Saturday, July 31, 2010

2010-08-01 ब्रज का समाचार

मायूस राधा को रिझाने मयूर बने कान्हा


मथुरा (DJ 2010.08.01)। संसार के सामने एक बार फिर राधा-कृष्ण की लीला जीवंत होगी, जहां श्रीकृष्ण को इस बार राधाजी नहीं बल्कि पूरा संसार रिझाना होगा और नृत्य की जगह बरसाना की मोरकुटी नहीं राष्ट्र मंडल खेल का मैदान होगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं मयूर नृत्य की। द्वापर युग में कान्हा ने अपनी प्रिया को रिझाने के लिए मोरकुटी पर मयूर नृत्य किया था।

हिंदुस्तान की सरजमीं पर होने वाले राष्ट्र खेलों के आगाज को यादगार बनाने को ब्रजभूमि के पारम्परिक मयूर नृत्य को यूं हीं तरजीह नहीं मिली। यही वह नृत्य है जो द्वापर युग में हुए भगवान श्रीकृष्ण और राधा की रासलीला को जीवंत करेगा। दरअसल देश-विदेशों में बेहद लोक प्रिय मयूर नृत्य की उत्पत्ति मथुरा मंर बरसाना की प्राचीन पहाड़ी पर स्थित मोर कुटी से हुई।

मान्यता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण और ब्रषभान दुलारी राधारानी के प्रेम मिलन की लीलाएं होती थीं। एक दिन राधा जू की इच्छा मयूर को नाचते हुए देखने की हुई। उस समय मयूर विचरण का सबसे बड़ा केन्द्र बरसाना की मोरकुटी थी, सो राधा अपनी सखियों के साथ मोरकुटी पर पहुंची। काफी देर तक घूमने के बाद भी राधा जी को कोई मयूर नाचते हुए नहीं मिला।

इससे राधा जी निराश मन से लौटने लगीं। कन्हैया अपनी प्रिय राधा को निराश नहीं देखना चाहते थे। भगवान श्रीकृष्ण ने सुन्दर मयूर का रूप धारण किया और नृत्य करने लगे। अचानक एक मयूर को देख राधाजी की खुशी का ठिकाना न रहा और उन्होंने जी भर कर मयूर को नाचते हुए देखा। मयूर नृत्य देखते-देखते वह इतनी खो गयीं कि खुद भी नाचने लगीं। आज भी बरसाना की मोरकुटी पर मोरों का विचरण खूब होता है। मोरकुटी भी मयूर नृत्य के लिए प्रसिद्ध है।

मयूर नृत्य को कला और संस्कृति के मंच पर आए हुए अभी करीब ढाई सौ साल ही हुए हैं। जब यह नृत्य होता है तो मानो द्वापर युग जीवंत हो उठता है। अब तो मयूर नृत्य ब्रजभूमि से निकलकर देश-विदेशों में भी धूम मचाए हुए है।



पंचमी : भाई से छिपाई कथा करील को सुनाई


मथुरा (DJ 2010.08.01)। अग्रवंश की महिलाओं ने शनिवार को भईया पंचमी का पर्व श्रद्धा, हर्ष एवं भक्ति के साथ मनाया। भक्ति से सराबोर स्त्रियों ने शुक्रवार को बनाए पकवानों एवं धूप-दीप संग करील का पूजन किया तथा कथा सुनाकर कुल की रक्षा व सम्पन्नता की प्रार्थना की।

अग्रवाल वंश में सर्व मान्य पंचमी पर्व की प्राचीन परंपरा को आगे बढ़ाते हुये महिलाओं ने शुक्रवार को अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार किय। उन्हें शुद्ध एवं सुरक्षित रखा। जब शनिवार को सूर्य उदय हुआ तो महिलाओं का रुख करीलों की ओर हो गया। करीलों का विधि-विधान से पूजन किया। जो कथा भाइयों से छिपाई जाती है उसे करील को सुनाया। मान्यता है कि उस कथा को भाईयों को सुनाने पर उनकी उम्र कम हो जाती है। प्रार्थना की कवि व भाईयों की रक्षा करें। महिलाओं ने प्राचीन मान्यता के अनुसार करील के नीचे सर्पो का निवास होने का विश्वास करते हुये शुक्रवार को तैयार किया भोजन परोसा।

