Tuesday, July 27, 2010

2010-07-28 ब्रज का समाचार

स्वर्ण- रजत हिंडोलों में झूले द्वारिका नाथ


मथुरा (2010.07.27) । मथुरा के राजाधिराज और द्वारिका के नाथ ने मंगलवार को सोने-चांदी के हिंडोलों में झोटा लेकर अपने भक्तों को आनंद रस से सराबोर किया।

प्राचीन परम्पराओं के अनुसार मंदिर सेवकों ने मंगलवार को प्रभु के तीन चल विग्रहों को सजाया। इससे पूर्व एक सोने तथा दो चांदी के हिंडोले मंदिर के जगमोहन में स्थापित किये गये। विविध अलंकरणों से सुसज्जित प्रभु के तीनों विग्रह एक-एक कर अपनी प्रिया के संग हिंडोलों में विराजमान हुये। बस फिर क्या था सेवक समुदाय में प्रिया-प्रियतम को झुलाने की होड़ लग गई। दर्शक समुदाय भी इस पुण्य को प्राप्त करने की दौड़ में शामिल हो गया।

श्रावण मास की द्वितीया में सायं काल शुरु किये गये इस झूलनोत्सव में प्रभु के अचल विग्रह का भी अपूर्व श्रृंगार किया गया। बाहर चल और अंदर अचल विग्रह के अलौकिक स्वरूप का दर्शन को हजारों महिला-पुरुषों एवं संत-महंतों की भीड़ लगी रही। मंदिर प्रागंण की शीतलता, अनेक प्रकार के पुष्पों की सुगंध तथा भजन-संकीर्तन की ध्वनियां श्रद्धालुओं के मन-मस्तिष्क भक्ति रस से आनंदित करती रही।



महात्मा के बिना स्वर्ग नहीं: जयगुरु देव


मथुरा (DJ 2010.07.27)। संत जयगुरुदेव ने कहा है, कि किसी के मरने पर शरीर को नदी में प्रवाहित करते हैं या जला देते हैं। कहते हैं, कि व अशुद्ध हो गया। स्नान कर घर आते हैं और बारह दिन तक सफाई, शुद्धि करके 13वें दिन ब्राह्माणों को भोजन कराते हैं। कहते हैं, कि स्वर्गवासी हो गया। किंतु जीवों को मारकर उसके मृत शरीर को लोग पेट में रखते हैं। इससे उनका शरीर अशुद्ध क्यों नहीं होता ? मांसाहारी के मरने पर उसे स्वर्गवासी कैसे कह दिया जाता है ? फिर आप यदि स्वर्ग के दरवाजे पर बैठे हैं, तो भी बिना महात्मा या फकीर मिले अंदर नहीं जा सकते।

गुरु पर्व के आखिरी दिन प्रवचन करते बाबा बताया मुर्दे को बाहर मिट्टी में दबाना या जलाना चाहिये न कि पेट के अंदर रखना चाहिये। बाबा ने कहा, कि यदि नहीं मानोगे तो सबको सजा मिलेगी। बाबा ने कहा कि कलियुग में महात्मा घर-ग्रहस्थी में मिलता है, इसलिये घर की देवी को देवी की तरह समझो। बाहर जाओगे तो परमात्मा नहीं मिलेगा।

संत ने कहा, कि इस शरीर की मौत होनी है। पति, पत्‍‌नी, बच्चों का मिलन बीच-बीच में हुआ, आगे-पीछे आये और बीच में ही छूट जाएंगे। देखो जब वो जाने लगेंगे कोई कुछ नहीं कर सकेगा। इसलिये धारणा बनाओ कि हमें भजन करना है। मेहनत, ईमानदारी से काम करो, बरकत आएगी और स्वर्ग जैसा सुख मिलेगा। बाबा ने कहा कि आपको कोई कुछ कह दे, तो उसके पैर छू कर हाथ जोड़ों, कि भूल हो गई वह माफ कर देगा। आशीर्वाद लेने के बाद अधिकांश भक्त अपने घरों को रवाना हो गये।



शादी-बीमारी अनुदान में विधवा और विकलांगों को वरीयता


मथुरा (DJ 2010.07.27)। समाज कल्याण विभाग की शादी-बीमारी अनुदान योजना में अब उन आवेदकों के वरीयता दी जाएगी जिनके अभिभावक विकलांग अथवा विधवा होंगे। अनाथ विवाह योग्य कन्याओं को भी वरीयता की श्रेणी में रखा गया है। योजना में शिविर लगाकर लाभार्थियों को अनुदान राशि वितरित करने की व्यवस्था भी समाप्त कर दी गई है। अब यह धनराशि सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजी जा रही है।

चालू वित्तीय वर्ष 2010-11 में अभी तक तीन महीनों में शादी-बीमारी अनुदान के सात सौ प्रार्थना पत्र समाज कल्याण विभाग में प्राप्त हुए हैं। सरकारी योजना में पात्र लाभार्थी को शादी के लिए दस हजार रुपये दिये जाते हैं, जबकि बीमारी अनुदान पांच हजार रुपये निर्धारित किया गया है। विभाग में प्राप्त दोनों ही अनुदानों के प्रार्थना पत्रों की स्वीकृति के लिए कमेटी का बैठना अभी बाकी है। बताया गया है कि अनुदान स्वीकृति में उन आवेदकों के प्रार्थना पत्रों को वरीयता दी जाएगी जिनके अभिभावक विधवा या विकलांग हों। अनाथ युवतियों को भी शादी अनुदान के लिए इसी श्रेणी में रखा गया है। इनके बाद जो भी प्रार्थना पत्र शेष रहेंगे, उनके आवेदकों को प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धांत पर अनुदान मंजूर किया जाएगा।

इस बीच जिले में बीते वित्तीय वर्ष के लंबित प्रार्थना पत्रों पर 401 आवेदकों को शादी अनुदान मंजूर कर दिया गया है। आलोच्य वर्ष में बीमारी अनुदान के लिए कोई प्रार्थना पत्र प्राप्त नहीं हुआ। बीते साल का ऐसा कोई प्रार्थना पत्र अब लंबित नहीं रहा बताया गया है। शादी अनुदान के मंजूरशुदा प्रार्थना पत्रों की राशि सीधे लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की जा रही है। पहले इसके चेक लाभार्थियों को शिविरों में दिये जाते थे। इस प्रक्रिया में लाभार्थियों के बैंक खाते खुलने में विलंब से अक्सर वे योजना के लाभ से वंचित रह जाते थे। बीते वित्तीय वर्ष से इस व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।



पितरों की आत्म शांति को इबादत शुरू


मथुरा (DJ 2010.07.27)। मुस्लिम बंधुओं ने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिये मुकर्रर शब-ए-बारात का पर्व मंगल को श्रद्धा एवं भक्ति के साथ शुरु हो गया। महिलाओं ने घरों में स्वाद भरे व्यंजन बनाकर बच्चों को खिलाए। स्त्री-पुरुषों ने नये परिधान पहनकर मस्जिदों में जाकर नमाज अदा की। इबादत का दौर बुधवार की सुबह होने वाली अजहर की नमाज तक निरंतर चलता रहेगा।

शब-ए-बारात का पर्व प्रत्येक मुसलमान के घर में मनाया जाना शुरु हो गया। महिलाओं ने घरों में हलवा तथा अनेक प्रकार के व्यंजन तैयार किये। हर किसी ने नये वस्त्र पहने। व्यंजन खिलाने तथा बांटने का दौर दोपहर से देर रात्रि तक चलता रहा। सूर्यास्त के बाद श्रद्धालुओं ने सुविधा के मुताबिक अल्लाह ताला की इबादत शुरु कर दी और जब मंगलवार की रात्रि की आखिरी दैनिक नमाज अदा हो गई, तो श्रद्धालुओं का काफिला पूर्वजों के लिये इबादत करने में लग गया।

महिला-पुरुषों ने कुरान शरीफ पढ़ने, नमाज अदा करने और अल्लाह ताला से दुआ करना सम्पूर्ण रात्रि के लिये शुरु कर दिया। मानना है कि इस रात्रि में इबादत करने, अल्लाह ताला से दुआ मांगने पर हर मुराद पूरी हो जाती है। अल्लाह ताला इबादत कबूल करते हैं। इससे न सिर्फ पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है बल्कि सभी श्रद्धालुओं की बरकत होती है। धर्म स्थलों के अलावा अल्लाह के मुरीद अपने-अपने घरों में अपनी सुविधा के मुताबिक रात्रि में इबादत करते रहेंगे।

रालोद नेता डा. यूनुस कुरैशी ने बताया, कि बुधवार की सुबह जब मस्जिदों में अजहर की नमाज अदा हो जाएगी, सभी लोग फातिहा और नमाज पढ़ने अल्लाह से दुआ करने को कब्रिस्तान में पहुंच जाएंगे।



राजस्थान ने यूपी से मांगा पानी का हिसाब


मथुरा (DJ 2010.07.27)। यमुना जल बंटवारे के उल्लंघन का आरोप लगाते हुये राजस्थान ने उत्तर प्रदेश से पानी का हिसाब मांगा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलौत के पत्र का हवाला देते हुये लखनऊ ने स्थानीय सिंचाई विभाग से असलियत पता की है। विभागीय आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान को उसके हिस्से का पूरा पानी दिया गया।

राजस्थान के भरतपुर जिले को यमुना नदी का जल ओखला हेडव‌र्क्स से आगरा कैनाल और भरतपुर फीडर के माध्यम से प्राप्त होता है। भरतपुर फीडर रजवाहा अड़ीग से निकला है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने यूपी की मुख्यमंत्री मायावती को तीन जून को पत्र भेज कर उत्तर प्रदेश से यमुना का कम पानी मिलने का आरोप लगाया है। लखनऊ से स्थानीय सिंचाई विभाग को भेजे गये इस पत्र में श्री गहलौत ने लोअर खंड आगरा कैनाल से राजस्थान को मिले पानी के आंकड़े भी उपलब्ध कराये हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक जून 2009 में 12512 क्यूसेक दिवस और सितम्बर 2009 में 5408 क्यूसेक दिवस पानी राजस्थान के लिए छोड़ा गया। जबकि राजस्थान सीमा पर क्रमश: 5869 और 2915 क्यूसेक दिवस पानी प्राप्त हुआ। मुख्यमंत्री श्री गहलौत ने यह भी आरोप लगाया है कि यूपी में पड़ने वाले भरतपुर फीडर के करीब चौदह किलोमीटर हिस्से में काश्तकार पम्प और आउटलेट लगाकर पानी का अवैध रूप से दोहन कर रहे हैं। इसको रोकने के लिए यूपी सरकार आवश्यक कदम नहीं उठा रही है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री के पत्र के जवाब स्थानीय सिंचाई विभाग ने लखनऊ जानकारी भेज दी है। यूपी में किसान जल का कहीं भी अवैध उपयोग नहीं कर रहे हैं। जनवरी से जून 2009 के मध्य 26651 क्यूसेक दिवस के सापेक्ष 29254 और जुलाई से सितम्बर के मध्य 218976 क्यूसेक दिवस के सापेक्ष 273616 क्यूसेक दिवस जल भाग आगरा नहर प्रणाली से राजस्थान को उपलब्ध कराया गया। भरतपुर फीडर को फरवरी से जून 2009 में 26512 क्यूसेक दिवस और जुलाई से सितम्बर 14308 क्यूसेक दिवस पानी छोड़ा गया। जबकि राजस्थान सरकार का कहना है कि भरतपुर फीडर की राजस्थान सीमा पर क्रमश: 7741 और 4622 क्यूसेक दिवस ही उपलब्ध हो पाया। 12 मई 1994 को यमुना नदी के जल बंटवारे को लेकर हुए समझौते के मुताबिक राजस्थान को ओखला से नवम्बर से फरवरी के बीच 21 फीसदी, मार्च से जून के बीच 22 फीसदी और जुलाई से अक्टूबर के मध्य 15 फीसदी पानी दिया जा रहा है।

सिंचाई विभाग के नोडल अधिकारी/ अपर खंड आगरा कैनाल के अधिशासी अभियंता रमाकांत रस्तोगी ने बताया कि राजस्थान सरकार ने यूपी में पड़ने वाले भरतपुर फीडर के हिस्से की सफाई के लिए 2002 से कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई है। कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए है। लिहाजा पानी का प्रवाह रुक रहा है।



समाज सेवी लगवाएंगे सड़कों पर बैंच


मथुरा (DJ 2010.07.27)। अगर आप सड़क पर चलते-चलते थक जाएं तो आराम से बैठने की सुविधा आपको जल्द मिलने वाली है। कॉमनवेल्थ गेम को मद्देनजर रखते हुए मथुरा नगर पालिका सड़क किनारे बैंच लगवाने जा रही है। खास बात ये है कि पालिका का इस योजना में धेला भी खर्च नहीं होगा, उल्टे राजस्व की प्राप्ति ही होगी। मतलब साफ है, हल्दी लगे न फिटकरी, रंग चोखा आयेगा।

कामनवेल्थ गेम्स के दौरान मथुरा में खासी संख्या में पर्यटकों के आने की संभावना है। भगवान कृष्ण के लीला स्थलों के दर्शन का सिर्फ भारतीय ही नहीं विदेशियों को भी आकर्षण रहता है। उम्मीद जतायी जा रही है कि दिल्ली से आगरा जाने वाले पर्यटक मथुरा में भी अपना खासा समय बितायेंगे। इसी उम्मीद को देखते हुए नगर को सजाने-संवारने का प्लान शुरू हो गया है।

मथुरा नगर पालिका सड़क किनारे खूबसूरत बैंच और सेल्टर बनाकर लोगों के लिए एक सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है। यह योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत चलायी जाएगी। फिलहाल पहले चरण में शहर भर में एक हजार बैंच लगाये जाने की संभावना है। इन बैंचों को प्राइवेट कम्पनियां और समाजसेवी लगवायेंगे। पालिका ने बैंचों का कोई विशेष डिजाइन भी तय नहीं किया है। हां, इतना प्रयास जरूर किया जाएगा कि एक सड़क पर एक ही डिजाइन की बैंच लगें।

इन बैंचों को लगाने वालों को भी विज्ञापन से आय प्राप्त करने का मौका मिलेगा। पालिका इन बैंचों और सेल्टर पर विज्ञापन की अनुमति देगी। इसमें विज्ञापन शुल्क पालिका के खाते में जमा होगा जबकि तय की गयी शेष राशि बैंच लगाने वाले को मिलेगी।

नगर पालिकाध्यक्ष श्याम सुन्दर उपाध्याय ने कहा कि पीपीपी योजना के तहत लगने वाली यह बैंच पालिका की प्रापर्टी हो जाएंगी। बैंच लगाने वालों को उस पर होने वाले विज्ञापन का एक हिस्सा लेने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि इस योजना से पालिका पर कोई अतिरिक्त खर्चा नहीं आयेगा बल्कि पालिका की आय में ही वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि इन बैंचों का पैदल यात्री और मार्निग वॉक करने वालों के लिए विशेष उपयोग रहेगा। अभी शहर में ऐसे स्थान नहीं हैं जहां पैदल यात्री बैठकर थोड़ी देर सुस्ता सकें।



कम मिला आगरा कैनाल में पानी


मथुरा (DJ 2010.07.27)। आगरा कैनाल में कागजों पर अधिक और हकीकत में कम पानी चल रहा है। इसका खुलासा विभागीय अधिकारियों की जांच पड़ताल में भी हो गया। फरीदाबाद हेड पर साढ़े तीन सौ क्यूसेक पानी कम मिला, जबकि शेषाई पर बताए जा रहे पानी से अधिक पानी का डिस्चार्ज किया जा रहा था।

हाल ही में दैनिक जागरण ने आगरा कैनाल में पानी गायब होने की खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद सिंचाई विभाग हरकत में आ गया है। मुड़िया पूर्णिमा मेला की ड्यूटी खत्म होते ही अपर खंड आगरा कैनाल के अधिशासी अभियंता रमाकांत रस्तोगी और लोअर खंड आगरा कैनाल के अधिकारी पानी की कमी की जांच पड़ताल में जुट गए। गत दिवस फरीदाबाद हेड पर 2700 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, लेकिन जब इसकी माप की गई तो यह 2344 क्यूसेक ही निकला। करीब 356 क्यूसेक पानी कम पाया गया। इसके बाद शेषाई रेगुलूटर पर जांच की गई। यहां 617 क्यूसेक पानी रिपोर्ट किया जा रहा था, लेकिन डिस्चार्ज में 756 क्यूसेक मिला। यहां 139 क्यूसेक पानी अधिक दिया जा रहा था। कुल मिलाकर करीब पांच सौ क्यूसेक पानी की गड़बड़ी मिली। माना यह जा रहा है कि यदि यह पानी पूरा मिलता तो अपर खंड आगरा की नहरों को चलाया जा सकता था। इससे जुड़े हजारों किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिल जाता, लेकिन पानी की कमी से किसानों को सिंचाई के लिए भरपूर पानी नहीं मिल पा रहा है। गौर तलब है कि आगरा कैनाल के सिंचित होने वाले क्षेत्र में ही सर्वाधिक धान की खेती की जा रही है।



टेल के किसान फिर रहेंगे परेशान


मथुरा (DJ 2010.07.27)। टेल के हजारों किसान फिर सिंचाई के पानी के लिए परेशान रहेंगे। सिंचाई विभाग ने एक दर्जन रजवाह और दो दर्जन से अधिक माइनरों के अंतिम छोर तक पानी पहुंचाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। इन हालातों में मानसून धोखा दे गया तो टेल हिस्से के किसानों को अपनी फसलों को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

गंगा यमुना में पानी की उपलब्धता होने पर ही नहरों का चलाया जाना प्रस्तावित है। बारिश से भले ही नदी जलाशयों में पानी बढ़ जाए, लेकिन टेल के हजारों किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल पाएगा, इसमें संदेह है। अपर खंड आगरा कैनाल के रजवाह बुखरारी में 25 किमी, शेरगढ़ में 42 किमी, बांया शेरगढ़ में 14 किमी, सहार में 44 किमी, कोसी में 38.40 किमी, नंदगांव में 40 किलोमीटर तक पानी पहुंचाने का दावा किया है। माइनर शहजाद पुर में 5 किमी, जटवारी में 7 किमी, गढ़ी में 3 किमी, मघेरा में 3.5 किमी, वृंदावन में 3.7 किमी, छटीकरा में 2 किमी, कोटा में 1.60 किमी, जुल्हैंदी में 10 किमी, खामिनी में 3.5 किमी, उमराया में 2 किमी, नंदगांव में 12 किमी, कमई में 10.30 किमी, रॉकोली में 5 किमी, छाता में 7 किमी, सेही में 4 किमी, पलसो में 12 किमी, आटस में 2 किमी, जैंत में 4 किमी, हुलवाना में 8.5 किमी, दहगांव में 8 किमी, गढ़ी बरवारी में 4 किमी, खोर में 3 किमी, अगराला 17 किमी और चन्दौरी 12 किलोमीटर से आगे पानी पहुंचना संदिग्ध है। मांट ब्रांच की माइनर बंका, कूपा, दौलत पुर, नराचय, सैमरा के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाएगा। माइनर डहरुआ में 4.5 किलोमीटर से आगे के किसानों की खेतों की प्यास नहीं बुझा पाएगी। रजवाह सादाबाद में 35 किमी, मुरसान में 20 किमी, कुरसण्डा 25 किमी, दघैटा 25 किमी, खंदौली 15 किमी और बल्देव में 15 किलोमीटर तक तो सिंचाई विभाग ने पानी पहुंचाने का दावा किया है, लेकिन इससे आगे पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी लेने से हाथ खड़े कर दिए हैं। लोअर खंड आगरा कैनाल के कई रजवाह और माइनरों के अंतिम छोर के किसान भी सिंचाई को पानी के लिए परेशान रहेंगे। सिंचाई विभाग ने खरीफ सीजन के लिए जारी किए रोस्टर में स्पष्ट कर दिया है कि गंगा यमुना में पानी की उपलब्धता रही और नहरों को चलाने के लिए भरपूर पानी मिला तो टेलफीड हो जाएंगी। मगर टेल के किसानों को भरपूर पानी मिल पाएगा। इसमें सिंचाई विभाग ही संदेह जाहिर कर रहा है। सिंचाई विभाग के नोडल अधिकारी रमाकांत रस्तोगी ने बताया कि शीर्ष के किसानों से पानी बचाकर टेल तक पहुंचाना बड़ा ही मुश्किल काम है। शीर्ष भाग पर किसान पाइप लाइन और पंप सेट लगाकर दूर-दूर तक पानी ले जा रहे हैं। इससे शीर्ष भाग पर सिंचाई का कमांड एरिया बढ़ गया है। गंगा यमुना से भी नहरों के संचालन के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता। इससे भी समस्या खड़ी होती है। फिर भी ऐसे प्रयास किए जाते हैं कि अधिक से अधिक पानी टेल के किसानों को उपलब्ध कराया जाए।


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