है। वाटर लेवल तक खुदाई करके एक बोरिंग के पास पंखा लगाकर इसके नलकूप से जोड़ दिया गया है।
श्री कुशवाह ने का दावा है कि लगातार वाटर रिचार्ज होने से पानी का स्रोत बदल गया है। पहले नलकूप का खारी पानी था, लेकिन अब मीठा हो गया है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल से नलकूप का पानी नीचे नहीं खिसका है। इसी पानी से सिंचाई करके सभी फसलें उगाई जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि आसपास के अन्य नलकूपों का पानी नीचे खिसक गया है। पिछले पांच साल से उनके नलकूप का पानी चालीस फीट पर ही स्थिर बना हुआ है। जबकि बांगर में पानी साठ से अस्सी फीट तक नीचे पहुंच चुका है।
मनरेगा के पैसे से होगी किसानों की नि:शुल्क बोरिंग
मथुरा (DJ 2010.07.03) । चालू वित्तीय वर्ष में जनपद में किसानों की नि:शुल्क बोरिंग भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के पैसे से की जाएंगी।
इसके लिए लघु सिंचाई विभाग में धन उपलब्ध है, पर विकास खण्डों से जिला मुख्यालय पर लाभार्थियों की सूची अपेक्षानुरूप नहीं मिल पा रहीं। इसके अभाव में नौ विकास खण्डों में अभी तक सिर्फ 86 चयनित लाभार्थियों की आईडी ही भेजी जा सकी है। नि:शुल्क बोरिंग के लाभार्थी किसानों की अनुदान राशि में वृद्धि भी की गई है।
इस साल जिले में 523 किसानों की नि:शुल्क बोरिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इनमें 162 लाभार्थी सामान्य जाति के होंगे, शेष सभी लाभार्थी अनुसूचित जाति/जनजाति के चयनित किये जाएंगे।
वित्तीय वर्ष के तीन महीने व्यतीत हो चुके हैं, पर फरह को छोड़कर अन्य विकास खण्डों से चयनित लाभार्थियों की सूची लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता कार्यालय में अत्यंत धीमी गति से मुहैया कराई जा रही हैं। अभी तक जिला मुख्यालय से सिर्फ 86 चयनित लाभार्थियों की आईडी ही नौ विकास खण्डों में भेजी जा सकी हैं। डार्क जोन होने के चलते नौहझील ब्लॉक में नि:शुल्क बोरिंग पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
खास बात यह है कि इस साल किसानों की नि:शुल्क बोरिंग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के पैसे से कराई जाएंगी। इसके लिए जिला ग्राम्य विकास अभिकरण से लघु सिंचाई विभाग को अग्रिम तौर पर धनराशि उपलब्ध करा दी गई है।
शर्त इतनी है कि नि:शुल्क बोरिंग में मनरेगा के सामग्री और मजदूरी के अनुपात को मेंटेन किया जाए। लघु सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता महेन्द्र सिंह ने बताया कि नि:शुल्क बोरिंग में सामग्री का खर्चा बढ़ने की सूरत में इसकी विभागीय धनराशि से डबटेलिंग की जाएगी।
उन्होंने इस साल नि:शुल्क बोरिंग में अनुसूचित जाति/जनजाति एवं सामान्य जाति के किसानों को दिये जाने वाले अनुदान में वृद्धि की जानकारी भी दी। अनुसूचित जाति के किसानों को इस साल नि:शुल्क बोरिंग के लिए चार हजार रुपये अधिक मिलेंगे, सामान्य किसानों के लिए इसमें तीन हजार रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है।
शहर में 28 हजार परिवार गरीब
मथुरा (DJ 2010.07.03)। महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना सर्वे में 28 हजार परिवार ढूंढे जा सके हैं। तीन दिन का सर्वे ग्यारह दिन में निबट सका है, जिसमें आंकड़ों के लिए प्रगणक मकान गणना के सर्वे पर ज्यादा निर्भर रहे। ढूंढे गए परिवारों में भी पात्रता कंप्यूटर तय करेगा।