हजारों महिलाओं ने शहर में यमुना किनारे स्थित प्राचीन नाग टीले पर पहुंचकर पूजा-अर्चना की। नागराज पर दूध चढ़ाया तथा कुल की रक्षा के लिये याचना की।



बच्चों में जगाया जाएगा सेवा भाव


मथुरा (DJ 2010.08.01)। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं में सेवा भाव जगाया जाएगा। इसके लिए स्कूलों में नियमित स्काउट गाइड की प्रार्थना कराई जाएगी। शिक्षक नियम और प्रतिज्ञा भी पढ़कर सुनाएंगे।

बच्चों में सेवा भाव की भावना लगातार कम हो रही है। उनको दूसरे के प्रति समर्पित करने के साथ-साथ उनकी सेवा करने के लिए अब बेसिक शिक्षा परिषद के सभी स्कूलों में स्काउट गाइड की प्रार्थना, नियम और प्रतिज्ञा का सहारा लिया जाएगा। अभी तक जिले और ब्लॉक स्तर पर तैनात शिक्षक महीने में एक बार ही एक स्कूल में पहुंच कर बच्चों को स्काउट गाइड की जानकारी दे पा रहे थे।

हालांकि हर गुरुवार को स्कूलों में स्काउट गाइड दिवस मनाये जाने के पहले से ही निर्देश है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि स्काउट गाइड दिवस के नाम पर केवल औपचारिकता ही पूरी की जा रही थी। इस मामले को शासन ने गंभीरता से लिया है। हाल ही में शासन ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि सभी स्कूलों में स्काउट गाइड की नियमित प्रार्थना कराई जाए। शिक्षक रोजाना बच्चों को नियम और प्रतिज्ञा पढ़कर सुनाए।



थाली में आयेंगी यूरोपीय सब्जियां


मथुरा (DJ 2010.08.01)। ब्रजवासी अब यूरोपीय सब्जियों का रसास्वादन कर सकेंगे। आपकी थाली में यह सब्जियां आपकी जेब पर भी शायद ज्यादा भारी न पड़ें। देशी सब्जियों का उत्पादन करने वाले किसानों को अब यूरोपियन सब्जियां पैदा करना सिखाया जाएगा।

कृषि विविधीकरण परियोजना में जिले के सभी दस ब्लॉकों में चार-चार गांवों का चयन किया गया है। इन गांवों में सब्जी, फूल, मशरूम और मसालों के उत्पादन का बढ़ावा देने के लिए 0.1 हेक्टेयर में उद्यान विभाग फसलों के डेढ़ हजार प्रदर्शन कराएगा। प्रदर्शन वाले खेतों पर ही दूसरे गांवों के किसानों को बुलाकर फसलों की तकनीकी जानकारी दी जाएगी। प्रदर्शन, किसान प्रशिक्षण एवं कृषि निवेश पर करीब 46 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे।

खरीफ में लौकी, तोरई, करेला, पेठा, भिंडी और रबी में टमाटर, फूल गोभी, बंद गोभी, फ्रेंचबीन की फसलों के प्रदर्शन कराएं जाएंगे। मसालों में प्याज, लहसुन और मिर्च के प्रदर्शन होंगे। फूलों में गुलाब, रजनीगंधा और ग्लोडियोलस की खेती कराई जाएगी। सबसे ज्यादा जोर यूरोपियन सब्जियों के उत्पादन पर दिया जाएगा। यूरोपियन सब्जियों में बेबीकॉर्न, ब्रोकली, ब्रूसेल्स और चेरी टमेटो के प्रदर्शन कराए जाएंगे।


No comments: