केशी घाट पर कीर्तन करते हुए ऐन्द्रदासजी
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ऐन्द्र प्रभु वृन्दावन रमणरेति स्थित इस्कान कृष्ण बलराम मंदिर में नित्य अष्टप्रहारीय कीर्तन परिचालन करते थे, और अपना हृदय स्पर्शी व उत्साहमय कीर्तन के द्वारा देशी और विदेशी भक्तों को विपुल आनन्द दान किया करते थे ।
ऐन्द्रदासजी १९७३ अमरीका में इस्कान के प्रतिष्ठाता आचार्य श्रील प्रभुपाद के द्वारा दीक्षित हुए । वहां अनेक दिन सेवा करने के बाद, १९८६ वृन्दावन में आये, और कृष्ण बलराम मन्दिर का नित्य महा मन्त्र कीर्तन देखभाल करने लगे । वे श्रीधाम को और कभी नहीं छोड़े ।
उनके कीर्तन सुनते ही श्रद्धालु भक्त मन्त्रमुग्धवत् बैठ कर सुनते रहते थे । उनकी रिकार्डिंग भी पृथिवी पर सर्वत्र फैल गये हैं ।
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