मथुरा नगर पालिका क्षेत्र में महामाया गरीब आर्थिक मदद सर्वे का पैक अप गुरुवार को हो सका। यह सर्वे प्रगणकों को तीन दिन के अंदर करना था, लेकिन पहले से चल रही मकान गणना के बीच में दो-दो सर्वे हो जाने से प्रगणकों के लिए काफी दिक्कतें पैदा हो गयीं।
इसका तोड़ भी उन्होंने निकाल लिया।
फील्ड में दोनों सर्वे साथ-साथ तो चले, मगर उन्हीं प्रगणकों ने इस सर्वे में फ्रेश आंकड़े एकत्र किए, जो बाद में जुड़े थे। ज्यादातर प्रगणकों ने मकान गणना के आंकड़ों का इसमें इस्तेमाल किया बताते हैं।
यह सर्वे वैसे तो दलित, पिछड़ी और गरीब बस्तियों में ज्यादा चला है, लेकिन सामान्य इलाकों के गरीब परिवारों की गिनती में काफी संख्या छूट भी गयी है। नगर पालिका प्रशासन ने जो आंकड़े जिला प्रशासन को भेजे हैं, उसके अनुसार 28 हजार दो सौ से ज्यादा परिवार गिने गए हैं।
इन परिवारों को उनकी माली हालत के आधार पर गरीब श्रेणी का पाया गया है। जानकारों का कहना है कि आमतौर पर सभी सामान्य बस्तियों में सर्वे का कार्य पूरा नहीं किया गया है, जिससे सैकड़ों में शामिल होने से कुछ परिवार वंचित रह गए हैं।
सर्वे में 19 प्वाइंट शामिल किए गए थे, जिसमें अनुसूचित जाति-जनजाति, विमुक्ति जाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग के गरीब भी शामिल गए हैं। परिवार के मुखिया के व्यवसाय या वेतन भोगी के अलावा निराश्रित परिवार भी लिए गए हैं। ग्रामीण इलाकों में जहां उनकी भूमि उपलब्धता के बारे में पूछा गया है, वहीं नगर में घर की स्थिति, श्रमिक स्थिति, जीविका का साधन और कोई रोग है, तो उसकी स्थिति भी जानी गयी है।
प्रदेश सरकार महामाया के नाम से गरीबों को आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए यह सर्वे करा रही है। बताया गया है कि एक ओर जहां सर्वे में काफी ऐसे परिवार जुड़ने से वंचित रह गए हैं, वहीं दूसरी ओर उपलब्ध आंकड़ों में भी प्रत्येक परिवार की पात्रता से चयन अंतिम रूप से बाद में होगा। इसके लिए कंप्यूटर का सहारा लिया जाएगा।
महामाया आवास: खातों में पहुंची 124 लाभार्थियों की पहली किस्त
मथुरा (DJ 2010.07.03) । महामाया आवास योजना के तहत जनपद में 124 गरीब निराश्रित परिवारों को उनकी अपनी छत के लिए पहली किस्त बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी गई है। योजना में लाभार्थियों को आवास निर्माण के लिए 45 हजार रुपये दिये जाएंगे।
चालू वित्तीय वर्ष में न सिर्फ महामाया आवास योजना की धनराशि में वृद्धि की गई है बल्कि इसके दिशा निर्देशक सिद्धांतों में भी मूलभूत बदलाव कर दिया गया है। अब योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए लाभार्थी का नाम वर्ष 2002 की बीपीएल सर्वे सूची में होना भी आवश्यक नहीं है।
नये कलेवर की महामाया आवास योजना में इस साल जनपद में 186 लाभार्थियों का चयन किया गया है। इस लक्ष्य के अनुरूप यहां ग्राम्य विकास विभाग में शासन से 83.70 लाख
रुपये का बजट भी मिल चुका है।
आवासीय योजना में चयनित उपरोक्त लाभार्थियों में से 124 लाभार्थियों की पहली किस्त के 33,750 रुपये उनके बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिये गये हैं। आवास निर्माण लाभार्थी स्वयं करायेंगे। आवास निर्माण के छत पटाव स्तर तक पहुंचने पर लाभार्थियों को योजना की दूसरी किस्त दी जाएगी।
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